गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

ख़ुशी का त्यौहार -बैसाखी

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13 अप्रेल को हम ख़ुशी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं. इस दिन को लेकर हमारे देश में बहुत सी किवंद्तियाँ हैं. वैशाख सक्रांति होने के कारण धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन स्नान दान का महत्त्व तो है ही, सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के कारण इसे सौर वर्ष की शुरुआत भी मना जाता है.   हमारा देश कृषि प्रधान देश है  इसलिए 13 अप्रेल का यह दिन बैसाखी के पर्व के रूप में फसल पकने की ख़ुशी में उल्लास से मनाया जाता है . पंजाब में ढोल की थाप और भंगडे-गिद्दे के रंग इस दौरान दिलों को इन्द्रधनुषी उमंग से भर देते हैं.

Baisakhi

13 अप्रेल 1875 में इसी दिन स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की थी.  बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायी ये भी मानते हैं कि महात्मा बुद्ध को इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. अतः यह दिन कई प्रकार से विशेष महत्त्व रखता है.

 खुशहाली और समृद्धि के इस पर्व के साथ ही त्याग और बलिदान का महत्त्व भी जुड़ा है .  इसी दिन गुरु गोविन्द सिंह ने त्याग की परीक्षा लेकर  खालसा की नींव रखी थी.

13 अप्रेल 1699 को गुरु गोविन्द राय जी ने आनंदपुर साहिब के श्रीकेसगढ़ साहिब में खालसा की स्थापना की. खालसा का अर्थ है 'खालिस' (शुद्ध) . इस पथ के माध्यम से गुरूजी ने जाति-पाति से ऊपर उठकर समानता, एकता, राष्ट्रीयता एवं त्याग का उपदेश दिया था.


बैसाखी के दिन गुरुवाणी के पाठ के दौरान गुरु साहिब जी ने सिक्खों से कहा कि मुझे धर्म और मानवता की रक्षा के लिए पांच शीश चाहिए. श्रीसाहिब (कृपाण) लहराते हुए गुरूजी ने पूछा - कौन मुझे अपना सिर भेंट करने के लिए तैयार है ? लोग घबरा गए. लाहौर का दयाराम साहस करके उठा और बोला - धर्म और मानवता की रक्षा के लिए मेरा तुच्छ शीश अर्पित है, स्वीकार करें. गुरूजी उसे एक तम्बू में ले गए. जब गुरूजी तम्बू से बाहर आये, तो उनकी श्रीसाहिब से लहू टपक रहा था. इस तरह क्रम से दिल्ली के धरम दास, द्वारिका के मोहकम चंद, जगन्नाथ पुरी के  हिम्मत राय और बिदर के साहिब चंद ने शीश देने को हाँ कही. कुछ समय बाद वे पाँचों सुंदर पोशाक पहने तम्बू में से बाहर आये. गुरूजी ने इन पांचों को  'पंज प्यारे' नाम दिया और अमृत छका (चखा) कर सिख के रूप में सजा दिया. उसी समय गुरूजी ने सिंहों के लिए पञ्च ककार (केश, कंघा, कड़ा, कच्छ एवं कृपाण ) धारण करने का विधान बनाया.

इसके बाद पंज प्यारों से अमृत छककर गोविन्द राय गुरु गोविन्द सिंह बन गए. उस दिन हजारों प्राणियों ने अमृतपान कर शोषित मानवता की रक्षा के लिए अकाल पुरुष की फौज बायी. गुरूजी ने 'खालसा' का सृजन कर शक्तिशाली सेना तैयार की. 'चिड़ियन ते मैं बाज तुडाऊँ - सवा लाख से एक लडाऊं'  का उद्घोष करके गुरूजी ने जनता की शक्ति को जगा दिया. उन्होंने 'इनहिंते  राजे उपजाऊं'  कहकर शक्तिहीन जनता को राजनीतिक शक्ति हासिल करने लायक भी बनाया.
Baisakhi


(साभार जागरण )

26 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह! तेरह अप्रैल के ऊपर एक ही साथ, एक ही इतनी ढेर सारी जानकारी .. बहुत अच्छी पोस्ट।
    वैशाखी की शुभकामनाएं।

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  2. अच्छा लगा पढ़ कर........
    बहुत शुक्रिया....

    पर्व की अनेकों शुभकामनाएँ.
    अनु

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  3. बैसाखी के बारे में आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है ! एक बहुत ही सुन्दर प्रासंगिक एवं सामयिक पोस्ट ! बैसाखी की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. जन की स्मृति बहुत कमज़ोर होती है- स्मरण कराना बहुत आवश्यक होता है - आभार !

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  5. बैसाखी पर सुंदर जानकारी.

    बैसाखी के पर्व पर शुभकामनाएं.

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  6. अच्छी जानकारी देती पोस्ट.....वैशाखी की शुभकामनाएं

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  7. बैसाखी पर सार्थक पोस्ट ... अच्छी जानकारी देती हुई ...

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  8. 13 अप्रैल के बारे मे एक बेहद जरूरी बात आप न जाने कैसे भूल गयी है ... नीचे दिये जा रहे लिंक पर आइये ... मलाल नहीं होगा ... मेरा वादा है !

    वैशाखी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !

    इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र -
    बस एक छोटी सी गुज़ारिश - ब्लॉग बुलेटिन

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  9. वैशाखी पर्व की बहुत शुभकामनायें !

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  10. हार्दिक शुभकामनाएँ !

    सार्थक पोस्ट !

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  11. बैसाखी के पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.

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  12. वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
    हार्दिक शुभकामनाएँ

    कृपया इसे भी देखें-

    उल्फ़त का असर देखेंगे!

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  13. ज्ञानवर्धक जानकारी ...संग्रहनीय पोस्ट ...!!
    बैसाखी की शुभकामनायें .....!!

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  14. बैसाखी पर आपको भी शुभकामनायें...रोचक जानकारी देती पोस्ट!

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  15. सर्वप्रथम बैशाखी की शुभकामनाएँ और जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
    सूचनार्थ!

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  16. बैसाखी की शुभकामनायें स्वीकार करें ...

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  17. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  18. बैसाखी के त्य्हार की जानकारी देने का शुक्रिया ... बहुत से लोग आज ये नहीं जानते क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार ...

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  19. जानकारीपूर्ण बढि़या आलेख।
    शुभकामनाएं।

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