शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..

मैं तो बद-किस्मती से समझोता कर चुका था..

खुदा के दर से भी खफा हो चुका था..

मौत का रास्ता चुन चुका था..

इस तन्हा दुनिया से विरक्त हो चला था..

अपने नसीब पर भी बे-इन्तहा रो चुका था..

अब और कोई आस बाकी ना बची थी..

जीने की आरजू भी ख़तम हो चली थी..

तभी न जाने तुम मुझे मिल गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..!!

यु ही मैंने तो बस तुम्हे देखा था..

चेहरा तो अभी देखा भी नही था..

अभी धुंधले से अक्षर दो-चार..

बस मन के पढ़े थे..

आवाज़ तो अभी सुनी भी नही थी..

बस एक सरगोशी कानो में की थी.

तुम्हारे कानो ने भी ना जाने क्या सुन लिया था..

कैसे तुम पलट के मेरे पास आ गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..!!

ना जाने क्या तुम्हारे मन में हलचल हुई थी..

इक दूजे की आवाज़ सुनने की ललक जाग उठी थी..

तब इक-दूजे के बोल कानो में बजने लगे थे..

मन के भीतर तक कही वो बसने लगे थे..

फ़िर यु हुआ की बार बार हम इक-दूजे को सुनने लगे..

और न जाने कब एक-दुसरे में खोने लगे थे..

साँसों से होते हुई दिल में बसने लगे थे..

ना जाने कब तुम मेरा चैन,,,मेरी जान बन गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी...!!

सोचा नही था की तुम इतना चाहोगी मुझे..

जाना भी नही था की इतना भी चाह सकता है कोई..

इतना प्यार भी होता है इस जहा में, जाना नही था..

कहानियों की बातें सच होने लगी थी..

मेरी जिंदगी भी झूमने-नाचने लगी थी..

मुहोब्बत भी मुझ पर रश्क खाने लगी थी..

न जाने कब तुम मेरी आत्मा..मेरे प्राणों में बस गई थी..

न जाने कब तुम मेरी जिंदगी बन गई थी..

न जाने तुम कैसे मुझे मिल गई थी..!!

7 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

वाह अनामिका जी वाह मोहब्बत हो तो ऐसी !!!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

milna bichhudna sab hota rahta hai..:)
behtareen bhav-abhivyakti:)

मनोज कुमार ने कहा…

बस यूं ही कोई मिल जाता है, सरे राह चलते-चलते।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह ये तो अपने आप में ही एक कथा है. सुदंर.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह ये तो अपने आप में ही एक कथा है. सुदंर.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना....
देखिये ब्लॉग पर लोग आते हैं आपके...
:-)

अनु

Kailash Sharma ने कहा…

न जाने कब तुम मेरी जिंदगी बन गई थी..
न जाने तुम कैसे मुझे मिल गई थी..!!

...जब प्रेम सच्चा हो तो न कुछ कहने की न सुनने की ज़रुरत पड़ती है..बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..