जीवन के सम्पूर्ण रहस्यों से भरे
दो सागर...
दो सागर...
मौन....
किन्तु चंचल, गहरे, सुन्दर
और विषैले,
चन्दन से शीतल भी,
और अंगारों से ऊष्ण भी..
मेरे ये दो नयन....!!
किन्तु चंचल, गहरे, सुन्दर
और विषैले,
चन्दन से शीतल भी,
और अंगारों से ऊष्ण भी..
मेरे ये दो नयन....!!
जिनमे आकर्षण भी है
और प्यार भी....
और प्यार की तीव्र
प्यास की खार भी.
और प्यार भी....
और प्यार की तीव्र
प्यास की खार भी.
ये खार...
ये आंसू..
जो आँखों में मंडराते
भावनाओ के मेघ.....
व्यथा की हलकी ठेस से भी
फूटे पड़ते हैं ...!
यह अविरल प्रवाह
इन पलकों के बंधन
तोड़ देते हैं ...!
तोड़ देते हैं ...!
बेबसी के से ये स्त्रोत
प्रेम में लिपटी विषाक्त
धरा से....
अंगारों सी जलन लिए हैं ..!
आशा की
हिमगिरी की कोख से
जन्मे..ये आंसू..
कहा से उमड़ते हैं ..
यही रहस्य है..???
यही रहस्य है..???
अश्रुकणों से भरपूर
झुलसी ये आँखे..
और हिम की घाटियों से
पिघल कर आती ये मन्दाकिनी
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
52 comments:
bhut khub
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.....बीच की कुछ पंक्तियाँ दो बार दिखाई दे रही हैं...
बेबसी के से ये स्त्रोत
प्रेम में लिपटी विषाक्त
धरा से....
अंगारों सी जलन लिए हैं ..!
आशा की
हिमगिरी की कोख से
जन्मे..ये आंसू..
कहा से उमड़ते हैं ..
यही रहस्य है..???
आशा की
हिमगिरी की कोख से
जन्मे..ये आंसू..
कहा से उमड़ते हैं ..
यही रहस्य है..???
अश्रुकणों से भरपूर
झुलसी ये आँखे..
और हिम की घाटियों से
पिघल कर आती ये मन्दाकिनी
भावपूर्ण सुंदर -गहरी आँखों सी गहरी रचना
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
गजब कि पंक्तियाँ हैं ...
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पार आना हुआ
मौन....
किन्तु चंचल, गहरे, सुन्दर
और विषैले,
चन्दन से शीतल भी,
और अंगारों से ऊष्ण भी..
इस कविता की व्याख्या नहीं की जा सकती। कोई टीका नहीं लिखी जा सकती। सिर्फ महसूस की जा सकती है। इस कविता को मस्तिस्क से न पढ़कर बोध के स्तर पर पढ़ना जरूरी है – तभी यह कविता खुलेगी।
आशा की
हिमगिरी की कोख से
जन्मे..ये आंसू..
कहा से उमड़ते हैं ..
यही रहस्य है..???
आंसू के उमड़ने का रहस्य तो रहस्य ही है क्योकि कब ये उमड़ेंगे पता नहीं
बहुत सुन्दर रचना
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
tadtadtadtadtad........... taaliyaan sun rahi hain :)
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
Aprateem!Mere paas alfaaz nahin!
Hi..
Nayanon ki bhasha ko, tumne shabdon main bandha hai..
Tumne badi madhurta se,
nayanon ki di paribhasha hai..
Kavita aadi se ant tak rochak hai tatha utardh main bahut hi khubsurat bani hai..
Aisi hi madhur kavitayen likhti rahen..
Deepak..
अनामिका जी, आज आप फिर से आँसू का ब्यथा कथा लेक्र आई हैं..लेकिन आज हम बोलेंगे कि आप आँसू का खाली एक पक्ष का बात की हैं, व्यथा का... लेकिन सोचिए तो कि ई आँसू तो कोई प्यार से दूगो बात भी बोल देता है त निकल जाता है... कभी कभी त एतना खुस हो जाता है मन कि आँख से पानी बहने लगने लगता है, लेकिन हमरा दावा है कि ऊ आँसू कभी खारा नहीं होता होगा..
चलिए, हमरात आदत है बकवास करने का... आपका कबिता बहुत सुंदर लगा … सब्द सब्द गीला!!
बहुत ही प्यारी रचना ! बहुत गहरी, खूबसूरत और संवेदना से भरपूर ! मेरी बधाई स्वीकार करें !
बहुत खूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना, बहुत खूब!
