शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

आज की ये रात गुज़र जाने दे ..

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आज की ये रात गुज़र जाने दे 
जितने भी आंसू दफ़न हैं सीने में 
सब इस गम पर बह जाने दे. 

तू न रोया तो, सकूँ ना मिलेगा तुझे 
कतरा - कतरा मन के लावे को 
आँखों से निकल जाने दे.

ना टूट जाना कहीं,
ना बिखरना कभी..
तू टूटा तो ये चमन उजड़ जायेंगे 
बिछड़ जायेंगी पत्तियां पेड़ से...
फूल मुरझा जायेंगे..
फिर तू ही बता कि..
बागबान किसको कह पाएंगे..
आज की रात ये बस 
गुज़र जाने दे.

जमाने का क्या है 
रोज़ नए रंग हैं इसके 
मतलब तक ही सब 
बस बनते हैं अपने.

तू पीछे था इनके तो..
दुत्कारते थे तुझको 
आज है जरुरत तो..
पुकारते हैं तुझको 

कल तक जो इन राहों को 
तकते नहीं थे..
आज राहें जुदा हैं तो..
बिलबिलाते हैं दुखी हो .

जीने का हक़ मिले सब को
ये चाहते नहीं हैं.
कोई खुश क्यों है...
यूँ जलते बहुत हैं.

तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे 
आज की ये रात गुजर जाने दे .


63 टिप्‍पणियां:

  1. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .

    आज की स्वार्थी दुनियां का बहुत सार्थक चित्रण..बहुत सुन्दर

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  2. आपकी इस रचना को पढ़कर एक शे’र मन में आया ...

    चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया,
    पत्‍थर को बुत की शक्‍ल में लाने का शुक्रिया।
    सूखा पुराना जख्‍म, नए को जगह मिली।
    स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया।

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  3. ना टूट जाना कहीं,
    ना बिखरना कभी..
    तू टूटा तो ये चमन उजड़ जायेंगे
    बिछड़ जायेंगी पत्तियां पेड़ से...
    फूल मुरझा जायेंगे..
    फिर तू ही बता कि..
    बागबान किसको कह पाएंगे..
    आज की रात ये बस
    गुज़र जाने दे.

    bahut sunder rachna aur ye panktiyaan mujhe acchi lagi..

    जवाब देंहटाएं
  4. कल तक जो इन राहों को
    तकते नहीं थे..
    आज राहें जुदा हैं तो..
    बिलबिलाते हैं दुखी हो .
    ..............

    कोई खुश क्यों है...
    यूँ जलते बहुत हैं.

    तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे ...
    bahut sundar rachna Anamika ji..bahut bahut dhanyavaad !

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  5. जीने का हक़ मिले सब को
    ये चाहते नहीं हैं.
    कोई खुश क्यों है...
    यूँ जलते बहुत हैं.
    एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

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  6. raat ke gujar jaane ke baad ....chamkile suraj ki tarah...behad khubsurat

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  7. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, रचना की विशेषता अंत तक बांधें रखती है, बधाई........

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  8. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .

    रात गुज़र जाने दे ...!!
    दिन तो फिर निकलेगा ही ....!!
    bahut sunder rachna .

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  9. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.
    बहुत सुन्दर पक्तियां हैं अनामिका जी ! जीवन की गहन सचाई और दर्द छिपा है इन पंक्तियों में ! बहुत भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी रचना है ! मेरी बधाई स्वीकार करें !

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  10. यह धैर्य और यह सहनशीलता न्याय करेगी।

    जवाब देंहटाएं
  11. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    बिलकुल सही ... सुंदर भावाभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  12. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    यही चलन है ..रात गुज़रने के बाद फिर नए दिन की शुरुआत होगी ...अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  13. तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको
    वाह क्या बात कही आप ने, सहमत हे जी आप की रचना से, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  14. अक्सर दर्दनाक रचनाये दे रही हो ...कभी स्वाद बदलना भी चाहिए ! शुभकामनायें !!

