मंगलवार, 4 सितंबर 2012

दरारें मुनासिब नहीं




प्यार के बदले 
प्यार मिले 
ये जरुरी नहीं
एक दूसरे की 
चाहत मिल जाए 
ये कम तो नहीं.

मिल न पायें 
इक दूजे से 
मजबूरियों के चलते 
तो कोई बात नहीं..
ख्यालों में 
किसी के रहना भी 
कुछ कम तो नहीं.

मुमकिन है 
विचार मिलें, न  मिलें ...
दर्द एक दूसरे का 
समझ से परे हो नहीं.

नम हो जाएँ जो आँखे
किसी की सीली रातों के 
खामोश, तन्हा दर्द पे 
ये क्या काफी नहीं 
अपनेपन के लिए.

समझ लें ये बातें 
जो  कही जाती नहीं
तो दरारें किसी रिश्ते में 
मुनासिब नहीं.


28 टिप्‍पणियां:

  1. ज़ख्मों को सहलाती सी और उन पर मरहम सा रखती एक बहुत प्यारी रचना ! आभार एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर....
    मगर मन समझता कहाँ.....उसकी लालसाओं का तो कोई अंत ही नहीं है...

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत प्यारी रचना...एक का दर्द दूसरा महसूस कर ले इससे ज्यादा अच्छी कोई बात नहीं|

    जवाब देंहटाएं
  4. विचार मिले न मिले , दर्द समझे यह भी कम नहीं !
    सच !

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut sundar likha hai Anamika ji .....मुमकिन है विचार मिलें, न मिलें ... दर्द एक दूसरे का समझ से परे हो नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर रचना..
    समझ लें ये बातें
    जो कही जाती नहीं
    तो दरारें किसी रिश्ते में
    मुनासिब नहीं.
    बेहतरीन......
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  7. समझ में आने वाली बातें कही नहीं जाती हैं...

    जवाब देंहटाएं
  8. खुबसुरत भावनात्मक प्रस्तुति.

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  9. जो कही नहीं जातीं उन्हीं में सारा मर्म समाहित होता है !

    जवाब देंहटाएं
  10. कम तो कुछ भी नहीं पर लालसा बढ़ती जाती है जो अंत में दुख का कारण बन जाती है ।
    भावप्रवण रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. सच है की ये जरूरी नहीं ... पर मन है की पूरा ही पाना चाहता है ...
    एहसास लिए प्यारी रचना ...

    जवाब देंहटाएं

  12. प्यार के बदले
    प्यार मिले
    ये जरुरी नहीं
    एक दूसरे की
    चाहत मिल जाए
    ये कम तो नहीं.
    ......यही काफी है

    जवाब देंहटाएं
  13. समझ लें ये बातें
    जो कही जाती नहीं
    तो दरारें किसी रिश्ते में
    मुनासिब नहीं.

    ...बहुत सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..

    जवाब देंहटाएं
  14. हर किसी को कहाँ प्यार मिल पाता है.....यही वजहें हैं शायद ।

    जवाब देंहटाएं
  15. ज़ख्मों को सहलाती सी और उन पर मरहम सा रखती एक बहुत प्यारी रचना!
    .एक का दर्द दूसरा महसूस कर ले इससे ज्यादा अच्छी कोई बात नहीं!
    विचार मिले न मिले , दर्द समझे यह भी कम नहीं !
    सुन्दर!

    जवाब देंहटाएं

  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई.

    कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen " की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें, आभारी होऊंगा .

    जवाब देंहटाएं
  17. समझ लें ये बातें
    जो कही जाती नहीं
    तो दरारें किसी रिश्ते में
    मुनासिब नहीं.

    काश!ऐसा संभव हो पाता । इन दरारों के लिए हम अपने ही अंदर झांक कर देखे तो जीवन में बहुत से ऐसे अवसर आए है जब न चाहते हुए भी दरारें हमारे जीवन में अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती हैं। आपकी भाव-प्रवण कविता बहुत ही अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  18. tmam pichhhli rchnaye aaj ji bhr kr pdhi . bhut khoob likh rhi hai . ''draren munasib nhi ''sheershak ne hi sbse phle aakrshit kiya . fir kvita ne mashaallah kya rvangi pai hai . anamika ji bhut umda . bdhaiyan .

    जवाब देंहटाएं
  19. Dear Anamika Ji
    I want to have a copy of Prabandh Manjari with Autobiography of Hrishikesh Bhattachary. Your help in this regard will be highly appreciable.
    Regards.
    Surjeet Nagpal (Agra)
    email: nagpalss@gmail.com
    Mob. 09837054002

    जवाब देंहटाएं
  20. Dear Anamika Ji
    I want to have a copy of Prabandh Manjari with Autobiography of Hrishikesh Bhattachary. Your help in this regard will be highly appreciable.
    Regards.
    Surjeet Nagpal (Agra)
    email: nagpalss@gmail.com
    Mob. 09837054002

    जवाब देंहटाएं