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
अनामिका क्या बात है आज फिर से आंसू की व्यथा कथा वही मैं कहूँ की आज दिल्ली में अचानक फिर तेज बारिश क्यों हुई. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
इन नयनों की चमत्कारी शक्ति को कौन नहीं जानता वाह... हर एंगल से प्रभावी रचना
बहुत प्रभावी!!
raag ,viraag ,anuraag ,ye saari kaaynaat ,in aankhon me hi to hai ,
ye vrindaavan ,ye deth velee yahin kahin in alsaai ,uneendi aankhon me hi to hai ,
zaraa aankhon ke paar ,aankhon kaa atikraman karke bhi to dekho -
us paar bhi hai ek kaaynaat ,ek nai duniyaa ,
sooni maang si ,bairaag liye ,tan kaa ,man kaa .
sundar bhaav abhivyakti ke liye badhaai .
veerubhaai
अच्छी रचना...
इन नयनों ने कवियों को बहुत बेचैन किया है.
..आपकी बेचैनी भी अच्छी लगी.
kavita ke sath sath diye gaye chitro k nayano ne bhi bahut kuch bayan kar diya.......
kisi ne kaha bhi hai..."ragon me daudte firne ke hm nahi kaayal, jo aankh hi se na tapka to lahu kya hai..!!!"
बहुत सुंदर रचना.
बहुत खूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना, बहुत खूब!
एक खूबसूरत और भावनात्मक रचना के लिए बधाई !
बहुत मार्मिक कविता।
व्याकुल भावों की समुचित प्रस्तुति।
ये खार...
ये आंसू..
जो आँखों में मंडराते
भावनाओ के मेघ.....
व्यथा की हलकी ठेस से भी
फूटे पड़ते हैं ...!
ye aansu jab bhawnaon ke sath vyatha ko leke aankhon me baste hain to mann ke dukhte hi avikal bah chalte hain....
bahut khoob panktiyan rachi gayi hain aapke dwara.... aabhar..
मैं सोचती हूँ ....
ये नयन...
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
गहरे राज़ से भरे होते है नयन दोनो और भावनाओ का गहरा समुन्दर भी होते है , तभी तो व्याकुल रहते है .बहुत खूब लिखी हो .सुन्दर अति सुन्दर .
बहुत ही उम्दा रचना...!!
Bahut sunder......
bahut dino baad aapka blog visit kiya...!
nai rachnao se man taro-taja huwa
www.ravirajbhar.blogspot.com
दो नयनों को बहुत ही खूबसूरती से परिभाषित किया है……………नयनो की भाषा को बहुत ही सुन्दरता से बाँधा है।
do naina....ik kahani ...thoda sa badal thoda sa pani ...
aapne bhi aankhon ki aankhon me aaknhen daal kar unki kahani padh li di ...:)
bahut sunder.
अनामिका जी ऐसा लगता है यह अभिव्यक्ति आपने अपनी तस्वीर देखकर की है। तस्वीर और कविता दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बधाई।
रहस्य ही तो है ..इनमे कहाँ से आंसू उमड़ते हैं ...
किस रहस्य के प्रतिबिम्ब है ...
ये नयन ...
गीत याद आ रहा है ..." ये नयन भरे- भरे "
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
बहुत ख़ूब ! बेहतरीन रचना !!
नयन पर उत्कृष्ट रचना ।
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके
व्याकुल जीवन की
प्यास हो..!!
कमाल कि पंक्तियाँ हैं...बेहद संवेदनशील रचना
आशा की
हिमगिरी की कोख से
जन्मे..ये आंसू..
कहा से उमड़ते हैं ..
यही रहस्य है..???
एक उत्कृष्ट शब्दों की माला...मेरे सामने है, बधाई!
इन नयनों की भाषा समझना भी आसान नही है .... बहुत रहस्य है इन आँखों में ... सुंदर अभिव्यक्ति है ...
अश्रुकणों से भरपूर
झुलसी ये आँखे..
और हिम की घाटियों से
पिघल कर आती ये मन्दाकिनी
dil ki gahraiyon se nikale bhav ,khubsurat
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ................।ये आंखेँ दिल का आइना होती हैं और इस आइने में आपने तस्वीर को बड़ी गहराई से उतारा है ............
वाह आपने आँखों पर रच रच कर लिखा . बहुत खूब लिखा . बधाई लीजिये
ritikal our bhktikal ki rchnaon me part of body pr bhavnatmk astr pr likha jata tha . wah anamika ! kya khoob likha hai .
chrcha mnch ki prstuti ki bat hi kya hai . vykti vishesh ko prtikatmk roop me prstut krna ek anootha pryas tha. samgri bhi pthney our prshnshneey thi .
bdhaiyan .
वाह जी बहुत बढ़िया.
waah anaamika..kya baat hai!
बहुत गहराई लिए हुए भावपूर्ण कविता.... आपने निःशब्द कर दिया....
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!
तुम किस रहस्य के प्रतिबिम्ब हो ?
किसके प्यार की आभा हो
और किसके..व्याकुल जीवन की..प्यास हो..
नयनों को प्रती बनाकर........
कितनी खूबसूरत रचना पेश की है आपने.
बड़ी प्यारी सी रचना है भाई
अनामिका जी बधाई स्वीकारें
Shukriya Anamika ji, Bahut hi marmik kavita likhi hai aapne.
bahut hi umda rachna hai !
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