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  15. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .

    लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...

    जवाब देंहटाएं
  16. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.
    अनामिका जी,
    इन पंक्तियों में सब कुछ कह दिया आपने.

    जवाब देंहटाएं
  17. सब्र कर ये रात गुजर जाने दे ...
    आंसुओं से भरी कितनी ही लम्बी रात हो , गुजर ही जाती है ...
    इसलिए नयी सुबह के इन्तजार की रौशनी भी है इनमे ...

    जवाब देंहटाएं
  18. तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको

    बिलकुल सही कहा है आपने.
    मेरे ब्लॉग पर बहुत दिनों से आपका नहीं हुआ.

    जवाब देंहटाएं
  19. तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको

    कल तक जो इन राहों को
    तकते नहीं थे..
    आज राहें जुदा हैं तो..
    बिलबिलाते हैं दुखी हो .aaj ke vaqt ko sahi darpan dikhaya hai....ye dunia yesi hi hai...matlabi
    bahut achchi prastuti hai.

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  20. ज़िन्दगी की सच्चाइयां उतार दी हैं।

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  21. बहुत खुबसूरत.......नयी आशा का संचार करती है ये पोस्ट साचा है रात के बाद ही सवेरा होता है......प्रशंसनीय |

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  22. कमाल की रचना..शब्द और भाव दोनों अद्भुत पिरोये हैं आपने...बधाई स्वीकारें
    नीरज

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  23. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .

    इन्ही दो लाइनो में सारी कविता का सार है।

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  24. wah bahut sunder
    sochta hoon itna accha kaise likha jata hein badhai

    जवाब देंहटाएं
  25. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.


    this is bitter fact,very nice.

    जवाब देंहटाएं
  26. तू टूटा तो ये चमन उजड़ जायेंगे
    बिछड़ जायेंगी पत्तियां पेड़ से...
    फूल मुरझा जायेंगे..
    फिर तू ही बता कि..
    बागबान किसको कह पाएंगे..
    बहुत खुबसूरत......ज़िन्दगी की सच्चाइयां उतार दी हैं
    प्रशंसनीय....

    जवाब देंहटाएं
  27. आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
    मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

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  28. अच्छी रचना ....

    अगर आप क्षणिकायें लिखती हैं तो .......
    कुछ दस, बारह बेहतरीन क्षणिकायें 'सरस्वती -सुमन' पत्रिका के लिए
    अपने संक्षिप्त परिचय और छाया चित्र के साथ यहाँ भेजें ....

    harkiratheer@yahoo.in

    जवाब देंहटाएं
  29. anamika ji
    jivan ki sachchai ko har panktiyon me utaar kar rakh diya hai aapne.bahut hi lazwaab


    जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको
    bilkul jamaane ka dastur aaj -kal yahi hai
    bahut hi sateek avam sarthak prastuti ke liye
    bahut bahut badhai
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  30. तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको

    कल तक जो इन राहों को
    तकते नहीं थे..
    आज राहें जुदा हैं तो..
    बिलबिलाते हैं दुखी हो .
    Kya khoobsoorateese zindagee kee asliyat se ru-b-ru kara diya!

    जवाब देंहटाएं
  31. जिंदगी की तल्ख़ सच्चाइयों को बड़ी बेबाकी और खूबसूरती से बयाँ करती हुई आपकी रचना सार्थक जीवन सन्देश देती है |

    जवाब देंहटाएं
  32. तू पीछे था इनके तो..
    दुत्कारते थे तुझको
    आज है जरुरत तो..
    पुकारते हैं तुझको
    aaj ki duniya me aesa hi hota hai.
    sahi likha hai aapne
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  33. bahut hi sunder rachanaa.jarurat per hi log aapko pukarte hai.nahin to muha mod ker vchale jaate hain.aaj kal ki swarthi duniya ka sahi chitraan.badhaai aapko

    please visit my blog www.prernaargal.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  34. भावनाओं में सिमटे दर्द
    और जिंदगी की कशमकश का
    बहुत सटीक चित्रण ......

