बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

कटु सत्य





















बिछोह की कराहती वेदना से
मै अस्त-व्यस्त सा हू.
अतीत के रेश्मीन धागे
जल चुके है.
जो बाकी हैं..
वो वेदना और व्यथा से सने हुये हैं .
कर्कशता और कुप्ता का
घाव लिए हुये हैं .
अब आगे की ओर कूच करना है .
जीवन की बंजर भूमी पर
एक छोटा सा सोता लाना जरुरी है .
मगर अभी तो पानी के माद्धिम वेग में
केवळ प्यास है.
इसकी कल-कल में ..
अतृप्ती की बेचैनी घुली हुई है .
इसके किनारो पर
ताप बिखरा है
इसे छूने में भी व्यथा है.
मगर अब विदेह होकर
साहस करने का प्रश्न है.
यदि इस विषम क्षणो के
कीटो के रेशो से आशा के धागे निकल सके तो
निष्चय ही जीवन में
विश्वास को गूथा जा सकता है.
लेकिन ये सब...
म्रिग-मरीचिका सी कल्पना है.
तो फिर....
जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!

22 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!


बहुत सुंदर पंक्तियाँ.... बहुत अच्छी लगी यह कविता ...आपकी....

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना लगी ,।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अतीव वेदना के बाद बढ़ाने का हौसला निश्चय ही सराहनीय है....खूबसूरत रचना...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

अनामिका जी, आदाब
......जीवन की बंजर भूमी पर
एक छोटा सा सोता लाना जरुरी है .
मगर अभी तो पानी के माद्धिम वेग में
केवळ प्यास है.......
सुन्दर भाव.
......इसकी कल-कल में ..अतृप्ती की बेचैनी घुली हुई है .
कीटो के रेशो से आशा के धागे निकल सके तो
निश्चय ही जीवन में....विश्वास को गूथा जा सकता है.
सकारात्मक दृष्टिकोण....बधाई

M VERMA ने कहा…

जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.

जी हाँ यही सत्य है. इसे स्वीकार करना ही होगा.
सुन्दर अभिव्यक्ति

Randhir Singh Suman ने कहा…

वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!nice

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आगे बड़ना ही जीवन है .... चाहे दर्द भरा हो ... खुशी में डूबा हो .... पर जीवन् का सत्य ब्स इतना ही है की इसे आगे बड़ना है ... पल पल मौत के करीब आना है ....
गहरे भाव लिए है आपकी रचना ...

अनिल कान्त ने कहा…

जीवन से जुडी एक बहुत अच्छी रचना ..
सत्य और भावपूर्ण

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

गहरे भाव लिए है आपकी रचना ...!!

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति
बधाई ................

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

तो फिर....
जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!
बहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण रचना----।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

यदि इस विषम क्षणो के
कीटो के रेशो से आशा के धागे निकल सके तो
निष्चय ही जीवन में
विश्वास को गूथा जा सकता है.
...वाह क्या बात है! ऐसी कविताएँ पढ़कर जीने की हिम्मत हो ही जाती है.
...बधाई.

ज्योति सिंह ने कहा…

तो फिर....
जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!
bahut hi pyaari rachna ,kai dino se aapko dekha nahi to khojte huye aa gayi

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू .

क्या बात है..वाह..लेकिन अभी भी मेरी फ़ेव वही है "मुझे क्षमा करना".. वो आपने एक मार्वेल लिखा है...कभी हमारे ब्लाग पर भी पधारे..

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत लाजवाब रचना है दिल को छू गयी,बहुत कुछ कह डाला इतने में ही बधाई

Apanatva ने कहा…

pahalee var hee aapke blog par aana hua......
कीटो के रेशो से आशा के धागे निकल सके तो
निष्चय ही जीवन में
विश्वास को गूथा जा सकता है.
लेकिन ये सब...
म्रिग-मरीचिका सी कल्पना है.
bahut sunder bhavo kee prastuti......
gatisheelata hee to jeevan hai dhadkane kanha kabhee ruktee hai.......
jeevankal me .

अलीम आज़मी ने कहा…

u have wrote a beuatiful poem .... fabulous anamika ji ... keep going .....

Nidhi ने कहा…

आगे की और बढते रहने की आशा को बताती ..सकारात्मक रचना

आनंद ने कहा…

जीवन की इन बेबसी की कंदराओ में
आगे बढते रहना ही ..
वास्तविक कटु सत्य है.
और में बढता जा रहा हू ..
बढता जा रहा हू..!

सदा जी बढ़ना तो है फिर बेबसी की कंदराओं से बाहर क्यों ना निकला जाए ...क्यों ना जो है उसे स्वीकार कर लिया जाए खुले मन से ?

vandana gupta ने कहा…

कटु सत्य है तो क्या हुआ चलना ही मेरी नियति है।

Unknown ने कहा…

जीवन की बंजर भूमी पर
एक छोटा सा सोता लाना जरुरी है .
मगर अभी तो पानी के माद्धिम वेग में
केवळ प्यास है...
बेहद सुन्दर भाव अभिव्यक्ति....शुभकामनायें !!!

Asha Lata Saxena ने कहा…

उम्दा रचना मन छू गाई