Thursday, 8 April 2010

आपका प्यार ...


आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया..
मुझ ना -चीज़ को चाहा ..
बेशुमार प्यार दिया..!!

मुझ ना समझ की ..
हर बात को माना,
हर भूल को माफ़ किया..!!

भूल गई आज कि
तन्हाई किसे कहते है..
जलन क्या है ..
और खलिश किसे कहते है..!!


आप के प्यार में जाना
कि जिंदगी कितनी हसीं है..
खुशी क्या है..
और सुकून किसे कहते है..!!

आप के साथ ने..
हर पल मुझे संभाला है...
आज जानी हुं कि इस धरती पर
कुछ तो वजूद मेरा है..!!

आपने जो सीख दी
जिंदगी की राहो पर चलने की..
हिम्मत देती है वो मुझे..
रो कर फ़िर से मुस्कुराने की..!!

आबाद-ऐ-चमन है आज
हँसी की भी शहनाई बजती है..
उम्मीदों को मंजिले मिलती हैं..
जिंदगी जीने की ललक बढती है..!!

आप मुझे यू ही बस
बाहों मे पनाह देते रहें..
सीने से लगा...
मुझ गरीब दिल को प्यार देते रहें !!

पार हो जायेगी ये नैया..
किनारे मिल जायेंगे मुझे...,
एक कफ़न और दो गज ज़मीन के साथ..
एहसास-ऐ-सुकून भी मिल जायेंगे मुझे..!!

अरमान तो इस दगाबाज दिल के और भी हैं..
आप का साथ रहे बस ...
मुझ ना -चीज़ को जीने के लिए
इस से बढ़ कर और जरुरत क्या है..!!

सुकून मिल जाए...
बैचैन रूह को मरने से पहले..
मेरे लिए तो बस..
इस से बढ़ कर और मेरी ख्वाहिश क्या है..!!

आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया है..
मुझ ना -चीज़ को चाहा
बेशुमार प्यार दिया है..!!

किन अल्फाजो से बयां करू..
मेरी नजरो मे आपकी एहमियत क्या है..
आपकी रहमतों का सबब क्या है..
आपकी जरुरत क्या है..!!

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा सी ये तनहा है..!!

22 comments:

Shekhar Kumawat said...

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा सी ये तनहा है..!!


bahut khub

http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat

rashmi ravija said...

आपने जो सीख दी
जिंदगी की राहो पर चलने की..
हिम्मत देती है वो मुझे..
रो कर फ़िर से मुस्कुराने की..!!

बहुत खूब....एक दिलकश रचना...मन को छूती हुई

RAJWANT RAJ said...

samarpan ki prakashtha to shi hai mgr aapka bhi apna vjud hai . aap apne pyar ko shkti baye fir dekhiyega jindgi kitni hseen hogi .dkhlandaji ke liye kshma chahti hun .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेमरस से सराबोर एक बेहतरीन रचना....बधाई

M VERMA said...

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और फिर साँसों से जुदा तो नहीं हो सकते
सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर रचना

स्वप्न मञ्जूषा said...

rachna to theek hai magar...
chakkar kya hai ???

संजय भास्‍कर said...

disi ji bahut -2 shukriya college ke din yaad dilane ke lye

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर रचना,,,,,,,,,,,

Udan Tashtari said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत खूबसूरत और मधुर रचना.

रामराम.

Anonymous said...

ए प्यारी सी लड़की!
नही मालूम तुमने ये कविता किसके लिए लिखी है?
कौन से जज्बात ,किसके लिए तुम्हारे मन में उमड रहे थे.
मैं ये भी नही .पर जितना तुम्हे जानने के बाद समझने लगी हूँ हर कहीं खुद को देख रही हूँ .एक एक शब्द में जैसे तुम मुझे बुला रही हो.मुझे सुना रही हो. मैं इस प्यार कि कद्र करती हूँ पर तुम्हे फॉर बता दूँ मैं इस काबिल नही कि कोई मुझे इतना प्यार दे.
एक गाना है शायद तुमने भी सुना हो -'बहुत दिया देने वाले ने तुझको (मैं लिखूंगी मुझको)आंचल ही में न समाये तों क्या कीजे ' बिट्टी! तुम अच्छा लिखती हो .पर निराशा के गीत न गाओ मेरी बच्ची ! मैं नही आऊंगी तुम्हारे ब्लॉग पर कभी भी.रहा ' कफन और दो गज जमीन तों चिन्ता न करो इनकी जरूरत न मुझे है न तुम्हे पड़ने दूंगी.अपनी तरह तुम्हारी बोदी भी मेडिकल कोलेज को डोनेट करवाएंगे.फिर हम वहाँ रात को उठ कर गपशप मारेंगे ,गाने गायेंगे तुम अपनी कविताएँ सुनाना
और मेरी रचनाएँ सुनने के नाम पर यातनाएं भुगतना इससे रात भर हम जाग सकेंगे .
ठीक है न?
हा हा हा

रंजू भाटिया said...

किन अल्फाजो से बयां करू..
मेरी नजरो मे आपकी एहमियत क्या है..
आपकी रहमतों का सबब क्या है..
आपकी जरुरत क्या है..!!बहुत खूबसूरत

स्वप्निल तिवारी said...

:) :)

kunwarji's said...

:) :)

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आपको पढ़कर दिल ज़वान होता है।

Apanatva said...

tareefekabil abhivykti......

हरकीरत ' हीर' said...

रचना बहुत ही अच्छी है ....बस इतना ही कहूँगी इन्हीं भावों को कम शब्दों में कहती तो ज्यादा प्रभाव डालती .....!!

दिगम्बर नासवा said...

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा सी ये तनहा है ...

पूरी कविता और दिल के भाव इन चार लाइनों में सिमट आए हैं ..... अनुपम रचना .........

अंजना said...

एक बेहतरीन रचना....बधाई

रचना दीक्षित said...

आप के प्यार में जाना
कि जिंदगी कितनी हसीं है..
खुशी क्या है..
और सुकून किसे कहते है
बहुत खूबसूरत रचना.
बहुत खूब हर पंक्ति कुछ न कुछ खास कह रही है

Himanshu Mohan said...

आपका सम्पूर्ण रचना संसार काबिले तारीफ़ है। तारीफ़ ज़रा ज़ोर से ही करनी पड़ेगी।