अनामिका की सदायें ...

जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ .....

मंगलवार, 20 मई 2025

स्त्री और स्वाभिमान

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स्त्री अपना स्वाभिमान रौंद देती है उस घर की ख़ातिर जिसे मकान से घर बनाते हुए उसने हज़ारों बार सुना …. “निकल जाओ मेरे घर से “ अपने बच्चों के ...
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शनिवार, 30 नवंबर 2024

संतान

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Share चेहरे पर झुर्रियाँ हिलते हुए दाँत  आँखों पर चश्मा  सर पर गिने-चुनें  सफेद बाल , ख़ुद की पहचान खोकर  जो तुम्हें पहचान दी है  आज तुम...
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शनिवार, 10 जून 2023

शब्दों का सफर

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मै नहीं लिखती अब  क्यूंकि, लिखने के लिए  शब्दों को जीना पड़ता ह है ।  शब्दों को जीने के लिए मनोभावों में कहीं गहरे तक  उतरना पड़ता है।  गहरे उ...
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मंगलवार, 20 सितंबर 2016

ओ रे पाकिस्तान

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  सोते शेरों को मारने वाले पीठ में छुरा घोंपने वाले अब तू भी चैन से न सो पायेगा तेरे घर में ही घुस के तुझे मारा जायेगा !! तेरे लिए तो हम...
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गुरुवार, 7 जनवरी 2016

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सोमवार, 29 जून 2015

माँ

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    छोटे थे तो माँ के आँचल में सिमटे रहते थे हम ऑफिस जाती थी तो पल पल घडी के कांटो को निहारा करते थे हम आके सीने स...
13 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 14 मार्च 2015

आखिर तो इंसान हूँ ....

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दिल में चुभन हुई तो मैं हंसने लगा मानो  हंस के चुभन को भुलाने चला .. चुभन जख्म करने लगी तो मैं खामोशी से लब  सी गया क्यूंकि आंसू द...
6 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

एकाकीपन.......

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एकाकीपन के  झंझावतों से  स्वयं को मुक्त करने, अंतस की खलिश  को कम करने हेतु  बड़ी बहिन समान भाभी, माँ सी छाया देने वाली सासु माँ मन को अल...
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शनिवार, 24 जनवरी 2015

ए दोस्त ........

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मेरे वक्तव्य को  अन्यथा न लेना दोस्त  मेरी फितरत है  जिसके लिए जैसा भाव है  उसे उसका सौंप दूँ   बिना लाग -लपेट के कह द...
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शनिवार, 13 सितंबर 2014

ये कैसी परिणति

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नाज़ों से पाला  दर्दों को झेला देह को कटते खुली आँखों से देखा तब तुझे पाया था ! खून से लथपथ अचेत, अधमरी सी निर्बल सी काया को अपने आगो...
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अनामिका की सदायें ......
मेरे पास अपना कुछ नहीं है, जो कुछ है मन में उठी सच्ची भावनाओं का चित्र है और सच्ची भावनाएं चाहे वो दुःख की हों या सुख की....मेरे भीतर चलती हैं.. ...... महसूस होती हैं ...और मेरी कलम में उतर आती हैं .....!!
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