जब नासूर तुम्हारे भरने लगें
जब दिल की जलन ठंडी होने लगे
जब अश्क आँखों से सूख चलें
जब विकार राहें भटकने लगें.
जब अविश्वास पर विश्वास आने लगे
जब रिश्तों की गर्माहट याद आने लगे
जब दोस्ती की चाह फिर से जगे
जब प्यार की हूक दिल में उठे
तब पलट के एक बार देखना मुझे
मैं वहीँ हूँ जहाँ थी पहले खड़ी
जहाँ से भटके थे राह तुम अपनी
जहाँ मेरी बाते तुम्हें तंज देने लगी थी
जहाँ सवाल मेरे तुम्हें अखरने लगे थे
जहाँ मेरी शिकायतें तुम्हें दर्द देने लगी थी
जहाँ तुम्हारी "मैं' तुम्हारे संग हो चली थी
जहाँ तुम्हारे वर्चस्व भाव में मैं दबने लगी थी
जहाँ तुम्हारे अहम् ने मुझको बोना किया था
जहाँ तुम 'श्रेष्ठ' और मैं 'निम्न' होने लगी थी
जहाँ गैरों के बोल तुम्हें लुभाने लगे थे
जहाँ तुम्हारे झूठे बोलों ने तुम्हें झकझोरा नहीं था
जहाँ मजबूरियां बहाना बन गयी थी
जहाँ मेरी यादों से तुम नाता तोड़ने लगे थे
हाँ मैं आज भी वहीँ उसी मोड़ पर खड़ी हूँ.
मगर पलटना तभी तुम जब
जब दिल की जलन ठंडी होने लगे
जब अश्क आँखों से सूख चलें
जब विकार राहें भटकने लगें.
जब अविश्वास पर विश्वास आने लगे
जब रिश्तों की गर्माहट याद आने लगे
जब दोस्ती की चाह फिर से जगे
जब प्यार की हूक दिल में उठे
तब पलट के एक बार देखना मुझे
मैं वहीँ हूँ जहाँ थी पहले खड़ी
जहाँ से भटके थे राह तुम अपनी
जहाँ मेरी बाते तुम्हें तंज देने लगी थी
जहाँ सवाल मेरे तुम्हें अखरने लगे थे
जहाँ मेरी शिकायतें तुम्हें दर्द देने लगी थी
जहाँ तुम्हारी "मैं' तुम्हारे संग हो चली थी
जहाँ तुम्हारे वर्चस्व भाव में मैं दबने लगी थी
जहाँ तुम्हारे अहम् ने मुझको बोना किया था
जहाँ तुम 'श्रेष्ठ' और मैं 'निम्न' होने लगी थी
जहाँ गैरों के बोल तुम्हें लुभाने लगे थे
जहाँ तुम्हारे झूठे बोलों ने तुम्हें झकझोरा नहीं था
जहाँ मजबूरियां बहाना बन गयी थी
जहाँ मेरी यादों से तुम नाता तोड़ने लगे थे
हाँ मैं आज भी वहीँ उसी मोड़ पर खड़ी हूँ.
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट के ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
हाँ बहुत सी शर्ते हैं
इस दोस्ती की
ये शर्तें तो तुमको
निभानी पड़ेंगी
वर्ना ये दोस्ती दिल से
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
हाँ बहुत सी शर्ते हैं
इस दोस्ती की
ये शर्तें तो तुमको
निभानी पड़ेंगी
वर्ना ये दोस्ती दिल से
छुडानी पड़ेगी।
53 टिप्पणियां:
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट क ना जाओगे अपने विकारों पर विजय पाओगेमुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे...
सच है तभी लौटना...
वरना जी तो रही ही हूँ तुम्हारे बगैर...
बहुत सुंदर..
अनु
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट क ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
भावमय करते शब्दों का संगम ... अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार
अद्भुत भावमयी प्रस्तुति।
शनिवार 14/07/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
पलट के एक बार देखना मुझे
मैं वहीँ हूँ जहाँ थी पहले खड़ी... क्योंकि मैंने दोस्ती निभाई थी, प्यार किया था
बहुत आकर्षक -------- ये दोस्ती
बहुत सुन्दर
सुंदर स्पष्ट भाव..... बहुत उम्दा
बहुत सुन्दर.. बहुत प्रभावशाली
प्यार में शर्त कोई भी होती नहीं...मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया...कोई जब तुम्हारा...
बहुत सुंदर कविता !
