tag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post904121376142226901..comments2023-10-29T19:13:19.184+05:30Comments on अनामिका की सदायें ...: मवाद..अनामिका की सदायें ......http://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-82614430400161952002010-12-13T20:34:49.614+05:302010-12-13T20:34:49.614+05:30nari man ka sundar chitran...sadhuvad!!!nari man ka sundar chitran...sadhuvad!!!Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-7208709384909758122010-12-09T23:56:15.448+05:302010-12-09T23:56:15.448+05:30कितनी ही / अनकही बातों का / घना जंगल / और कंटीली झ...कितनी ही / अनकही बातों का / घना जंगल / और कंटीली झाडियाँ हैं / भीतर वजूद में / जिनमें घुसने में / खुद को भी / भय लगता है.<br /><br />आप ठीक कह रही हैं, भय तो लगता है, लेकिन इस भय से पार पाने का नाम ही तो ज़िंदगी है... <br /><br />मंजुAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-57274892597805288652010-12-09T20:29:57.094+05:302010-12-09T20:29:57.094+05:30वाह वाह ...बहुत सीधी-सच्ची सादी सुन्दर आत्मस्वीकृत...वाह वाह ...बहुत सीधी-सच्ची सादी सुन्दर आत्मस्वीकृति....शायद कटीली राहों के बीच से ही निकल जाने वाली चीज़ को जिंदगी कहते हैं....खूबसूरत रचना.<br />पंकज झा.पंकज कुमार झा.https://www.blogger.com/profile/00871035880818959043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-38038017958796763422010-12-08T22:39:00.091+05:302010-12-08T22:39:00.091+05:30behad bhawpurn.behad bhawpurn.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-6410980467982569852010-12-08T00:36:26.439+05:302010-12-08T00:36:26.439+05:30wah wah kya baat hai.....wah wah kya baat hai.....Manav Mehta 'मन'https://www.blogger.com/profile/01826811764168414349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-5781094269560787172010-12-07T14:32:53.939+05:302010-12-07T14:32:53.939+05:30मैंने अपने आप को
समेट लिया है
अपने ही खोल में
औ...मैंने अपने आप को <br />समेट लिया है <br />अपने ही खोल में <br />और मूँद ली हैं आँखे,<br />कि...<br />मैं डर रही हूँ ....<br />इन खामोशियों के <br />नीचे दबे <br />बाहर आने को व्याकुल <br />उस तूफ़ान से <br />जो कि काफी है <br />लील लेने के लिए <br />मेरी जिंदगी को ...<br /><br />जीवन के कुछ भावोक लम्हों को बाँधा है आपने ... ऐसा होता है कभी कभी जीवन में जब इंसान अपने आप से ही घबराने लगता है ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-61284285843284767332010-12-07T07:46:22.448+05:302010-12-07T07:46:22.448+05:30आदरणीय अनामिका जी
नमस्कार !
गहन सोच और भावपूर्ण अभ...आदरणीय अनामिका जी<br />नमस्कार !<br />गहन सोच और भावपूर्ण अभिव्यक्ति <br />नारी जीवन की भावनाओं को बखूबी उकेरा है………………बेहद उम्दा प्रस्तुति। <br />"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-17537892616641064212010-12-06T10:55:23.555+05:302010-12-06T10:55:23.555+05:30dard se risti hui nazm hai ye...uff....aisa lagta ...dard se risti hui nazm hai ye...uff....aisa lagta hai padhte hue dard ho raha hai....inna depression kyun anamika ji....chalo khush ho jao chalo...smile..... :):):)<br /><br />hihi...just kidding<br /><br />nazm bohot bohot acchi hai...bohot marmikAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-22646998563372600412010-12-05T09:48:53.041+05:302010-12-05T09:48:53.041+05:30खुबसूरत रचना .......खुबसूरत रचना .......amar jeethttps://www.blogger.com/profile/09137277479820450744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-43512833337785782712010-12-05T00:10:24.813+05:302010-12-05T00:10:24.813+05:30सही कहा आपने झाडियो में जाने से डर तो लगता है , ले...सही कहा आपने झाडियो में जाने से डर तो लगता है , लेकिन अगर समाज मे फैली बुराई नामक झाडियों को खतम ना किया गया तो ना जाने कितना मवाद बनेगा और ना जाने कितना रक्त । थोडा तो साहस करना ही पडेगा । हाँ अगर कुछ नेक लोगों का साथ मिल जाय तो मजा आ जाय । झाडियों में भी फूल खिल सकते हैं ।palashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-77082445968687392572010-12-04T12:53:03.511+05:302010-12-04T12:53:03.511+05:30कंटीली झाडियाँ हैं
भीतर वजूद में
जिनमें घुसने में...कंटीली झाडियाँ हैं<br />भीतर वजूद में<br />जिनमें घुसने में <br />खुद को भी <br />भय लगता है.<br />पर जीवन की वास्तविकता भी यही है ...शुक्रियाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-36669135230931957642010-12-03T21:09:51.650+05:302010-12-03T21:09:51.650+05:30सुन्दर भाव!
