बुधवार, 6 जुलाई 2011

कलम इनकी जय बोल..

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कलम इनकी जय बोल..
कैसे ये पासे फैंकते है..
करोड़ो के घोटालों को 
मिनटों में खेळते हैं.

कलम इनकी जय बोल..
कभी चारे में खाते हैं..
कभी बंदूकों से लेते हैं..
अरे देखो इन्हें ये तो 
ना मिड डे मील छोड़ते हैं.

कलम इनकी जय बोल..
कोई भूख से  सोता है 
कोई मातम में  रोता है  
मगर सियासतदारों के  घर में 
नित नया जश्न  होता है .

कलम इनकी जय बोल.
डूबे हैं गर्त में इतने कि 
बहन - बेटी को भी भूले हैं 
भगवान कुर्सी है इनकी 
और पैसों में खुद को तोले हैं  

कलम  इनकी जय बोल.
जिनकी सियासत में 
गरीब को मरने में मुक्ति है 
और आम जनता को 
गूंगे बनने की लाचारी है  

कलम इनकी जय बोल..
जहाँ हत्यारे सरपरस्त हैं ऐसे  
पैरों में  कानून को रखते हैं 
और पैसा स्विस में भरते हैं.

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये 
जिसे दिन रात ओढें हैं  
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं 
कि इसी अंतिम चोले में 
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

कलम इनकी जय बोल..

50 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं

बहुत सच्चाई के साथ आपने आज की राजनीतिज्ञों का कच्चा चिट्ठा खोला है... बहुत बहुत बधाई !

संध्या शर्मा ने कहा…

वर्तमान परिस्थितियों का सच्चा चित्र खीच दिया है आपने इस रचना के माध्यम से........ बेहतरीन प्रस्तुति

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपने सच ही लिखा है आज कलम इन सब की ही जय बोलती है ... कितनी विडंबना है ...

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

khoobsurat kavita... aaj ke sandarbh me vyangya, katksha ke saath rachit kavita achi hai...

मनोज कुमार ने कहा…

@ मेरे पास अपना कुछ नहीं है, जो कुछ है मन में उठी सच्ची भावनाओं का चित्र है और सच्ची भावनाएं चाहे वो दुःख की हों या सुख की....मेरे भीतर चलती हैं.. ...... महसूस होती हैं ...और मेरी कलम में उतर आती हैं .....!!
आपके पास कहने को बहुत कुछ है। और आज जो आपने कहा है वो बिल्कुल हक़ीक़त है। समाज को आइना दिखाती आपकी यह रचना एक अलग ही आपकी तस्वीर पेश करती है जो समाज का भला चाहता है, एक बदलाव चाहता है।

vandana gupta ने कहा…

आज की सच्चाई की कलई खोलती एक उम्दा रचना…………

Manish Khedawat ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
जिनकी सियासत में गरीब को मरने में मुक्ति है
और आम जनता को गूंगे बनने की लाचारी है ||

sachhai ko bada bakhoobi bayaan kiya hai aapne :)
____________________________________
किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||

Anupama Tripathi ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

कलम इनकी जय बोल..

बहुत बढ़िया लिखा है ...
मान गए आपको अनामिका जी ...
गहन विचारों के बाद निकला है मन का गुबार ...

केवल राम ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

कलम इनकी जय बोल..

सच को वयां करती आपकी यह पोस्ट वर्तमान व्यक्ति की कारगुजारी का सच्चा चित्र खींचती है ....आपका आभार

Kailash Sharma ने कहा…

सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं....

वर्तमान राजनीतिक परिवेष का बहुत सटीक चित्रण किया है..बहुत सटीक व्यंग..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

सदा ने कहा…

वाह .. बहुत ही बढि़या ..।

Udan Tashtari ने कहा…

क्या कहें...बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

वाह क्या बात है...
अपनी रचना के मायध्य से आपने तीखा कटाक्ष किया है भ्रष्टाचारियों पर...बहुत खूब.

रजनीश तिवारी ने कहा…

आज के मसीहा तो यही लोग हैं , जयजयकार इन्हीं सफेदपोशों की होती है !बहुत अच्छा व्यंग्य ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश कलम को यह सब न करना पड़े।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

'कलम इनकी जय बोल..
जहाँ हत्यारे सरपरस्त हैं ऐसे
पैरों में कानून को रखते हैं
और पैसा स्विस में भरते हैं.'

क्या ग़जब की रचना...बिल्कुल आज के परिवेश को पानी पिलाती...बधाई और आभार

kshama ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

कलम इनकी जय बोल..
Kya zabardast rachana hai!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

समसामयिक विषयों पर गहरा कटाक्ष करती अच्छी प्रस्तुति

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

jai jai jai ho....

achha vishay chuna hai aapne....

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut achchi kataksh karti hui rachna.

Dr Varsha Singh ने कहा…

लाजवाब व्यंग्य.....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आज तो वाकई आपके तेवर बदल गए हैं और सुर भी... आज तो आपने भी हमारी "संवेदना के सुर" अख्तियार कर लिए हैं.. ज़बरदस्त व्यंग्य!!

Sadhana Vaid ने कहा…

आज तो लगता है किसीकी खैर नहीं ! बहुत आग दिखाई दे रही है दिल में जिसकी तपिश में सारे स्वार्थी और भ्रष्टाचारी नेता भस्मसात होते नज़र आ रहे हैं ! जयकारे के बाह्य आवरण के पीछे जो प्रहार है वह बहुत मारक है ! समसामयिक एवं बेहद उम्दा पोस्ट के लिये बधाई !