    जवाब देंहटाएं
  35. आज की ये रात गुज़र जाने दे
    जितने भी आंसू दफ़न हैं सीने में
    सब इस गम पर बह जाने दे.

    जिंदगी की कशमकश का बहुत सटीक चित्रण. बहुत सुंदर लगी यह कविता. देरी से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  36. पहली बार आपके ब्लॉग पर आकर आपकी भावपूर्ण रचना को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.अंतर्मन की कशिश को बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने. सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.आपका हार्दिक स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  37. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .

    बहुत खूब.
    उम्मीद की किरण यूं ही जगाये रखिये,

    जवाब देंहटाएं
  38. सुन्दर अभिव्यक्ति, शब्द और भाव दोनों बहुत सुन्दर

    लिखती रहिये...

    जवाब देंहटाएं
  39. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  40. क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

    जवाब देंहटाएं
  41. तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
    आज की ये रात गुजर जाने दे .
    आज के माहोल पर एक सुन्दर कटाक्ष |
    खुबसूरत रचना |
    एक शेर अर्ज़ है ::::::::::
    चोट पे चोट दिल पे खाए हुए
    लब फिर भी हैं मुस्कुराये हुए
    इन हसीं वादियों में बैठी हूँ
    प्यार की शम्मा जलाये हुए |

    जवाब देंहटाएं
  42. प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
    दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
    श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
    क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
    अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
    यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

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  43. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    यही तो दुनिया है और दुनिया में रहने के अनुभव...

    जवाब देंहटाएं
  44. वाह..कितनी सुंदर अभिव्यक्ति... अच्छी कविता..धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  45. सुर नर मुनि सबकी यह रीती
    स्वारथ लाग करइ सब प्रीती
    कल तक तो इन राहों को तकते नहीं थे आज राहे अलग है तो दुखी है इस का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हो पाया है ।
    मतलब की बात ---
    घर वालों ने प्यार जता कर गैरों ने मक्कारी से
    मुझको तो मिल जुल कर लूटा सबने बारी बारी से

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  46. मेरे ब्लॉग पर मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.'सरयू' स्नान का न्यौता है आपको.कृपया भूलिएगा नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  47. जिंदगी की तल्ख़ सच्चाइयों को बेबाकी और खूबसूरती से बयाँ करती रचना सार्थक जीवन सन्देश देती है |

    जवाब देंहटाएं
  48. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    bahut sahi kaha hai aapne mama yahan sab matlab tak hi apne hain

    जवाब देंहटाएं
  49. तू न रोया तो, सकूँ ना मिलेगा तुझे
    कतरा - कतरा मन के लावे को
    आँखों से निकल जाने दे.

    शानदार रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  50. बहुत बढ़िया लिखा है आपने.
    -------------------------------------
    कल 17/06/2011 को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है.
    आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है .

    धन्यवाद!
    नयी-पुरानी हलचल

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  51. खूब लिखा है लिखती रहना.
    उदगारों को कहती रहना.

    जवाब देंहटाएं
  52. जमाने का क्या है
    रोज़ नए रंग हैं इसके
    मतलब तक ही सब
    बस बनते हैं अपने.

    आज की तो यही दुनिया है ....स्वार्थ ही स्वार्थ है...
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  53. तू न रोया तो, सकूँ ना मिलेगा तुझे
    कतरा - कतरा मन के लावे को
    आँखों से निकल जाने दे.

    dubaara tippani karna pad raha hai.....

    mgar kahna hoga bahut hi uchh star ki rachna....

    behad behad khooobsoorat!!!!!!!!

    "ye raat to guzar jayegi magar,
    aur bhi raaton ka aana abhi baaki hai"!!!

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