Friday 21 May 2010

अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..


















अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..
केस वेले कोई गम आ सतावे
एस गम दा की पता..
अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..


आज को जी लो यारो कल का क्या पता ....
किस वक्त कोई गम आ सताए...
इस गम का क्या पता...
आज को जी लो यारो कल का क्या पता.... !


जिन्दगी दे सफ़र वडे लम्बे होंदे ने
केस मोड़ दे केडा दर्द मिल जावे..
किसे दर्द दा की पता..
अज्ज नू जी लो यारो कल दा की पता .... !!


जिन्दगी का सफर बहुत लंबा होता है....
किस मोड़ पर कौन सा दर्द मिल जाए...
किसी दर्द का क्या पता...
आज को जी लो यारो कल का क्या पता .... !!



हंजुआ दी रात वडी भारी होंदी है ...
सवेर दी पौ निकलनी ओस वक्त वडी औखी होंदी है...
दिल नू ऐ वक्त तार - तार कर जाउन्दा है....
एस वक्त नू कढना वडा भारी होंदा है...!!


आसुओ की रात बड़ी भारी होती है ...
सुबह की पौ निकलनी उस वक्त बहुत भारी होती है...
दिल को ये वक्त तार - तार कर जाता है....
इस वक्त को निकालना बहुत भारी होता है...!!



थोडी जी खुशी मिल जावे ...ओनु गले लगा लो यारो ....
अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता ....
कद्दो कोई कंडा चुभ जावे ....
रावां दे कंडयाँ दा की पता .... !!


थोडी सी खुशी मिल जाए ...उसे गले लगा लो यारो ....
आज को जी लो यारो, कल का क्या पता ....
कब कोई कांटा चुभ जाए....
राहो के कांटो का क्या पता .... !!



अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..
केस वेले कोई गम आ सतावे
एस गम दा की पता..
अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..


आज को जी लो यारो कल का क्या पता ....
किस वक्त कोन सा गम आ सताए...
इस गम का क्या पता...



33 comments:

honesty project democracy said...

थोडी सी खुशी मिल जाए ...उसे गले लगा लो यारो ....
आज को जी लो यारो, कल का क्या पता ....
कब कोई कांटा चुभ जाए....
राहो के कांटो का क्या पता .... !! बिलकुल सही कहा आपने हर पल को सार्थकता में लगाकर खुद खुश रह खुशियाँ बाँटने की कोशिस करना ही सच्ची जिन्दगी है / हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें,कुछ ईमेल भेजकर / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

anoop joshi said...

very nice

संजय भास्‍कर said...

थोडी सी खुशी मिल जाए ...उसे गले लगा लो यारो ....
आज को जी लो यारो, कल का क्या पता ....

प्रशंसनीय रचना - बधाई

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

रचना दीक्षित said...

ये खूब रही दो, भाषाओँ में एक साथ, सकारात्मक बात और मन भावन भी

दिलीप said...

waah Anamaika ji aaj to hindi naal panjaabi tadka...waah

अलीम आज़मी said...

बहुत सुंदर आपने लिखा है अनामिका जी ...काबिले तारीफ है

kunwarji's said...

dilip bhai mere man ki baat keh di aapne....

kunwar ji,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
This comment has been removed by the author.
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये हिंदी पंजाबी मिक्स.... ज़रा पढते हुए गड़बड़ा ही गयी.....बढ़िया पेशकश है...बधाई

M VERMA said...

गम का क्या पता...
जी हाँ कुछ पता नहीं
सुन्दर रचना

कडुवासच said...

...अतिसुन्दर !!!

Rajeysha said...

अच्‍छा जी तुसी वी पंजाबी दे गीतां दी हि‍न्‍दी लि‍खदे हो। असां वी दो ति‍न गीत हि‍न्‍दी वालयां लई अपने ब्‍लॉग ते रखे ने।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर कविता.... दिल को छू गई.... बहुत खूबसूरती से शब्दों को पिरोया है आपने.....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बोहत वधिया रचना जे....साणूं ते वाधू चँगी लगी

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

पंजाबी रचना का, साथ साथ हिन्दी में अनुवाद सोने पर सुहागा रहा.

Urmi said...

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है ! बधाई!

Deepak Shukla said...

नमस्कार जी,

अज्ज नु जी लो यारो, कल दा है की पता...
केस वेले कोई गम सतावे, इस गम तदा है की पता...

