Sunday 11 April 2010

जिंदगी और बता .....????





















जिंदगी और बता, गम कितने तू मुझे देगी..
मैं हँसता जाऊंगा..क्या हँसी भी मेरी तू छीन लेगी..?

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??

मस्त चाले देख मेरी, ना तू गश खाना..
ढेरो ठोकरे देकर भी कहीं तू ना थक जाना..
सागर के
हिलोरे
माना मुझे तहस-नह्स कर देंगे,.
गम चाहे दे कितने भी...लौट कर तो किनारो में सिमट जायेगी ..!!

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??

हंस-हंस के इस्तेकबाल करूँगा मैं तेरा ...
ज़िस्त भी चाहे छूटे...उफ़ भी ना लब पे मेरे होगी..
काँटों की चादर में सुला दे चाहे इस तनहा रूह को..
हंस के बलाए लूँगा...रुसवा ना रुख से हँसी मेरे होगी...

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??

कोई जान भी ना पायेगा गम की दुनिया मेरी..
पलती हैं जो भीतर ही...छुप के दिल के कोनो में...
रोएगी ना मेरी आँख..तू देखना जानिब-ऐ-जिंदगी मेरी...
लौट जायेगी एक दिन तो, तू टकरा -टकरा के रूह से मेरी...

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??
मैं हंसता जाऊंगा....क्या हंसी भी मेरी तू छीन लेगी..

21 comments:

ज्योति सिंह said...

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??
मैं हंसता जाऊंगा....क्या हंसी भी मेरी तू छीन लेगी..
jindagi se shikayat bhi aur jindagi se samjhauta bhi man ko bahlane aur sahlaane ki ye ada dil ko chhoo gayi .bahut sundar .meri tabiyat waqt le rahi hai durust hone ke liye isliye abhi 3-4 dino se nahi kholi net ,abhi sirf jaanchne aai hoon .kisi ki nayi post to nahi yahi dekhne aai lekin lambi list hai pahle tumahari padhkar aage auro ke bhi .....

ओम पुरोहित'कागद' said...

ज़िन्दगी बहुत कठिन है मगर आपने बड़ी सहज़ता से कठघरे मेँ खड़ा कर उस पर सवालों की अपरिमित बौछार कर दी।क्या बात है!शब्द भी कितने कमाल की चीज़ है !सब कुछ उधेड़ कर धर देते हैँ।बस,शब्दोँ को कौई परोटना जाने।
स्वाभाविक अभिव्यक्ति के लिए बधाई!
omkagad.blogspot.com

Udan Tashtari said...

गम देगी तो खुशियाँ भी देगी..


बस, हंसते हंसते गुजार दें...उम्दा रचना.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इसी को कहते हैं जिजीविषा...कितने ही गम हों कितना ही दर्द हो...जिसमें मुस्कुराने की हिम्मत है वो जिंदगी को अपने अनुसार ढाल ही लेगा....बहुत अच्छी रचना

स्वप्न मञ्जूषा said...

ग़म है या ख़ुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
बहुत खूब...ज़िन्दगी से इतने सवाल, घबरा ही गयी होगी बेचारी....
हाँ नहीं तो...!!

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

ज़ीस्त भी चाहे छूटे...उफ़ भी न लब पे मेरे होगी..
काँटों की चादर में सुला दे चाहे इस तन्हा रूह को..
हंस के बलाए लूँगा...रुसवा ना रुख से हँसी मेरे होगी...
सबसे अच्छी पंक्तियां लगीं...

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

मुझे गम भी उनक अज़ीज़ है.. कि उन्ही की दी हुयी चीज़ है..

समीर जी से सौ प्रतिशत सहमत!!

संजय भास्‍कर said...

वाह क्या बात है बेहद सुन्दर............

अलीम आज़मी said...

aap ki lekhni bahut hi sunder hoti hai anamika ji....bahut umda

Satish Saxena said...

बढ़िया रचना !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

हंस-हंस के इस्तेकबाल करूँगा मैं तेरा ...
ज़िस्त भी चाहे छूटे...उफ़ भी ना लब पे मेरे होगी..
--वाह! यही ज़ज्बा जीवन जीने का अच्छा तरीका है।

Satish Saxena said...

@अनामिका ,
इस अपनत्व का आभार अनामिका ! यह घटना मेरे अपने जीवन की मार्मिक घटना है और यह गीत साईं मंदिर, लोधी रोड में बैठकर छलछलाते आंसुओ के मध्य लिखा गया था ! मुझे लगातार पढने के लिए आप मुझे फालो करना शुरू करें ! इससे आपको हर पोस्ट मिलेगी मेल से प्राप्त करने के लिए मेरे ब्लाग में सबसे नीचे अपना ईमेल लिखकर सब्स्क्राइबर करें !
सादर
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Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

ग़म और ख़ुशी, आशा और निराशा, फ़तेह और शिकस्त ....इसी का नाम तो ज़िन्दगी है ...
बहुत सुन्दर रचना है ! बधाई !

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??
मैं हंसता जाऊंगा....क्या हंसी भी मेरी तू छीन लेगी..?
Zindagi meri doosri premika hai, main bat karoonga usse!
Aisa hone nahin doonga! Aap chinta na karein!
Hahaha...
Utkrisht rachna!

Shekhar Kumawat said...

bahut sundar rachna

shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

बाल भवन जबलपुर said...

खूबसूरत अंदाज़

रचना दीक्षित said...

जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??
मैं हंसता जाऊंगा....क्या हंसी भी मेरी तू छीन लेगी
शिकायत का अंदाज़ अच्छा है. अगर मन में ठान ले तो किसी की क्या मजाल जो हंसी छीन ले. हा ... हा ..हा ..

Rohit Singh said...

क्या करें लगता है कि हंसी ही छिनती जा रही है.....जिंदगी से क्या शिकायत करें....जो कहना था इस कविता ने कह दिया...

पूनम श्रीवास्तव said...

kitane bhee dukh aur museebaten samane ayen ---unaka samadhan nikalana hee to jeevan hai....sundar post.

शरद कोकास said...

हर कोई यह सवाल ज़िन्दगी से करता है ...।