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आज की ये रात गुज़र जाने दे
जितने भी आंसू दफ़न हैं सीने में
सब इस गम पर बह जाने दे.
तू न रोया तो, सकूँ ना मिलेगा तुझे
कतरा - कतरा मन के लावे को
आँखों से निकल जाने दे.
ना टूट जाना कहीं,
ना बिखरना कभी..
तू टूटा तो ये चमन उजड़ जायेंगे
बिछड़ जायेंगी पत्तियां पेड़ से...
फूल मुरझा जायेंगे..
फिर तू ही बता कि..
बागबान किसको कह पाएंगे..
आज की रात ये बस
गुज़र जाने दे.
जमाने का क्या है
रोज़ नए रंग हैं इसके
मतलब तक ही सब
बस बनते हैं अपने.
तू पीछे था इनके तो..
दुत्कारते थे तुझको
आज है जरुरत तो..
पुकारते हैं तुझको
कल तक जो इन राहों को
तकते नहीं थे..
आज राहें जुदा हैं तो..
बिलबिलाते हैं दुखी हो .
जीने का हक़ मिले सब को
ये चाहते नहीं हैं.
कोई खुश क्यों है...
यूँ जलते बहुत हैं.
तू भी सब्र कर बस वक्त आने दे
आज की ये रात गुजर जाने दे .