Wednesday, 17 August 2011

जी लेने दे मुझे भी.....


जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल
खुश हो लेने दे मुझे भी, कही शिकायत ना रहे कल
कि मैने खुशियों को कभी पास आते नही देखा
कि मैने कभी खुल कर खुद को हस्ते हुए नही देखा..!!

मुझे भी अच्छा लगता है खुश होना
मुझे भी अच्छा लगता है मुस्कराना
मैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में
कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..

गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के  दो पल...



सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि  यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी  खता होगी...


नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...

46 comments:

Sadhana Vaid said...

खूब जियें और खुश रहें ! मुस्कुराहट आपके अधरों पर रहे और चाँद सितारे आपकी मुट्ठी में बंद हों यही हमारी दुआ और मंगलकामना है ! उदासी की कवितायें हमारा मन भी उदास कर जाती हैं ! अपने मन में इसे जगह ना बनाने दें यही शुभकामना है !

केवल राम said...

मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...

एक अबोध के मन का दर्द इन पंक्तियों में बखूबी अभिव्यक्त हुआ है ....काश हम उस दर्द को समझ पाते ....आपका आभार

मनोज कुमार said...

मन के भाव अपने पूरी हसरतों के साथ प्रकट हुए हैं। यह भाव हर किसी में होना चाहिए जो हर पल हंसी ख़ुशी से जीना चाहे ... जी ले।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
बहुत गहराई तक उतर गई ये मासूम सी गुज़ारिश...
मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएं अनामिका जी.

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन पंक्तियाँ।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत उम्दा रचना....

Dev said...

बहुत खूब .....सुन्दर प्रस्तुति

प्रेम सरोवर said...

निर्मल मन के सुंदर उच्छवासों एवं अनाम संबोधन के माध्यम से प्रस्तुत आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी धन्यवाद।

Satish Saxena said...

कम से कम सुखांत ही दिया करें .... :-(
शुभकामनायें आपको !

Dr (Miss) Sharad Singh said...

नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..


बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

Anupama Tripathi said...

मन की उदासी भरे गहन भाव...!!
सुंदर रचना...!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मन की भावनाओं का मार्मिक चित्रण ..

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

अतिसुंदर रचना , सोचने के लिये बाध्य करती हुई.

!!अक्षय-मन!! said...

वाह बहुत खूबसूरत लिखा है जी लेने दो मुझे खुशी के दो पल
बहुत अच्छा लिखा है

वाणी गीत said...

दर्द और तन्हाई हर एक शब्द से टपक रही है ...
कोई ये कैसे बताये कि वो तनहा क्यों है !!

Udan Tashtari said...

वाह!! बहुत उम्दा!!!

सूबेदार said...

बहुत सुन्दर पोस्ट अच्छी रचना जो मन को प्रसन्न करती है बहुत-बहुत धन्यवाद.
लेकिन यह सरकार हमें प्रसन्न नहीं देखना चाहती.

Dorothy said...

एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Neelkamal Vaishnaw said...

नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

3- http://neelkamal5545.blogspot.com

रश्मि प्रभा... said...

मुझे भी अच्छा लगता है खुश होना
मुझे भी अच्छा लगता है मुस्कराना
मैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में
कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..
aisa hi ho, yahi sahi bhi hai

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

vandana gupta said...

बेहद मर्मस्पर्शी दिल को छूती रचना।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह बहुत सुन्दर भावनात्मक कविता !

संध्या शर्मा said...

मुझे भी अच्छा लगता है खुश होनामुझे भी अच्छा लगता है मुस्करानामैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....शुभकामना

Anita said...

आमीन ! हर खुशी हो वहाँ तू जहां भी रहे...
सुंदर कविता के लिए बधाई!

पूनम श्रीवास्तव said...

anamika ji
man ke antardvand ko bakhoobi lafj diye hain aapne bahut hi sundarta ke saath jajbaato ko komal shbdo ke saath bayan kiya hai.

मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
man ko kjakjhorti prastuti
bahut bahut badhai
poonam

Unknown said...

नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..


बहुत मर्मस्पर्शी रचना

Kailash Sharma said...

सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...

...बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण प्रस्तुति..अंतस को छू जाती है..

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...

एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो

रंजू भाटिया said...

बहुत बढ़िया पंक्तियाँ

Dr Varsha Singh said...

सार्थक लेखन ....

Anonymous said...

बहुत खूबसूरत........खुदा आपके दमन को खुशियों से भर दें..........आमीन|

संजय भास्‍कर said...

....बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण प्रस्तुति

सु-मन (Suman Kapoor) said...

sawal karti rachna hai ye...jee lene do mujhe bhi..kitni gahri vedna hai in lafjon me

kshama said...

गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..
Sach! Aisa waqt zindagee me kabhee na kabhee aahee jata hai! Laga,jaise mere mankee baat aapne likh dee!
Kharab tabiyat ke karan der ho gayee...maafee chahtee hun!

कुमार राधारमण said...

सदियों से यही दुहराया जा रहा है। मगर,बदलाव की बयार बहनी शुरू हो गई है। बस,संतुलन बना रहे।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

आपकी कविताओं में आकार पाकर भावों की अभिव्यक्ति एक नवीन अर्थ पाती है और पाठक को जोड़ लेती है.
अनियमित होने के कारण आपकी पोस्ट छूट गयी, वरना आपको मुझे लिंक देने की आवश्यकता नहीं थी.. मेरे ब्लॉग रोल में देख लें आप!!

monali said...

May sorrows keep away frm u.. keep spreading smiles n keep writing :)

mridula pradhan said...

marmik.....dil ko coo gayee......

Dr.Sushila Gupta said...

सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी

dard ko udvelit karti, marmik prastuti ke lie apka bahut2 abhar.

दिगम्बर नासवा said...

गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..

गहरे एहसास समेटे ... दर्द का एहसास कराती .. चुभती हुयी रचना ... बहुत अच्छा लिखा है..

पूनम श्रीवास्तव said...

anamika ji
bahut hi sundar marm bhari rachna .
shayad yah baat sabhi ke dil me hogi jaisi nipunta ke saath aapne in jajbaato ko apne shabd diye hain.
sach!khushiyo ki chahat kise nahi hoti par is bhag pdoud ki jindgi me ham aapne liye khushi ke do pal bhi nahi pa pate.
behatreen abhivykti
badhai
poonam

Rakesh Kumar said...

सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...

वाह! आपकी १०१ वीं पोस्ट तो गजब की है.
आपने जज्बातों का उफान ही ला दिया है इस पोस्ट में.
भावपूर्ण सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.

कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति-शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कर अनुग्रहित कीजियेगा.

Unknown said...

Shahid Mirja Sahab se hum ittefak rakhte hain...

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
बहुत गहराई तक उतर गई ये मासूम सी गुज़ारिश...
Badhai Anamika Ji..

प्रतिभा सक्सेना said...

मुस्कान आप के मुख पर बहुत सजती है-खुशी के पलों के साथ आपकी मुट्ठी में रहे !

ज्योति सिंह said...

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
ye to apna haq hai ,aur ise pana jaroori ,bahut hi badhiya likhti hoon .