मंगलवार, 17 नवंबर 2009

शून्य....











धूप छाँव  सी ये जिंदगी
जहा छाँव  भी
पळ भर को आती है ..
और फिसल जाती है,
जबकी धूप का एहसास
जला देता है
आत्मा की  नाज़ुक
रगों  को भी .

मैं अथक प्रयास करती हूँ
खुद को धूप में जला कर
जलता हुआ अंगारा बन जाऊं
और अंगारा बन
भस्म हो जाऊं
एक दिन...
हमेशा हमेशा के लिये .

मगर कभी कभी
घोर निराशा भी
एक रस-हीन शांती से
भर देती है जिंदगी को,
और दुख का कष्ट
महसूस भी नही होता...
जब खतम हो जाता है ..
सुख की उम्मीदों  का साथ .

तब शांत हो जाता है
अंगारो से जलता वज़ूद,
और पसर जाता है
चहुँ ओर एक
असीम शून्य !!

15 टिप्‍पणियां:

  1. घोर निराशा भी
    एक रस-हीन शांति से
    भर देती है जिंदगी को,
    जीवन सूत्र यह भी बीत जायेगा.

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  2. bahut achcha likha hai anamika ji!..or tasveer bhi bahut pyaari hai blog ki.
    blog par aane ka shukriya.

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  3. तब शांत हो जाता है
    अंगारो से जलता वज़ूद,
    और पसर जाता है
    चहू ओर एक
    असीम शून्य !!
    Anamika Ji, sunder rachna ke liye badhaai.....Surinder

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  4. धूप छाव सी ये जिंदगी
    जहा छाव भी
    पळ भर को आती है ..
    और फिसल जाती है,
    जबकी धूप का एहसास
    जला देता है
    आत्मा कि नाज़ुक
    रगो को भी .

    बहुत खूब.....!!

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  5. कभी कभी दर्द ही दवा होता है……………बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।

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  6. मैं अथक प्रयास करती हूँ
    खुद को धूप में जला कर
    जलता हुआ अंगारा बन जाऊं
    और अंगारा बन
    भस्म हो जाऊं
    एक दिन...
    हमेशा हमेशा के लिये .
    adbhut bhaw liye rachna

    जवाब देंहटाएं
  7. गहन एवं गूढ़ भावों से भरी अनबूझी पहेली सी सुन्दर रचना ! बहुत पसंद आई ! धूप में स्वयं को जला कर अंगारा बन भस्म हो जाने का भाव मन को उद्वेलित कर गया ! ऐसी आतंकित कर देने वाली बातें मत किया कीजिये ! आपकी कलम से आशा से भरी रचनाएं निकलें वही अच्छा लगता है ! सुन्दर रचना के लिये बधाई !

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  8. मगर कभी कभी
    घोर निराशा भी
    एक रस-हीन शांती से
    भर देती है जिंदगी को,

    चारों ओर पसरा शून्य बहुत कुछ कहता है ..

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  9. तब शांत हो जाता है
    अंगारो से जलता वज़ूद,
    और पसर जाता है
    चहुँ ओर एक
    असीम शून्य !!bahoo khoob.dil ko choone waali rachanaa.badhaai aapko.



    please visit my blog.thanks.

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  10. तब शांत हो जाता है
    अंगारो से जलता वज़ूद,
    और पसर जाता है
    चहुँ ओर एक
    असीम शून्य !!

    खूबसूरत भाव...

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  11. तब शांत हो जाता है
    अंगारो से जलता वज़ूद,
    और पसर जाता है
    चहुँ ओर एक
    असीम शून्य !!

    गहराई और ठहराव लिए हुए बहुत सुंदर भाव ....!!
    बधाई इस रचना के लिए ..!!

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