M VERMA ने कहा…

कलम कैसे जय बोल सकता है ...
विसंगतियों का सुन्दर चित्रण

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

बेनामी ने कहा…

कलम इनकी जय कैसे बोलेगी?न पहले बोलती थी ना अब बोलेगी.ये सब खाते जायेंगे इनका हाजमा बहुत मजबूत है.तुम्हारी कलम जरूर रो रही है ये सब देख क्र.इसे कहो -वक्त लगेगा जब 'ये' अच्छे काम भी करेंगे देश और देशवासियोने के लिए तब तुम्हारी कलम गीत रचेगी इन के लिए.अभी तो इनकी न खत्म होने वाली भूख खत्म होने का नाम नही ले रही है डिअर

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर.......'कलम इनकी जय बोल' की जगह 'कलम इनकी पोल खोल' होता तो ज्यादा सटीक बैठता......कलम का काम ऐसे चेहरों पे से नकाब को हटाने का होता है........शानदार|

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं

सभी पंक्तियाँ विचारणीय भाव संजोये हैं..... बहुत बढ़िया

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत खूब लिखा है अनामिका जी. देश की हर समस्या पर आपकी निगाह गई है, और बखूबी लिखा है आपने ''कलम इनकी जय बोल''... बधाई स्वीकारें.

شہروز ने कहा…

चुभता प्रभावी व्यंग्य.
समय हो तो युवतर कवयित्री संध्या की कवितायें. हमज़बान पर पढ़ें.अपनी राय देकर रचनाकार का उत्साह बढ़ाना हरगिज़ न भूलें.
http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_06.html

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अद्भुत...क्या कुछ नहीं है इस रचना में...सारी त्रासदियाँ शब्द बन कर सामने आ गयी है आपकी इस कमाल की रचना में...आपके कुशल लेखन को एक बार फिर से प्रमाणित करती इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

नीरज

virendra sharma ने कहा…

भगवान् कुर्सी है इनकी ,
पैसों में खुद को तौले हैं ,
कलम इनकी जय बोल ..
जय बोलते बोलते आपने सारी पोल भी खोल दी है .सटीक अपने वक्त से संवाद करती रचना .

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कलम इनकी जय बोल..जहाँ हत्यारे सरपरस्त हैं ऐसे पैरों में कानून को रखते हैं और पैसा स्विस में भरते हैं.
nihshabd kiya is jay ne

वाणी गीत ने कहा…

ना छोड़ें कुछ भी मिड डे मील या उड़ाते रहे कानून और संविधान की धज्जियाँ ,
मगर कलम तू इनकी जय बोल ...
मौजूदा हालत और आम आदमी की छटपटाहट , दोनों ही मुखर हुई हैं !
बहुत बढ़िया !

रविकर ने कहा…

achchhi rachna ||

badhaai ||

रविकर ने कहा…

कोई भूख से सोता है
कोई मातम में रोता है
मगर सियासतदारों के घर में
नित नया जश्न होता है ||

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत कविता ! सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है!

KK Yadav ने कहा…

आजकल कलम नहीं इंटरनेट और मीडिया चैनल ज्यादा बोलते हैं..

Vivek Jain ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति,

विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Amrita Tanmay ने कहा…

Aapki kalam ki bhi jay bol jo itna satik likha hai

सुनीता शानू ने कहा…

aapki kalam ne to inki pol khol di hai anamika ji...:) achhi rachana hai, aajki haqikat ko bayan karti hui...

Rakesh Kumar ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति.दिल पर दस्तक देती हुई.
आक्रोशित भावों को दर्शाती हुई.
मन को मनन के लिए मजबूर करती हुई.
ये शब्द सीधी मार करते हैं

'कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.'

अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.

आनन्द विश्वास ने कहा…

इतिहास साक्षी है, कलम ने आज तक, सच के आलावा किसी की और की जय नहीं बोली है. कलम ने भ्रष्ट लोगों को बे-नकाब किया है.
आपकी कलम ने भी इस काम को बड़े
सुन्दरढंग से प्रस्तुत किया है. धन्यवाद
आनन्द विश्वास.
अहमदाबाद.

RAJWANT RAJ ने कहा…

anamika
bhut hi oojpurn aahwahn hai .
smaj ke bhrshtachar ke pani me isi trh ki knkdiyo ko bar bar fekne ki jroorat hai .chetna ki lhren utrayengi our ek din schchai ki sunami jroor aayedi . bs himmt na harna . is sfr me aap akeli nhi hai .

Rachana ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

sahi kaha hai aapne bahut sunder geet
badhai
rachana

Akanksha Yadav ने कहा…

कलम तो सभी का सच्चा इतिहास लिखेगी...
_______________
शब्द-शिखर / विश्व जनसंख्या दिवस : बेटियों की टूटती 'आस्था'

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं.

rajneeti ko ganda kar apna safed chola oodhe baithe hain.....bahut steek likha hai aapne....bahut khoob likha hai aapne!!!!!
aapka aabhaar:)

smshindi By Sonu ने कहा…

कलम इनकी जय बोल..कैसे ये पासे फैंकते है..करोड़ो के घोटालों को मिनटों में खेळते हैं.
कलम इनकी जय बोल..कभी चारे में खाते हैं..कभी बंदूकों से लेते हैं..अरे देखो इन्हें ये तो ना मिड डे मील छोड़ते हैं.
बहुत बढ़िया लिखा है

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत सुंदर। कलम तो जय बोलेगी ही।

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संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय अनामिका जी
नमस्कार !
कलम इनकी जय बोल.
सफ़ेद कफ़न के चितेरे ये
जिसे दिन रात ओढें हैं
बेख़ौफ़ ये भूले बैठे हैं
कि इसी अंतिम चोले में
दुनियाँ से विदा हो जाने हैं

सभी पंक्तियाँ बहुत सटीक व्यंग..बहुत सुन्दर प्रस्तुति......