शुक्रवार, 18 मई 2012

लौट आओ न पापा !


आज १८  मई पर ये चंद शब्द मेरे पापा की ११ वीं बरसी पर .....एक बेटी की बातें अपने पापा से ......



पापा देखो ना आज 
मैं कितनी सायानी हो गयी हूँ.
आँखों में  नमी नहीं आने देती
सदा मुस्कुराती हूँ.
सबके चेहरों पे हंसी लाती हूँ.
आपने ही सिखाई थी न ये सीख  ....
संतुष्टि के धन को संजोना
शिकायत न करना !


आपने ही अपनी धडकनों से 

लगा मेरी धडकनों को
लोरियां सुनाई थी
मैं भी अपने बच्चों को
अपने सीने से लगा
ऐसी ही लोरियां सुनाती  हूँ,  पापा !

आप सदा कहते थे न
मैं आपका अच्छा बेटा  हूँ
मैं अच्छी भी बन गयी हूँ  

पापा अब तो लौट आओ न पापा !

पापा आपके बिना तो मैं

सागर हो कर भी मरुस्थल हूँ.
सबके बीच स्वयं को भुला कर भी
आपको नहीं भुला पाती पापा !

पापा तो सदा पापा ही रहते हैं ना 

फिर आप  'पापा थे'  कैसे हो गए ?
मैं तो आज भी आपकी ही बेटी हूँ.
लौट आओ न पापा !

xxxxxxxxx


पपीहा तरसे ज्यू सावन को
मन तरसे बाबुल अंगना को
कैसे उस घर की राह करूँ, जहाँ
बाबुल नहीं  अब गल्बैयन को


जब जब उस देहरी जाऊं
हर कोने मोरे बाबुल पुकारें
नयन निचोडूं के मन को भींचूं
यादों की अगन जलाये.


पैरों  पर  मेरे पैर संभाले   

दुनिया में चलना सिखाया था 
सीने से लगा इस लाडो की  
हर चोट पे मरहम लगाया था. 

साथ बैठा कर दक्ष कराया
पढ़ा लिखा कर ज्ञान बढाया था
हाथ पकड़ दूजे हाथ में सौपा,
बिटिया का घर संसार सजाया था.


सदाबहार के फूल सुगंध से
बाबुल अनत्स्थल में समाये हो
बाबुल-बाबुल मन ये पुकारे
जहाँ भी छुपे हो आ जाओ ना. 


38 टिप्‍पणियां:

  1. आपने बहुत ही भाव से भरी बातें की है।
    पापा को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  2. पापा का आशीर्वाद कहीं नहीं गया ... आपकी छवि में पापा भी हैं

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  3. अंतर का सारा दर्द इन पंक्तियौं में समा गया है .
    प्यारे पाप हमेशा साथ थोड़े ही रहते हैं ,आगे बढ़ने योग्य बना कर, रास्ता दिखा कर चले जाते हैं ,छोड़ जाते हैं अशेष आशीर्वाद !

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  4. ह्रदय की पीड़ा ...छलक रही है ...!
    बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ....!!
    पिता जी को नमन ...!!

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  5. पिता की याद में अंतस से निकली पंक्तियाँ ... भाव प्रवण प्रस्तुति

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  6. भावुक कर गयी आपकी यह रचना ! आँखों के आगे अपने बचपन के भी असंख्य मंज़र गुज़र गये और मुझे मेरे 'बाबूजी' की याद दिला गये ! बहुत ही कोमल भावों से सिक्त मर्मस्पर्शी प्रस्तुति !

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  7. पापा है अनामिका जी ....आपके एकदम पास....आप मह्सूस कर सकतीं होंगी उनका हाथ अपने सर पर..........
    झाँक कर देख रहे हैं इस कविता से...अपनी समझदार बेटी को......

    सस्नेह

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  8. माँ बाप का आशिर्बाद हमेशा अपने बच्चों पर बना रहता है,
    ह्र्दयस्पर्शी सुंदर प्रस्तुति,...

    MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
    MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....

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  9. आपके पिता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि!
    --
    मार्मिक प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  10. हृदय भिगोती पंक्तियाँ, विनम्र श्रद्धांजलि..

