मंगलवार, 10 जून 2025

“माँ " आस पास महसूस होती हो

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जाने क्यों आजकल अक्सर
माँ मुझमें चहल - कदमी सी करती 
महसूस होती हो

ख्वाबों में ही सही
मंद मंद मुस्काती तुम
उलझनों में फँसी मुझे
दिलासा देती हुई सी
परेशानियों की झाड़ियों से
हाथ पकड़ खींचती हुई सी
माँ आजकल अक्सर
मुझमें ही चहल कदमी करती सी
महसूस होती हो !!

रात के ख्वाबों में विचरती
गुमसुम बैठी माँ तुम्हें ही
बुन रही होती हूँ
और लगता है
कि पलभर को तुम्हारा साया
मेरे पास आया और निकल गया

जाने क्यों आजकल अक्सर
माँ मेरे आस पास चहल कदमी सी
करती महसूस होती हो !!

बच्चे भी ठिठोली कर कहते हैं
‘माँ ’ आजकल आप
अपनी माँ जैसी लगती हो
नानी जैसी बातें करती हो ,
नानी जैसी हँसती हो ,

और माँ मैं तब तुम्हारी
होठों के कोरों तक फैली
मुस्कान वाली तस्वीर देखती हूँ
और अपना ही अक्स पाती हूँ

“माँ " आजकल न जाने क्यूँ
अक्सर तुम
मुझमें ही चहल कदमी करती
महसूस होती हो !!

2 टिप्‍पणियां:

  1. हृदयस्पर्शीय।
    भोजपुरी में एक गीत है "अमृत के धार केहू केतनो पियाई एगो माई बिना , कईसे करेजवा जुड़ाई एगो माई बिना....."

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  2. माँ का अंश है संतान, वह उसमें जीवित रही है जैसे सरिता लेकर पर्वतों का जल मैदानों में बही है

    जवाब देंहटाएं