Tuesday 23 August 2011

इन उदास चिलमनों में..





इन उदास चिलमनों में

तूफ़ान गुजरने के बाद के
उजड़े शहर की बर्बाद इमारतें हैं.


इन उदास चिलमनों में 
बाढ़ के बाद बचे चिथड़ों के नज़ारों से 
उठती दर्दनाक  सीलन है.




  वो नज़ारे जो कभी हीर- रांझा के                
                                                                वो किस्से जो शीरी-फ़रहाद के थे,
                                                                वो सब दफ़न हैं इन उदास आँखों में.




कभी चमक उठती हैं ये आँखे 
 उन खाबों की दुनियां में डूबकर 
  तो कभी बरसता है सावन भादो
इन गहरी पलकों की कुंजों से.

गुमां होता है  कभी  यूँ  कि 
देता है सदायें वो फ़कीर कहीं दूर से  
कभी सहमीं सी देखती हैं ये पनीली आँखे
डोली में सिमटी दुल्हन के घूंघट से.



रफ्ता रफ्ता फांसले बढ़ते हैं 
ज्यों रेगिस्तान के वीराने की तरह 
और भर जाता है मन
इस चिलमन की उदास नमीं से .

Wednesday 17 August 2011

जी लेने दे मुझे भी.....


जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल
खुश हो लेने दे मुझे भी, कही शिकायत ना रहे कल
कि मैने खुशियों को कभी पास आते नही देखा
कि मैने कभी खुल कर खुद को हस्ते हुए नही देखा..!!

मुझे भी अच्छा लगता है खुश होना
मुझे भी अच्छा लगता है मुस्कराना
मैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में
कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..

गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के  दो पल...



सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि  यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी  खता होगी...


नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..

जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...

Wednesday 10 August 2011

वो चुप रहें तो ....100 वीं पोस्ट

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साथियो, आज यह मेरी  100 वीं पोस्ट है...इसलिए कुछ उदासीनता भरा या आक्रोश भरा लिखने की बजाय सोचा कि क्यूँ न कुछ अच्छा अच्छा सा, मंद मंद ठंडी बयार जैसा कुछ लिखा जाए...तो प्रस्तुत है मेरी ये कोशिश आपके समक्ष ....

थोड़ी देर पहले ये गाना सुना....

वो चुप रहें  तो मेरे दिल के  दाग जलते हैं ...
वो मुस्कुरा  के  देख लें तो बुझते चिराग जलते हैं....

सच मे बहुत अच्छा लगा....बहुत दिनों  बाद ये गीत जब एक बार फिर सुनने को मिला तो  दिल किया की इसी तरह की ज़रा हम भी कोशिश कर लें.......



वो  चुप चाप यूँ  बैठे क्यूँ  हैं...
पलकों को झुकाए, होठों में पैगाम दबाए..
आँखों में शरारत, रुखसारों की चमक छुपाये 
वो  चुप चाप यूँ  बैठे  क्यूँ हैं......

मेरे सब्र के  प्याले  छलके से  जाते हैं....
वो  कुछ  कहें  तो थोड़ा चैन पाते हैं...
दिल की बेकरारी भी हदों से पार जाती  है ...
चैन आ जाए  गर वो मुझसे बात करते हैं ..

बेताब  धड़कनों का शोर बढ़ता जाता है....
उनके लब हैं कि हिलने में भी वक़्त लेते हैं...
मेरी हर सहर अंधेरो में डूबी जाती है..
वो कुछ कहें तो रोशनी सी ये रूह पाती है..

'उदास'  की उदासी को वो बढ़ाते क्यूँ हैं ..
और हो जाऊंगी उदास वो ये जानते भी हैं ..
ग़मों से छंटकर आज कुछ एहसास जगे हैं 
करीब आयें, तभी  तो  फांसले सिमटते हैं.

वो  चुप चाप यूँ  बैठे क्यूँ  हैं...
पलकों को झुकाए, होठों में पैगाम दबाए..
आँखों में शरारत, रुखसारों की चमक छुपाये 
वो  चुप चाप यूँ  बैठे  क्यूँ हैं......


Wednesday 3 August 2011

मैं रीढ़ विहीन

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मैं रीढ़  विहीन हो गया हूँ  ,
मेरे वज़ूद में भी 
बहुत से छेद हो गये हैं
मेरा खून चूस चूस कर
कहीं और चढ़ा दिया जाता है
मेरे अंगों की
कार्यकुशलता  से, 
मेरे बौद्धिक स्तर की
मनीषिता को 
निचोड़ निचोड़  कर,
मेरे बच्चों को 
अपने पास बुला
मुझे कमजोर कर,
अपना  घर
समृद्ध  कर लिया है.

मैं  पहले ही अपने विकारों 
से व्यथित  हूँ
भृष्टाचार, घूंस  खोरी,
गरीबी, अशिक्षा,
बेरोज़गारी, नशाखोरी,
जलन, भेदभाव.....
जैसे रोगों से ग्रसित हूँ.

मेरे बच्चे  भीरु और
बिकाऊ प्रकृति के हैं 
स्वार्थी- पन  इनकी 
सबसे बडी पह्चान है.

पडोसियों के निशाने पर हूँ
वो ताक में हैं  कि कब 
मेरे बच्चे  पूर्ण  रूप से 
नपुंसक हो जाये
और वो तान्डव करनें
पहुंच जायें.

क्या  कोई  सपूत
मेरी  रीढ़  की
हड्डी  को 
मज़बूती प्रदान नहीं कर सकता ?

कोई  मेरे  बलिष्ठ बाहु-बल को
मुझमे  लौटा कर,
मुझे समृद्ध नहीं कर सकता ?
मेरे बच्चे क्या 
मेरे पास आ कर 
मुझे रोग रहित नहीं कर सकते?

बदलो, जरा खुद को 
नपुंसकता के इस चोले
को उतार फेंको..
जरा खून में उबाळ लाओ 
मेरी आन, बान और 
शान को वापिस लाओ.