सोमवार, 14 मार्च 2011

आओ ना प्रिये ...



















असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,


थपका दो जरा.. 
मेरी हिज्र की रातों को 
अपने स्पर्श से.
ढक लो एक बार 
अपनी चांदनी की ठंडक से .


मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.


तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर.


आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.

54 टिप्‍पणियां:

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बड़े ही नाज़ुक एह्सासात को शब्दों में समेट कर बहुत सुंदर प्रस्तुति

असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,

बहुत ख़ूब !

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

pyaar ka aagrah...bahut sundar...

केवल राम ने कहा…

मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.

सच में जब हमें किसी से सच्चा प्यार होता है तो उसके पास आकर हमारे सभी दुःख दर्द दूर हो जाते हैं ...आपने एक विनम्र आह्वान करते हुए उस भाव को अभिव्यक्त किया है ....आपका आभार

Anupama Tripathi ने कहा…

ओस की ताजगी में भीगी -प्रेम रस में डूबी बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.
bhawuk abhivyakti

Satish Saxena ने कहा…

कष्ट की अनुभूति में, अपने की उपस्थिति का अनुभव ही बड़ी राहत देता है ! शुभकामनायें !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.uchcharan.com/

Dr Varsha Singh ने कहा…

थपका दो जरा..
मेरी हिज्र की रातों को
अपने स्पर्श से.
ढक लो एक बार
अपनी चांदनी की ठंडक से .

गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
चित्र भी बहुत अच्छा है।

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खुबसुरती से गढ़ा है भावों को...लाजवाब....बहुत ही सुंदर।

mridula pradhan ने कहा…

atyant komal bhawon ki kavita hai.....bahot khoobsurat.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,

कमाल की भावासक्ति.....बहुत सुंदर अनामिका जी

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आत्मीयता से भरी पूरी अभिव्यक्ति।

सुज्ञ ने कहा…

भावयुक्त प्रणय निवेदन!! खूबसूरत रचना!!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर.

कितनी खूबसूरती से भाव पिरोए हैं आपने...बधाई.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति, धन्यवाद

संध्या शर्मा ने कहा…

असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,
अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्यार भरी मनुहार ...खूबसूरत अभिव्यक्ति

Dr Xitija Singh ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति .... शुभकानाएं ...

राजीव तनेजा ने कहा…

सुन्दर रचना

kshama ने कहा…

आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.
Kitna bhavuk,kitna komal israar hai!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

होली के अवसर पर बहुत उम्दा प्रस्तुति!

वाणी गीत ने कहा…

इंतज़ार की इंतिहा होने से पहले बड़े नाजुक से एहसासों के साथ बुला लिया है प्रिय को ...
एक राजस्थानी गीत याद आ रहा है ... " पिया आओ तो मनड़ री बात कर ल्यां"
बेहद खूबसूरत रचना !

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

संवेदना से भरी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर...

बहुत रूमानियत लिए ... नाज़ुक एहसासों में समेटा है इस रचना को ....
बहुत लाजवाब ...

वृजेश सिंह ने कहा…

आपकी कविताओं कि इन पंक्तिओं में ऐसी पुकार है कि अनमनी प्रकृति भी दौड़ी चली आई है . दर्द का मंजर और प्रिय के सानिध्य की चाह को चांदनी और मेघ के मौजूदगी की गुजारिश ने इस कविता को अद्भुत बना दिया है. शुक्रिया.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी कविता/नज़्म।

कुछ रोने--बिसुरने से बाहर तो निकली आपकी लेखनी।

आखिर सब जगह फगुआगट चढ जो रहा है। और फॉंट के रंग का चयन (गुलाबी) होली के साथ नज़्म के अनुकूल भी है।

... और इस नज़्म के लिए एक शे’र

कब से दरवाज़ों को दहलीज़ तरसती है ‘निज़ाम’
कब तलक़ गाल को कोहनी पे टिकाये रखिए

amit kumar srivastava ने कहा…

pranay nivedan.....shaandaar

vandana gupta ने कहा…

वाह्………………प्यार भरा निवेदन्……………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

सदा ने कहा…

मैं भूल तो जाऊं जरा ..
उस जलन को
जो विस्मृतियों में आकर
लील देती है
मेरे प्यार के रेशों को.

वाह ...बहुत ही सुन्‍दर ।।

सुनील गज्जाणी ने कहा…

असह्य वेदनाओं को
ढेल कर,
थका - मांदा सा
विह्वल
तुम्हारे पास आया हूँ.
समेट लो ना मुझे
अपने दामन में,

कमाल की भावासक्ति.
बहुत सुंदर अनामिका जी

Sunil Kumar ने कहा…

निमंत्रण आने का अपने प्रिय से , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

तराशे भावों और सहेजे गए शब्दों में मुस्कराती कविता.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

anamika ji
bahut hi sundar
kya likhun ,aapne itne pyar apne pyaar ka ijhaar priytam se kiya hai to kya bhal vo ise thukra payenge .doude chale aayenge aapke daman ko chandani raat sikhushhiyo se bharne ke liye.
sach! bahut hi behtreen pranay ki abhivykti.aur shabdo ka chayan to kaita ko char chaand laga hi raha hai.
aabhar
poonam

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही प्यारी कविता ! हिज्र की यह रात वस्ल की रात में बदल जाये और प्यार भरी इस मनुहार का मान रखा जाये यही कामना है ! इतनी खूबसूरत एवं कोमल सी रचना के लिये बहुत-बहुत बधाई एवं होली की ढेर सारी शुभकामनायें !

अलीम आज़मी ने कहा…

bahut sunder kavita likhi hai aapne...

संजय भास्‍कर ने कहा…

खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

M VERMA ने कहा…

कोमल एहसास की सुन्दर रचना

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

बहुत सुंदर कविता है..
प्रेम की पिपासा...कितने मधुर शब्दों में..वाह..

Neeraj ने कहा…

मासूम कामनाएं

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

कुमार राधारमण ने कहा…

स्त्री प्रेम है। सबको तलाश है उसे पाने की।

Pawan Rajput ने कहा…

bhut khoob kya baat hai
bhut acha likha

ZEAL ने कहा…

तुम्हारा सानिध्य पा कर
मैं सुकून पा, तनिक..
और छिड़का लूँ
ओस की सी ताजगी
आग्नेय हो चुकी
अपनी रातों पर....

wow Anamika ji ,

Excellent creation !

.

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छा लगा यूँ प्यार के रंग में रंगना. प्यार के मेघ नहीं अब तो प्यार के रंग के बरसने का मौसम आ गया है

बेनामी ने कहा…

Dr.Rama Dwivedi...

सुन्दर ,मार्मिक रचना के लिये बधाई एवं होली की ढ़ेर सारी मंगलकामनाएं......

rajesh singh kshatri ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

सादर

ज्योति सिंह ने कहा…

आओ ना प्रिये
प्यार का मेघ
बरसा दो
इस अकुलाते
तपते हृदय पर.
sundar aur bhavpoorn ,holi ki dher saari badhai poore parivaar ko .

Dr Xitija Singh ने कहा…

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

BrijmohanShrivastava ने कहा…

होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

Dorothy ने कहा…

नेह और अपनेपन के
इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

अनामिका जी
रंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !

आओ न प्रिये !
प्यार का मेघ बरसा दो
इस अकुलाते-तपते हृदय पर …


बहुत सुंदर प्रणय रचना के लिए हार्दिक बधाई !


♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥

होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!


- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Rathore ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना! आपको अनेकानेक शुभकामनायें