
समेटा करुंगा शब- ए- रात गम, तेरी ख़ुशी के लिए
तेरी रजा यही है तो यही ही सही
मै पळ पळ मरता रहूंगा, तेरी चाहत के लिए
नसीबो के खेळ छिपे हैं अपनी अपनी लकीरो में
तू सो चैन की नींद, मै हू ओस, शब पर बहने के लिए
मजबूरियो के नाम पर, बढा ले तू कितने भी फासले
तू चीरेजा कलेजा, मै हू हर घाव सीने के लिए !
देख सके तो देख अक्स अपना, आईना हू मैं तेरा..
जख्म कितने दिये तूने मुझे झुल्साने के लिए.
दिन जळते रहे , राते भी गळ गयी
कतरा - कतरा मर रहा तेरी चाहत के लिए.
आहे फुटे तो क्या, जिस्म बच भी जायें तो क्या
रूह तो फना हो गयी तेरी मुहोब्बत के लिए.
behatreen abhivyakti Anamika ji
जवाब देंहटाएंbohat badiya jai ji
जवाब देंहटाएंक्या बात है , बहुत खूब लिखा है आपने , लाजवाब अभिव्यक्ति लगी ।
जवाब देंहटाएंlajawab bahut khoob
जवाब देंहटाएंदेख सके तो देख अक्स अपना, आईना हू मैं तेरा..
जवाब देंहटाएंजख्म कितने दिये तूने मुझे झुल्साने के लिए.
दिन जळते रहे , राते भी गळ गयी
कतरा - कतरा मर रहा तेरी चाहत के लिए.
bahut hi behtrin kya kahoon is chahat ke liye ?
"मजबूरियो के नाम पर, बढा ले तू कितने भी फासले
जवाब देंहटाएंतू चीरेजा कलेजा, मै हू हर घाव सीने के लिए !"
खतरनाक है जी.....
बोले तो.....बहुत बढ़िया!
कुंवर जी,
umda rachna aapki ... beatiful, really touching one...keep going ..
जवाब देंहटाएंbest rgrds
aleem
dil ki kalam se likhte ho
जवाब देंहटाएंwaah...kya likh dis hai..
जवाब देंहटाएंjiyo jiyo..
haan nahi to...!!
मजबूरियो के नाम पर, बढा ले तू कितने भी फासले
जवाब देंहटाएंतू चीरेजा कलेजा, मै हू हर घाव सीने के लिए.......
अच्छी रचना..
haan anamika ji...yaad hai....aap aae achchha laga ...
जवाब देंहटाएंमजबूरियो के नाम पर, बढा ले तू कितने भी फासले
जवाब देंहटाएंतू चीरेजा कलेजा, मै हू हर घाव सीने के लिए !
beautifully written...
...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,बधाई !!!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंयह ओस की आत्मकथा है ।
जवाब देंहटाएंसबकी लकीरों में नसीब के खेल ही होते हैं.....
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ गया--
उम्र कि रिश्ता हमवार नहीं होता
अपना साया भी मददगार नहीं होता
दोस्त मजबूरियों कि बात और है वर्ना
जन्म से कोई गुनाहगार नहीं होता ..
बहुत खूब लिखा है आपने , लाजवाब अभिव्यक्ति लगी
जवाब देंहटाएंवाह .....अनामिका जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!
जवाब देंहटाएंBahut hee badhiya likha hai..lekin'la' ka uchharan Marathi me hota hai,waisa kyon likha hai?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है ! बधाई!
जवाब देंहटाएंशम्मा जी बहुत बहुत शुक्रिया जो आप मेरी पोस्ट पर आई. लेकिन आपने जो 'ला' की तरफ इन्गति कर के कुछ कहना चाहा है वो मुझे समझ में नहीं आया..कृपया हो सके तो मुझे समझाए की आप क्या कहना चाहती है.
जवाब देंहटाएंआभार
अनामिका
खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..उम्दा रचना..बधाई !!
जवाब देंहटाएं____________________
'शब्द-शिखर' पर पढ़ें 'अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस' पर आधारित पोस्ट. अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस के 100 साल पर बधाई.
हर शब्द .....हर पंक्ति अपनी नज़्म कहती लाजवाब ......!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब......!!