प्यार में शर्त कोई भी होती नहीं...मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया-----------अनीता जी ने कहा ---
हाँ बहुत सी शर्ते हैं
इस दोस्ती की
ये शर्तें तो तुमको
निभानी पड़ेंगी
वर्ना ये दोस्ती दिल से छुडानी पड़ेगी। आपने कहा ...
शायद यह भी एक जवाब हो सकता है
दोस्ती की बीन
बजाई जो तुमने
मदहोश हुये से
नाचे भी खूब
शर्तों पर ज़िंदगी
भला कैसी बंदगी ?
****************
दिल बेबस
तंज़ सहते रहे
मोड पर ठिठक
मौन हो चले
मार्ग अवरुद्ध हैं
पग क्यों कर बढ़ें ?
कविता किस भावभूमि पर रची गई है, वह कवयित्री ही जानें, पर यदि शिल्पगत कमियों को छोड़ दिया जाए तो कई स्थलों पर मैं और मैं से उत्पन्न अहम् के टकराव पर बल दिया गया है। यह इस कविता की विशेषता है। लेकिन इस टकराव के परिणाम को लक्षित नहीं कर पाई हैं। क्योंकि कविता का अंत कुछ शर्तों को प्रमुखता देता है, जो कहीं न कहीं मैं के अहम को बढ़ावा देता है। दोस्ती तो अहम् का विसर्जन है।
कविता लगता है एक लय में कही गई है और उससे जो प्रवाह निकलता है वह कवयित्री के मनो भाव को पाठक तक पहुंचने का प्रभाव उत्पन्न करता है।
दोस्ती ..वाह! एकदम सही कहा है..अति सुन्दर..
अनीता जी आपने लिखा...
प्यार में शर्त कोई भी होती नहीं...मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया...कोई जब तुम्हारा...
बहुत सुंदर कविता !
और संगीता जी आपने भी लिखा
हाँ बहुत सी शर्ते हैं
इस दोस्ती की
ये शर्तें तो तुमको
निभानी पड़ेंगी
वर्ना ये दोस्ती दिल से छुडानी पड़ेगी। आपने कहा ...
लेकिन मैंने क्या लिखा......
खुद से वादा करो कि
अब लौट के ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
बेशक शब्द शर्त प्रयोग हुआ है लेकिन कहने वाले के भाव क्या है ये नहीं समझा गया....
ये बाते तो आधार होती हैं दोस्ती की .....अगर ये विश्वास,हम का भाव, विकार मुक्त दोस्ती
न हो तो दोस्ती वैसे भी कहाँ संभव है, और कहाँ तक टिक पायेगी ......?????
मनोज जी,
आपने लिखा ...
लेकिन इस टकराव के परिणाम को लक्षित नहीं कर पाई हैं। क्योंकि कविता का अंत कुछ शर्तों को प्रमुखता देता है, जो कहीं न कहीं मैं के अहम को बढ़ावा देता है। दोस्ती तो अहम् का विसर्जन है।
मनोज जी परिणाम तो लक्षित है ना कि
नासूर तुम्हारे भरने लगें
जब दिल की जलन ठंडी होने लगे
जब अश्क आँखों से सूख चलें
जब विकार राहें भटकने लगें.
जब अविश्वास पर विश्वास आने
अर्थात दिल में नासूर, जलन, आँखों में अश्क, विचारों में विकार और विश्वास पर अविश्वास घर कर गए .
बात जहाँ शर्तो की है , उसके लिए ऊपर ही मैंने अपनी टिप्पणी ऊपर अनीता जी और संगीता जी को दी है, आशा है आपके भी मन का संशय समाप्त हो गया होगा.
दोस्ती में शर्तें? प्रेम में तो समझा जा सकता है ...
मेरे खयाल से प्रेम और दोस्ती दोनों अलग होती हैं , आप जिससे प्रेम करते हैं , उससे दोस्ती हो सकती है , मगर दोस्ती प्रेम में बदले यह आवश्यक नहीं !
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट के ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
बहुत ही सुंदर भाव ...!!
प्रबल रचना ...!!
VRY NICE, aap bahut acha likhti ho.............
aap bahut acha likhti ho/////
बहुत खूब ... सच है किसी कों यूं ही नहीं दे देना चाहिए लौटने का हक ... बहुत ठेस लगती है जब दुबारा दिल टूटता है ... उम्दा भाव ...