प्रवाहमय रचना!सुन्दर भाव!<br />प्रवाहमय रचना!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-57564778694105057352010-12-03T20:21:02.855+05:302010-12-03T20:21:02.855+05:30गहन सोच और भावपूर्ण अभिव्यक्तिगहन सोच और भावपूर्ण अभिव्यक्तिवीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-70598367959304757532010-12-03T19:59:26.227+05:302010-12-03T19:59:26.227+05:30मैं डर रही हूँ ....
इन खामोशियों के
नीचे दबे
बाह...मैं डर रही हूँ ....<br />इन खामोशियों के <br />नीचे दबे <br />बाहर आने को व्याकुल <br />उस तूफ़ान से <br />जो कि काफी है <br />लील लेने के लिए <br />मेरी जिंदगी को .<br /><br />लेकिन कभी तो इस तूफ़ान का मुकाबला करना ही होगा..बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-23844277582784951722010-12-03T18:00:50.119+05:302010-12-03T18:00:50.119+05:30मर्म को स्पर्श करती सुन्दर कविता.. कथ्य और शिल्प क...मर्म को स्पर्श करती सुन्दर कविता.. कथ्य और शिल्प के स्तर पर बेहतरीन..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-42397061454165919722010-12-03T17:00:54.198+05:302010-12-03T17:00:54.198+05:30आपकी भाव पूर्ण कविता ने मन को झंकृत कर दिया !
सुन्...आपकी भाव पूर्ण कविता ने मन को झंकृत कर दिया !<br />सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद!<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-45735243171992310942010-12-03T15:06:24.632+05:302010-12-03T15:06:24.632+05:30बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति .....बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति .....http://anusamvedna.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/05081586436310937190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-6521078739721243552010-12-03T14:34:05.412+05:302010-12-03T14:34:05.412+05:30अनकही बातें कितनी ही बार,जीवन को घुटन में तब्दील क...अनकही बातें कितनी ही बार,जीवन को घुटन में तब्दील कर देती हैं। कुछ विकल्प तलाशना चाहिए क्योंकि सीने पर पत्थर रख कोई कब तक जी सकता है!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-20101100082579027712010-12-03T12:58:32.855+05:302010-12-03T12:58:32.855+05:30कंटीली झाडियाँ हैं
भीतर वजूद में
जिनमें घुसने में
...कंटीली झाडियाँ हैं<br />भीतर वजूद में<br />जिनमें घुसने में<br />खुद को भी<br />भय लगता है.<br /><br />संघर्ष ही तो जीवन है, कंटीली झाडियाँ हटाकर मुस्कराते पुष्प उगाना ही तो लक्ष्य है।<br /><br />बेहद निश्छल अभिव्यक्ति!!, आभार सम्वेदनाओं को सक्रिय करने के लिये।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-84459174556692437862010-12-03T08:49:03.506+05:302010-12-03T08:49:03.506+05:30गहन अनुभूति के साथ आपने अनकही बातों का खौफ ब्यान क...गहन अनुभूति के साथ आपने अनकही बातों का खौफ ब्यान किया है ..आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.comडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-84469202097753955602010-12-03T08:46:35.959+05:302010-12-03T08:46:35.959+05:30कितनी ही
अनकही बातों का
घना जंगल
और
कंटीली झाडि...कितनी ही <br />अनकही बातों का<br />घना जंगल <br />और <br />कंटीली झाडियाँ हैं<br />भीतर वजूद में<br />जिनमें घुसने में <br />खुद को भी <br />भय लगता है.<br />bahut darr lagta haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-85641440781408254572010-12-02T21:12:59.207+05:302010-12-02T21:12:59.207+05:30मैं डर रही हूँ ....
इन खामोशियों के
नीचे दबे
बाह...मैं डर रही हूँ ....<br />इन खामोशियों के <br />नीचे दबे <br />बाहर आने को व्याकुल <br />उस तूफ़ान से <br />जो कि काफी है <br />लील लेने के लिए <br />मेरी जिंदगी को...<br />वाह...बहुत अच्छा लिखा है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-9046965069289318022010-12-02T20:49:30.360+05:302010-12-02T20:49:30.360+05:30इस मार्मिक रचना की जितनी सराहना की जाए कम है!
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ब...इस मार्मिक रचना की जितनी सराहना की जाए कम है!<br />--<br />बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-82959995932742006292010-12-02T20:25:42.598+05:302010-12-02T20:25:42.598+05:30सुनीता बहन! आपकी कविता के शब्द इतने प्रभावशाली होत...सुनीता बहन! आपकी कविता के शब्द इतने प्रभावशाली होते हैं कि भाव उभर कर सामने ही नहीं आते अपनी गहराई का एहसास भी करवाते हैं.. पीड़ा शब्दों में ढल कर कविता बन जाती है और पाठक उसको अपने ह्रदय में महसूस करने लगता है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3006778675527368075.post-37325739746067840332010-12-02T16:40:03.603+05:302010-12-02T16:40:03.603+05:30Anamika ji sach kahun- Prastuti aur bhac bahut hi...Anamika ji sach kahun- Prastuti aur bhac bahut hi achha laga. Hridaysparshi post.प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com