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  11. बहुत भाव भरी श्रद्धाजंली...आभार!

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  12. मन को छू जातीं भावपूर्ण पंक्तियाँ...विनम्र नमन

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  13. भावप्रवण्……आपके पिता जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  14. दिल को छू लेनेवाली पंक्तिया,,, आपके पापा जी को विनम्र श्रद्धांजलि...

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  15. मर्मस्पर्शी प्रस्तुति भावुक कर गयी ...

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  16. ... भावुक कर गयी पंक्तिया आपके पापा जी को विनम्र श्रद्धांजलि...!!!

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  17. भावभरी, मन को छूती और भावुक करती रचना

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  18. भावपूर्ण रचना , हृदयस्पर्शी...... विनम्र नमन

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  19. माता-पिता तो सदैव अपने बच्चों के साथ रहते है किसी ना किसी रूप में |

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  20. पापा जल्दी आ जाना , अच्छी सी गुडिया लाना , बहुत पसंद था यह गीत !
    आज आपको पोस्ट पढ़ते हुए बहुत याद आया !आँखें भर आई ...
    भावभीनी रचना ...
    पिता को नमन !

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  21. आपकी कविता पढ़ा तो आज न जाने क्यूं मुझे भी अपने बाबूजी की याद आ गई । किसी भी व्यक्ति के पापा गुजरते नही केवल पर्दा कर लेते हैं, लेकिन उनका साया सदा साथ ही रहता है । मन अधीर हो गया । पापा को विनम्र श्रद्धांजलि । धन्यवाद ।

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  22. भावमय करते शब्‍दों का संगम ... इस अभिव्‍यक्ति में ...

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  23. हाँ पिता ता उम्र एक स्वार्थ हीन छाता रहता है बच्चों का जो ज़माने की आंच से बचाए रहता है .बाबुल का घर छूटना और बाबुल का दैहिक रूप से मुक्त होना दोनों ही संवेदना को झकझोरते हैं नारी की .बेहतरीन सह भावित रचना .लिखी आपने भोगी हमने भी इस की करुणा प्रेम और ...भाव व्यंजना को .

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  24. हृदय ,आँख सब नम कर गई ये आपकी प्रस्तुति भावभीनी श्रधान्जली पापा को दिल भारी हो गया ...मुझे भी पापा की याद आ गई

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  25. वे सदैव आपके साथ है | उनका स्नेह और आशीर्वाद हमेशा आपको मिलेगा | विनम्र श्रद्धांजलि सहित |

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  26. भावुक करती रचना... आपके पिताजी को श्रद्धा सुमन अर्पित...

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  27. Papaji pe kee gayee rachana se meree aankhen bhar aayeen...mujhe apne dadaji yaad aa gaye.

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  28. भाव विकल करती रचना .पर पगली जाने वाले कभी नहीं आते ,जाने वालों की याद आती है .फिर उनका एक अनुवांशिक अंश हम समोए हुए हैं ,कौन कहता है हम अकेले हुएँ हैं .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    रविवार, 20 मई 2012
    कब असरकारी सिद्ध होता है एंटी -बायटिक : ये है बोम्बे मेरी जान (तीसरा भाग ):

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  29. wakai me bhavuk kar diya...bahut hee shasakt rachna..dono rachnayein apne uddeshy me safat huin hain..sadar badhayee ke sath

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  30. बेटी की पापा के लिए मासूम सी जिद्द...बहुत प्यारी अभिव्यक्ति..आभार...

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  31. इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  32. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  33. मार्मिक ... दिल कों छूते हैं आपके जज्बात ... सच्ची रचना ... पापा कों मेरी विनम्र श्रधांजलि ...

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  34. आप के पिता जी को हार्दिक श्रद्धाँजलि !!

    कविता के लिये कुछ कहने को शब्द नहीं हैं मेरे पास ,,बस लगा जैसे कोई मेरी व्यथा ही सुना रहा हो
    मर्मस्पर्शी रचना !

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  35. सबके चेहरों पे हंसी लाती हूँ.
    आपने ही सिखाई थी न ये सीख ....
    संतुष्टि के धन को संजोना
    शिकायत न करना !

    आपके पापा की यादें सदा आपको आत्मशक्ति प्रदान करती रहें, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

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