दिल में उठती है,
क्यों इक आस, सदा
ताना-बाना बुनती है
जितना भी निचोड़ दूँ
दिल को
हर सोच तुझ पर ही
आकर क्यों रूकती है ?
क्या मैंने कभी
जफा की थी ?
क्या मैंने कभी
बेरुखी दी थी ?
क्या मैंने चुभाये थे
कभी नश्तर ?
क्या मैंने हिज्र की
सर्द कोई शब् दी थी ?
फिर क्यों मेरे
नसीब के कागज़ पर
तूने तमाम दर्द
लिख डाले ?
क्यों मेरी पेशानी पर ही
बदकिस्मती के
नक़्शे गढ़ डाले ?
मैं हर लम्हा
क्यों इंतजार में जलती हूँ ?
तुझे मुझसे प्यार नहीं, तो
मैं क्यों इस प्यार में
सिसकती हूँ ?
क्यों फूट आते है
वेदना के ये बूटे
बार - बार
मेरे मन की ओढनी पर
देख जिन्हें मैं दिन रात
आराम अपना
खो देती हूँ
और फिर से
समझाती हूँ दिल को
हर - बार
कि क्यों कमल के
फूलों से
प्यार की खुशबू
की आशा रखती हूँ.
32 comments:
बहुत सुन्दर रचना | भावपूर्ण |
आभार |
मेरे ब्लॉग में भी पधारें |
मेरी कविता
दर्द में डुबोयी पंक्तियाँ।
कि क्यों कमल के
फूलों से
प्यार की खुशबू
की आशा रखती हूँ.
एहसास की सुन्दर रचना
जितना भी निचोड़ दूँ दिल को हर सोच तुझ पर ही आकर क्यों रूकती है...भावपूर्ण रचना...!!!
गहन ... भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
अपनी अपनी किस्मत ....
शुभकामनायें !
इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं। आत्मचिंतन से उपजी मार्मिक कविता है।
आपने दर्द की वारिश सी कर दी. सारी वेदना को कविता में उंढेल कर सुंदर कविता का रसास्वादन कराया है. बहुत उत्तम.
क्यों इक हूक सी
दिल में उठती है,
क्यों इक आस, सदा
ताना-बाना बुनती है
जितना भी निचोड़ दूँ
दिल को
हर सोच तुझ पर ही
आकर क्यों रूकती है ?बहुत बहुत ही खुबसूरत.....
कमल के फूल से प्यार की खुशबू की आस ....
एहसासों का दर्द जी जलाता है!
बहुत बहुत बहुत खूबसूरत ! हर पंक्ति मन की गहराइयों से निकली प्रतीत होती है और हर शब्द मन की वेदना को मुखर कर रहा है !
हमने जफा न सीखी उनको वफ़ा न आई
पत्थर से दिल लगाया और दिल पे चोट खाई !
भावभरी रचना।
मैं हर लम्हा
क्यों इंतजार में जलती हूँ ?
तुझे मुझसे प्यार नहीं, तो
मैं क्यों इस प्यार में
सिसकती हूँ ?..........
प्रश्न गहरा है ................
अत्यंत संवेदनशील रचना... बहुत बढ़िया....
क्यों कमल के फूलों से प्यार की खुशबू की आशा रखती हूँ.
बहुत सुन्दर भावों को संजोया है ………ये मोहब्बत के इम्तिहान ऐसे ही होते हैं।
pyar veeran ko bhi gulistan bana deta hai...pyar shaita ko bhi insaan bana deta hai..pyar ko ijjat bhari nigah se dekho..pyar patthar ko bhi insaan bana deta hai..jo pighalata nahi amoonan hai ..pyar usko bhi pighla deta hai....har pankti me pura samarpan hai..ummid mat chodiye kamal ke phool se khusboo ki..sadar badhayee aaur amantran ke sath
सुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|
सुंदर :)
जाने क्यूँ पूछ रही ये सवाल आप यूं
क्या अभी तक भी आपने ये न जाना
मोहब्बत में तो दर्द खरीद के जीना होता हैं :'(
क्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई
वेदना को स्वर मिले.बहुत सुंदर.
bhaut hi sundar rachna abhivaykti....
इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँ तो दर्द ही नहीं रहेगा ... संवेदनशील प्रस्तुति
बहुत भावपूर्ण रचना .
भाव-पूर्ण,प्रस्तुति
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती
इसी को इश्क कहते हैं !
बहुत बढ़िया | सुन्दर रचना
बधाई ||
dil ko choo gai ...is kyun ka uttar kabhi nahi milta...pyaar ka gam taaumr chlta rahta hai sath sath...
मैं हर लम्हा
क्यों इंतजार में जलती हूँ ?
तुझे मुझसे प्यार नहीं, तो
मैं क्यों इस प्यार में
सिसकती हूँ ?
हम अपने जीवन के सफर में खुशियों की तलाश में अपनी जीवन बगिया को हरितिमा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रेमरूपी मन से रिश्ता जोड़ लेते हैं- यह सोच कर कि इसमें हमें असीम शांति मिलेगी लेकिन जब सारी कल्पित बातें मन के अनुसार नही होती हैं तो उस समय हमें ऐसा प्रतीत होता है कि हमने अपनी सुंदर सी जिंदगी के साथ-साथ बेशकीमती समय को भी कही खो दिया । सुख की खोज में शांति और समय की खोज में जिंदगी के हसीन पल गुमनामी की जिंदगी जीने के लिए बाध्य हो जाते हैं । प्रेम में दर्द के साथ खुशी का भी भावात्मक संबंध होता है । प्रेम सरोवर में स्नान करने के पश्चात जीवन के नए आयाम खुलने लगते हैं, नई दिशाएं बुलाने लगती हैं,रंगों में नए अर्थ प्रस्फुटित होने लगते हैं ।
बहुत दिनें के बाद एक अच्छी भावाभिव्यक्ति पढने को मिली । आपका उदगार बहुत ही मार्मिक एवं सुंदर लगा । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
marmsparshi rachna....
मैं हर लम्हा
क्यों इंतजार में जलती हूँ ?
तुझे मुझसे प्यार नहीं, तो
मैं क्यों इस प्यार में
सिसकती हूँ ?
Bahut peeda hai is rachana me!
ऐसे बहुत से प्रश्न सताते हैं .. पर इनका जवाब किसी के पास नहीं होता ... दर्द छलकता है ...
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