गुरुवार, 24 सितंबर 2009

सिसकती राते और ...

सिसकती राते और जलते हुए दिन
आहो के तूफ़ान से सहमे खामोश लब
कब तक जी पाएंगे यू उदास सी जिंदगी..
कब तक छुपा पाएंगे यू आँखों की नमी हम ...

वो दामन भी नही..
जाकर छुप जाए जिसमे हम ...
भिगो दे उस आंचल को ,
या वो सीने से लगा ले अब..!!

सिसकती राते और जलते हुए हम..

बैचैनिया दीमक बन गई है..
छटपटाता है व्याकुल मन..
अकेलेपन की ज्वाला..
ख़ुद को जलाती है हर दम..

प्यार का प्यासा बचपन..
आज भी तडफता है..
रोता है रोम रोम कभी, तो
सुलगती है आत्मा अकेले में हर दम..

कोई साथी, कोई सहारा ना हुआ..
जिसको भी अपनाना चाहा
ख़ुद में ही सिमटा सा मिला.

सिसकती राते और जलते हुए दिन..
जिंदगी कट रही है..यू ही..
कट जायेगी एक दिन
यू ही दब के गमो से
मर जायेगी तनहा एक दिन... !!

सोमवार, 21 सितंबर 2009

आवाज क्यों नही आती..

दिल टूटता है तो आवाज क्यों नही आती..
आँख रोती है तो बरसात क्यों नही आती..
आ जाते है ज़लज़ले...जिंदगी के चमन में..
डूब जाती है जिंदगिया..मगर....
महबूब के दिल तक आवाज़ भी नही जाती..

रहमो करम पे ही क्यों जिन्दा है मोहोब्बत दुसरो के..
तड़फ तड़फ कर भी उजालो की शुरुआत नही आती.
महबूब ही करे जब कोई चोट तो..
दिल को मर कर भी मौत क्यों नही आती..

जिंदगी है की उजडती जाती है पत्ता-पत्ता तमाम उमर
जख्म-ऐ-लहू रिसने पर भी धड़कने मौत नही लाती...
गमो की काली रातो से कब्रिस्तान-ऐ-जिंदगी बन ही जाती है..
रोती है कायनात भी मुझ पर..मगर साँस ही नही जाती..
मांगती हू मौत, मगर मौत भी तो नही आती...

दिल टूटता है तो आवाज क्यों नही आती..
आँख रोती है तो बरसात क्यों नही आती..

मुह फेर लिया उसने, मोहोब्बत जताने को बाद..
दिल तोड़ दिया उसने, दिल में बसाने के बाद..
'छोड़ दिया तुम्हे' ये सुन भी साँस क्यों नही जाती..
बैठी हू किस उम्मीद पर..ये जान क्यों नही जाती..

लहूलुहान सी जिंदगी में अब बाकि क्या बचा है..??
ख़तम हो गया सब कुछ तो अब मैं मर क्यों नही जाती..

दिल टूटता है तो आवाज क्यों नही आती..