असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
थपका दो जरा..
मेरी हिज्र की रातों को
अपने स्पर्श से.
ढक लो एक बार
अपनी चांदनी की ठंडक से .मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.
तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर.
आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.
54 comments:
बड़े ही नाज़ुक एह्सासात को शब्दों में समेट कर बहुत सुंदर प्रस्तुति
असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
बहुत ख़ूब !
pyaar ka aagrah...bahut sundar...
मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.
सच में जब हमें किसी से सच्चा प्यार होता है तो उसके पास आकर हमारे सभी दुःख दर्द दूर हो जाते हैं ...आपने एक विनम्र आह्वान करते हुए उस भाव को अभिव्यक्त किया है ....आपका आभार
ओस की ताजगी में भीगी -प्रेम रस में डूबी बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.
bhawuk abhivyakti
कष्ट की अनुभूति में, अपने की उपस्थिति का अनुभव ही बड़ी राहत देता है ! शुभकामनायें !!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
थपका दो जरा..
मेरी हिज्र की रातों को
अपने स्पर्श से.
ढक लो एक बार
अपनी चांदनी की ठंडक से .
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
चित्र भी बहुत अच्छा है।
बहुत ही खुबसुरती से गढ़ा है भावों को...लाजवाब....बहुत ही सुंदर।
atyant komal bhawon ki kavita hai.....bahot khoobsurat.
असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
कमाल की भावासक्ति.....बहुत सुंदर अनामिका जी
आत्मीयता से भरी पूरी अभिव्यक्ति।
भावयुक्त प्रणय निवेदन!! खूबसूरत रचना!!
तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर.
कितनी खूबसूरती से भाव पिरोए हैं आपने...बधाई.
बहुत सुंदर प्रस्तुति, धन्यवाद
असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ..
प्यार भरी मनुहार ...खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर प्रस्तुति .... शुभकानाएं ...
सुन्दर रचना
आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.
Kitna bhavuk,kitna komal israar hai!
होली के अवसर पर बहुत उम्दा प्रस्तुति!
इंतज़ार की इंतिहा होने से पहले बड़े नाजुक से एहसासों के साथ बुला लिया है प्रिय को ...
एक राजस्थानी गीत याद आ रहा है ... " पिया आओ तो मनड़ री बात कर ल्यां"
बेहद खूबसूरत रचना !
संवेदना से भरी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर...
बहुत रूमानियत लिए ... नाज़ुक एहसासों में समेटा है इस रचना को ....
बहुत लाजवाब ...
आपकी कविताओं कि इन पंक्तिओं में ऐसी पुकार है कि अनमनी प्रकृति भी दौड़ी चली आई है . दर्द का मंजर और प्रिय के सानिध्य की चाह को चांदनी और मेघ के मौजूदगी की गुजारिश ने इस कविता को अद्भुत बना दिया है. शुक्रिया.
बहुत अच्छी कविता/नज़्म।
कुछ रोने--बिसुरने से बाहर तो निकली आपकी लेखनी।
आखिर सब जगह फगुआगट चढ जो रहा है। और फॉंट के रंग का चयन (गुलाबी) होली के साथ नज़्म के अनुकूल भी है।
... और इस नज़्म के लिए एक शे’र
कब से दरवाज़ों को दहलीज़ तरसती है ‘निज़ाम’
कब तलक़ गाल को कोहनी पे टिकाये रखिए
pranay nivedan.....shaandaar
वाह्………………प्यार भरा निवेदन्……………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.
वाह ...बहुत ही सुन्दर ।।
असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल
तुम्हारे पास आया हूँ.
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
कमाल की भावासक्ति.
बहुत सुंदर अनामिका जी
निमंत्रण आने का अपने प्रिय से , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
तराशे भावों और सहेजे गए शब्दों में मुस्कराती कविता.
anamika ji
bahut hi sundar
kya likhun ,aapne itne pyar apne pyaar ka ijhaar priytam se kiya hai to kya bhal vo ise thukra payenge .doude chale aayenge aapke daman ko chandani raat sikhushhiyo se bharne ke liye.
sach! bahut hi behtreen pranay ki abhivykti.aur shabdo ka chayan to kaita ko char chaand laga hi raha hai.
aabhar
poonam
बहुत ही प्यारी कविता ! हिज्र की यह रात वस्ल की रात में बदल जाये और प्यार भरी इस मनुहार का मान रखा जाये यही कामना है ! इतनी खूबसूरत एवं कोमल सी रचना के लिये बहुत-बहुत बधाई एवं होली की ढेर सारी शुभकामनायें !
bahut sunder kavita likhi hai aapne...
खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
कोमल एहसास की सुन्दर रचना
बहुत सुंदर कविता है..
प्रेम की पिपासा...कितने मधुर शब्दों में..वाह..
मासूम कामनाएं
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!
स्त्री प्रेम है। सबको तलाश है उसे पाने की।
bhut khoob kya baat hai
bhut acha likha
तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर....
wow Anamika ji ,
Excellent creation !
.
अच्छा लगा यूँ प्यार के रंग में रंगना. प्यार के मेघ नहीं अब तो प्यार के रंग के बरसने का मौसम आ गया है
Dr.Rama Dwivedi...
सुन्दर ,मार्मिक रचना के लिये बधाई एवं होली की ढ़ेर सारी मंगलकामनाएं......
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.
sundar aur bhavpoorn ,holi ki dher saari badhai poore parivaar ko .
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
नेह और अपनेपन के
इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
अनामिका जी
रंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !
आओ न प्रिये !
प्यार का मेघ बरसा दो
इस अकुलाते-तपते हृदय पर …
बहुत सुंदर प्रणय रचना के लिए हार्दिक बधाई !
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर रचना! आपको अनेकानेक शुभकामनायें
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