दोस्तो शहीद भगत सिंग जी की याद में कुछ फूल समर्पित है...जैसा कि वो अपनी बुलंद आवाज में लोगो में नयी स्फूर्ती का आवाहन करते थे..उसी लय में कुछ पंक्तीया मैने लिखी है जो आपकी नजर है..
इतनी तन्हाई...इतनी बेबसी कहाँ से लाए हो..
बाजुओ मे अभी दम है..अभी क्यू घबराए हो..
आहों के तूफ़ानो को आशाओ की हवा दे दो
गर्दिश की आँधियो को मंज़िल का पता दे दो..
टूटे सपने है, मगर दिल को उम्मीदो से भर लो..
गुज़र जाएँगे तंग रास्ते भी अभी चार कदम चल लो..
दिल की आतिश को हमारे साथ की सरगर्मियाँ दे दो..
इन तन्हाई की शामो को हमारे दिल का सकूँ दे दो...
अपनी कोशिशो को पाक हिम्मत-ए-मर्दा दे दो..
अपनी माँ-बहनो के होटो को उम्मीद के दामन दे दो..
इतना ही कर दो बस अपने भारत को हौसला-ए-कदम दे दो..
दौड़ेगा फिर ये भी सबसे आगे बस अपना बाजू-ए-बल दे दो..
छिटको निराशाओ की बदलियो को..और थोड़ी गमो को हवा दे दो..
क्यू अंधेरो मे घिरे जाते हो..अपनी सोचो को नई राहे दे दो..
34 comments:
क्यू अंधेरो मे घिरे जाते हो..अपनी सोचो को नई राहे दे दो..
didi cha gai aap to...
आहों के तूफ़ानो को आशाओ की हवा दे दो
गर्दिश की आँधियो को मंज़िल का पता दे दो..
bahut hi sundar panktiyaa hai...
इतना ही कर दो बस अपने भारत को हौसला-ए-कदम दे दो..
दौड़ेगा फिर ये भी सबसे आगे बस अपना बाजू-ए-बल दे दो..
kaash ye ho jaaye ...
sundar kavita..
badhai..
टूटे सपने है, मगर दिल को उम्मीदो से भर लो..
गुज़र जाएँगे तंग रास्ते भी अभी चार कदम चल लो..
बहुत खूब
वाह!! बहुत बेहतरीन रचना समर्पित की है, बधाई!
--
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
समसामयिक खूबसूरत कविता...बधाई
आहों के तूफ़ानो को आशाओ की हवा दे दो
गर्दिश की आँधियो को मंज़िल का पता दे दो..
अनामिका जी, शहीदे-आज़म भगत सिंह जी को भावभीनी श्रद्धांजलि
एक शेर पेश है-
वो जो कल बिस्मिल-भगत-अशफ़ाक़ के सीनों में था,
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये...
बढिया रचना.. मैने नोटिस किया कि कुछ अल्फ़ाज थोडे गलत लिख जा रहे है.. विन्डोज लाइव राइटर और बारहा IME का प्रयोग करे
vaah ji bahut baddiya :)
अच्छी रचना
बहुत सुन्दर पोस्ट,बेहतरीन अभिव्यक्ति, बहुत गहरी बातें
"इतना ही कर दो बस अपने भारत को हौसला-ए-कदम दे दो..
दौड़ेगा फिर ये भी सबसे आगे बस अपना बाजू-ए-बल दे दो.."
एक बहुत जरुरी सा आह्वाहन!
बिलकुल सही शब्दों में!
अमर शहीदों को शत-शत नमन!
कुंवर जी,
बाजुओ मे अभी दम है..अभी क्यू घबराए हो..
भगत सिंह जैसे वीर सपूत सदियों में एक ही पैदा होते हैं .... उनकी याद में लिखे गीत को सलाम ....
बहुत अच्छी रचना अनामिका जी शहीद भगत सिंह के लिए ........!!
अंतिम दो पंक्तियों में थोड़ा फेर करें जम नहीं रहीं ......!!
"हवा देना " मुहावरा है जिसका अर्थ किसी चीज़ को और बढ़ावा देना हुआ ....!!
छिटको निराशाओ की बदलियो को..और थोड़ी गमो को हवा दे दो..
क्यू अंधेरो मे घिरे जाते हो..अपनी सोचो को नई राहे दे दो..
heer di... mai aapki baat se puri tarah sahmat hu...
lekin aap ise bina muhavre k padh kar soche..
maine simply HAVA DE DO ko sirf gamo ko hava dene means gamo ko hava de kar dur hatane ki soch se prayog kiya hai.
shukriya....aapke guidence k liye.
इतना ही कर दो बस अपने भारत को हौसला-ए-कदम दे दो..
दौड़ेगा फिर ये भी सबसे आगे बस अपना बाजू-ए-बल दे दो..
aesa ho jaaye phir to kya hai hindustaan ki tasvir badal jaaye ,bahut khoobsurat rachna ,jai hind ,man ko chhoo gayi dono rachnaaye ,is desh me aese bhi log rahe ...
प्रेरणास्पद रचना...पहला शेर ही पूरी रचना पड़ने को मजबूर करता है.
bahut sunder likha hai yeh hamare desh ke ratn the .... jo kabhi na bhule na bhula jaayega ....yeh aaj bhi hamare dilo me zinda hai ....badhai ho aapko ...appne achcha likha
waqt nikal kar hamare blogs par aaye anamika ji
शहीद भगतसिंह को नमन ।
एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
आहों के तूफ़ानो को आशाओ की हवा दे दो
गर्दिश की आँधियो को मंज़िल का पता दे दो..
bahut sunder bhaav ... marmik rachna...
badhaayee sweekar karien...
इतना ही कर दो बस अपने भारत को हौसला-ए-कदम दे दो..
दौड़ेगा फिर ये भी सबसे आगे बस अपना बाजू-ए-बल दे दो.
बहुत ही प्रेरणास्पद रचना...सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर,
बाजुएँ फडफडा जाती हैं...ऐसी रचनाये पढ़ कर..
बधाई हो आपको.
kya baat hai.........!!
वाह...बहुत ही सार्थक और सुन्दर श्रद्धांजलि...
सुन्दर रचना...
सुन्दर और भावपूर्ण श्रद्धंजलि दी है आपने इस तूफ़ान को
prerna dayak kavita.....bhagat singh ji ko sraddhanjali aur apki is rachna par badhai.....apki rachan padhkar yaad aata hai kuch is tarah........"sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil me hai...dekhna hai jor kitna baaju-e-kaatil me hai"
आदरणीय बहन . श्रेष्ठ वाणी को आप विश्व के सामने प्रस्तुत कर रही है..समस्त भारतीय परम्परा की और से मैं आपका धन्यवाद करता हूँ
बहुत सुंदर और सशक्त रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
wah! ese kahate hai kise me housala aafzai karana. bahat hi sundar lagi aapki yah post.
aap ki rachnayen padhi..aapka lekhan bahut umda hai..
aapse sikhne ko bahut kuch milega....
its a awesme poem and hope dis all thngs will happen........:)
its a awesme poem and hope dis all thngs will happen........:)
its a awesme poem and hope dis all thngs will happen........:)
खूबसूरत कविता देशभक्ति से ओतप्रोत बधाई
Post a Comment