चंगी ग़ज़ल है जी, अल्फाजां दे नाल उन दे भाव .
की दसिए तुवानुं, दिल खुश हो गया...

गम नु कोल आन न दो,
दिल दे विच घर बनान न दो,
जेडी थोड़ी खुशियाँ लैब जान..
उनान्नूं दिल तों जान न दो...

जेडी थोड़ी बोती पंजाबी आंदी हैगी, उसे नाल मैं वि लिखाण दी कोशिश कित्ती है, तुसी दसो मेरी कोशिश कामयाब होई की नईं...

दीपक शुक्ल..

सम्वेदना के स्वर said...

आपकी ये सदा सीधी दिल में उतर गई..सच्ची सदा भाषा कि बंदिश कहाँ मानती है..दोनों स्वरुप दिल को छू गए..

स्वप्निल तिवारी said...

mere dimaag ki to varjish ho gayi di..punjabi inni samjh nahi aati .. :( bohuhuhuhuhu... par ji8tni aayi achhi lagi... aaj me jee lo..kal ka kya pataa...ye to jeevan mantra hona hi chahiye..

मनोज कुमार said...

हम थोड़ी-थोड़ी खुशियां समेटते चलें, आज में जीते चलें और मुस्कान बांटते चलें और क्या चाहिए! जीना इसी का नाम है।

मनोज कुमार said...

इस कविता के द्वारा आपने मुझे मेरे पंजाप की पांच साल की पोस्टिंग में बिताए दिन याद करा दिए।
इस कविता में आपने बहुत सही कहा जी
मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता।
दूसरों को खुशी देना सर्वोत्‍तम दान है।

hem pandey said...

'आज को जी लो यारो कल का क्या पता ....'
-जो वर्तमान को जीना सीख ले वह भविष्य भी जी लेगा.

रश्मि प्रभा... said...

वाह.......शानदार अंदाज प्रस्तुत करने का

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत सुन्दर, मैं हिंदी version का आनंद लिया ...

ज्योति सिंह said...

थोडी जी खुशी मिल जावे ...ओनु गले लगा लो यारो ....
अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता ....
कद्दो कोई कंडा चुभ जावे ....
रावां दे कंडयाँ दा की पता .... !!
itni khoobsurati se dono bhashao me man ki baat kah daali ,padhkar man kush ho gaya ,aashao ka sawan hai sab bhig jaaye to achchha hai .abhi bahar hoon is karan vyast hoon bas kuchh roj aur phir brabar aaungi .

Avinash Chandra said...

jiini soni punjabi...unna hi vadhiya sandes...
bahut achcha likha hai aapne..waah

स्वप्निल तिवारी said...

ek para padh ke hi dimaag ki batti gul ho gayi ..hehehe...isliye aage kuch dikhai nahi diya..hehehe...han ab padh ahai to ..

आसुओ की रात बड़ी भारी होती है ...
सुबह की पौ निकलनी उस वक्त बहुत भारी होती है...
दिल को ये वक्त तार - तार कर जाता है....
इस वक्त को निकालना बहुत भारी होता है...!

sannu ye lines bahut pasnad aandi hain...hehehe

vekha di punjabi wich review ditta...hehe

सम्वेदना के स्वर said...

HAMARE POST PAR AAPKI PRATIKRIYAA PAR:
sirf munnabhai se kaam nahin chalegaa..yahan par circuit bhi hain.. ye alag baat hai ki ham dono ne abhi tak ye decide nahin kiyaa hai ki kaun munna hai kaun circuit..role badalate rahte hain ham dono..
aur thanks ki aawashyakataa nahin..aap hamari blog list mein bhi hain aur ham regular visitor bhi hain..
thanks again for your DUAA. anamika ki duaaein!!

Anonymous said...

पुत्तर!तुम्हारी ये भाषा तो अपने उपर से निकल गई जब समझ ही नही आई तो क्या लिखूं?
अच्छा ही लिखा होगा

'अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..
केस वेले कोई गम आ सतावे
एस गम दा की पता..
अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..

आज को जी लो यारो कल का क्या पता ....
किस वक्त कोन सा गम आ सताए...
इस गम का क्या पता... '

ओय तभी तो कहते'जो भी है बस यही इक पल है'

HBMedia said...

अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..
वाह.......शानदार

दीपक 'मशाल' said...

आपकी इस रचना और पंजाबी ज्ञान दोनों से प्रभावित हूँ..

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

चंगी लग्गी जी तुहाडी नजम

भोत बदिया।