बहुत गहन अहसास निहित हैं इस कविता में ! जितनी स्थितियां आपने बताई हैं पलट कर आने के लिए एक अहमवादी दोस्त से उनको समझ कर लौट आने की अपेक्षा करना बहुत निराशाजनक हो सकता है क्योंकि अपने अहम को टूटता हुआ देखना किसीको स्वीकार नहीं होता ! इतनी सशक्त प्रस्तुति के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !
just superb.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..
उत्कृष्ट और बहुत प्रभावी प्रस्तुति..
विश्वास बहुत ज़रूरी है और दूसरे की भावनाओं को समझना भी अन्यथा आधार ही टूट जाता है - सुन्दर अभिव्यक्ति .
सच है दोस्ती मतलब "मैं" से "हम " हो जाना ...
जब लौटो तो सभी पुराने अहम छोड़कर...बहुत सुंदर कहा...मैं तो वहीं खड़ी मिलूँगी|
बहुत ही खूबसूरत रचना आभार
मैं को तोड़ हम हो जाओगे...बस यह हो जाए तो सब कुछ स्वतः हो जाएगा .बढ़िया अभिव्यक्ति .
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट क ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे...
क्या बात है अनामिका जी ,,बहुत सच्ची बात कही है आप ने
यदि विश्वास नहीं तो कोई भी रिश्ता दूरगामी नहीं हो सकता
दोस्ती पर अच्छी अभिवक्ति ...
वाह पढ़कर मज़ा आ गया
(अरुन शर्मा = arunsblog.in)
सुन्दर और गहन ।
’हां मैं आज भी----खुद से वादा करो---’
’रिश्ते’ का सत्य तभी तक कायम है—’बीत गया सो रीत गया’ को जी लिया जाय.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया....
सुंदर स्पष्ट भाव लिए खूबसूरत भावभिव्यक्ति...
वर्ना ये दोस्ती दिल से छुडानी पड़ेगी।....
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है कुछ त्यागना पड़ता है .....
प्यार ये सब कुछ करा देता है .....
अब तो प्रत्युत्तर का इन्तजार है .....:))
क्या वाकई सच्चे प्यार में शर्तें होतीं है ..........? शायद नहीं ...पर एक रक्त रंजित अतीत की शायद कुछ शर्तें हों...क्योंकि अहसास दिलवाना भी कभी कभी ज़रूरी हो जाता है ...है न
sarthak v sundar prastuti .aabhar
BHARTIY NARI
आँखें नम हो गई..आपके इस कविता का लिंक मैं अपने फेसबुक आई.डी. से शेयर कर रही हूँ| आभार....
अंतिम पंक्तियों में आपने गज़ब कर दिया
खुद से वादा करो कि
अब लौट के ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
भावपूर्ण बहुत सुन्दर कविता
सादर
सुन्दर अभिव्यक्ति....
मैं जिसदिन ही हम हो जाये।
कम कितने ही गम हो जाये।
सादर.
बहुत ही बढ़िया
सादर
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
uff. bahut behtareen.. shart:)
dil ko chhoone wali:)
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट के ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
.बहुत सुन्दर ...
प्यार और दोस्ती में शर्तों और ऊँच नीच के लिये कोई स्थान नहीं होता है. जिंदगी के विभिन्न आयामों को समझने की कोशिश एक खूबसूरत रंग लेकर आई है इस कविता के माध्यम में.
बधाई सुंदर कविता के लिये.
ekdam kammal ka......
usi raah par rahiye ...usi mod par mulakat hogi..itne saare sawal..itni saari beete lamhon kee dastaan, ye laut aane kee khwaish..itni bechaini ake sath...main jarur kah sakta hoon kee kavita kaa nayak sharton ke sath jarur lautega..filhaal ke liye ye kah sakte hain..jayiye aap kahan jaayenge ye najar laut ke phir aayege...jaise ud jahaj ka panchhi phir jahaj pa aawe..man ko shanti dene ke liye hain hee
मगर पलटना तभी तुम जब
खुद से वादा करो कि
अब लौट क ना जाओगे
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे..
बेहद भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...
सादर !!!
अपने विकारों पर विजय पाओगे
मुझ पर विश्वास कर पाओगे
मैं को तोड़ हम हो जाओगे
हाँ बहुत सी शर्ते हैं
इस दोस्ती की
ये शर्तें तो तुमको
निभानी पड़ेंगी
वर्ना ये दोस्ती दिल से
छुडानी पड़ेगी।
भाव बहुत ही अच्छे लगे. धन्यवाद।
सही है ...
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