शुक्रवार, 12 मार्च 2010

करीब आने तो दो..

















अपनी बाहो के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो..
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो..

छुपा लो दामन में, छांव आंचल की तो दो .
सुलगते मेरे एह्सासो को, हमदर्दी की ठंडक तो दो..

दिवार-ए-दिल से चिपके दर्द को आसुओ में ढलने तो दो ..
शब्दो को जुबा बनने के लिए, जमी परतो को जरा पिघलने तो दो..

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..

जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो..!!

34 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

अपनी बाहो के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो..
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो..
Khubsurat ahsas anamika ji!

जोगी ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..
wow...Beautiful,amazing one !!

संजय भास्‍कर ने कहा…

छुपा लो दामन में, छांव आंचल की तो दो .
सुलगते मेरे एह्सासो को, हमदर्दी की ठंडक तो दो..

दिवार-ए-दिल से चिपके दर्द को आसुओ में ढलने तो दो ..
शब्दो को जुबा बनने के लिए, जमी परतो को जरा पिघलने तो दो..

इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना । आभार

ढेर सारी शुभकामनायें.

Randhir Singh Suman ने कहा…

छुपा लो दामन में, छांव आंचल की तो दो .
सुलगते मेरे एह्सासो को, हमदर्दी की ठंडक तो दो.nice

बेनामी ने कहा…

क्या रोती रहती हो हरदम ,दुष्ट लड़की !
अरे !गाना है तो प्रेम के, जोश उमंग के, नवजीवन के ,जीत के गीत गाओ ,कोई क्या सहारा देगा हमें ,हम दूसरों को सहारा देने कि क्षमता रखते हैं ,दुनिया सुकून पाती है हमारे घनेरे छाया भरे प्रेम -कुञ्ज में .
फोटो बड़ा प्यारा है भाई तुम्हारा 'प्रोफाइल' वाला ,कितनी 'सोबर' प्यारी लग रही हो .
ग्रेसफुल लुक है इसमें तुम्हारा .
लिखो ,मगर उदासी और निराशा के गीत नही

रानीविशाल ने कहा…

Gahare jasbaato ko shabdo me dhal kar is rachana me sajaya hai Anamikaji aapane,...Dhanywaad!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो.

एक ऐसा रंग, जो असर छोड गया. बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!
नियमित लेखन कार्य करती रहो!

M VERMA ने कहा…

प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो..!!
sunder

ज्योति सिंह ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..

जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो..!! behad behad khoobsurat ahsaas ,tarif ke liye shabd dhoondti hi rah gayi ,kyoki mahsoos karne ke siva kuchh aur rasta nazar nahi aaya .

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर एहसास.

Satish Saxena ने कहा…

तकलीफ और आशा का अच्छा संगम है इस रचना में ! शुभकामनायें अनामिका जी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जज्बातों को सुन्दर अल्फाजों से सजाया है.....बहुत खूब...

Udan Tashtari ने कहा…

अपनी बाहो के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो..
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो..

-वाह! बहुत खूब!

Girish Kumar Billore ने कहा…

Ek behad roomani bat पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.

Mithilesh dubey ने कहा…

आपके भाव के क्या कहनें , लाजवाब प्रस्तुति रही ।

शरद कोकास ने कहा…

सचमुच सदायें हैं यह तो ..।

rashmi ravija ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..
जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

vandana gupta ने कहा…

bahut sundar abhivyakti.

प्रकाश गोविंद ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

शुभकामनायें.

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!

वाणी गीत ने कहा…

प्रेम -सुधा बरसा कर कराहती वेदनाओं को क्षीण होने दो ....
मधुर गीत ...!!

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Indu puri ji ki poori tippani meri maani jaaye...
is anamika ki bacchi ko kitni baar samjhaya hai rona dhona band ...lekin maane tab na...haan nahi to...!!!

Parul kanani ने कहा…

bahut khoob anamika ji!

कडुवासच ने कहा…

छुपा लो दामन में, छांव आंचल की तो दो .
सुलगते मेरे एह्सासो को, हमदर्दी की ठंडक तो दो..
...bahut khoob !!!!

निर्मला कपिला ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..

जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो द
वाह् वाह बहुत खूब अच्छी लगी रचना वैसे इन्दू जी की बात पर ध्यान दो। शुभकामनायें

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

indu puri ji se purn roop se sahmat... :)

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति है सुन्दर रचना शुक्रिया

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

अपनी बाहो के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो..
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो..

wah madam, ehsaason ko bakhubi wyakt kiya hai!!

अलीम आज़मी ने कहा…

anamika ...ji aapki baat hi niraali hai jitni tareef karu phir bhi kam pad jaayega har ek rachna aapki ek se badhkar ek hoti hai

kshama ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो..
Bahut khoob!

Unknown ने कहा…

अनामिका जी हर एक पंक्ती दिल को छु गई ....बहुत ही सुन्दर लिखा है जज्बातों को

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पलको के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो..

ग़ज़ब की कल्पना है ... पलकों की छाँव में कभी कभी जीवन से मुलाकात हो जाती है ....