अपने दिल की उदासी को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ
अपने लफ़्ज़ों से जज्बातों को बहला लूँ तो कुछ और कहूँ.
अपनी साँसों से कुछ बेचैनियों को हटा लूँ तो कुछ और कहूँ
धूप तीखी है, जिंदगी को छाँव की याद दिला दूँ तो कुछ और कहूँ
चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..
जिंदगी के थपेडों से मोहलत मिले, वक़्त कुछ खुशियाँ तो दे झोली में..
कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ .
नरम हाथों ने जिसे पाला था, देखें आकार कितने मायूस हैं जिंदगी से
हम आँखों के तारों के छालों की दवा वो करें तो कुछ और कहूँ ..
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.
अपने हाथों की लकीरों में सजाया था जिसने वो किस्मत भी सजा दे
जन्म देने वाले ओ खुदा मेरी खुशियाँ भी जन्माते तो कुछ और कहूँ.