जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल
खुश हो लेने दे मुझे भी, कही शिकायत ना रहे कल
कि मैने खुशियों को कभी पास आते नही देखा
कि मैने कभी खुल कर खुद को हस्ते हुए नही देखा..!!
मुझे भी अच्छा लगता है खुश होना
मुझे भी अच्छा लगता है मुस्कराना
मैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में
कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल...
सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
46 टिप्पणियां:
खूब जियें और खुश रहें ! मुस्कुराहट आपके अधरों पर रहे और चाँद सितारे आपकी मुट्ठी में बंद हों यही हमारी दुआ और मंगलकामना है ! उदासी की कवितायें हमारा मन भी उदास कर जाती हैं ! अपने मन में इसे जगह ना बनाने दें यही शुभकामना है !
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
एक अबोध के मन का दर्द इन पंक्तियों में बखूबी अभिव्यक्त हुआ है ....काश हम उस दर्द को समझ पाते ....आपका आभार
मन के भाव अपने पूरी हसरतों के साथ प्रकट हुए हैं। यह भाव हर किसी में होना चाहिए जो हर पल हंसी ख़ुशी से जीना चाहे ... जी ले।
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
बहुत गहराई तक उतर गई ये मासूम सी गुज़ारिश...
मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएं अनामिका जी.
बेहतरीन पंक्तियाँ।
बहुत उम्दा रचना....
बहुत खूब .....सुन्दर प्रस्तुति
निर्मल मन के सुंदर उच्छवासों एवं अनाम संबोधन के माध्यम से प्रस्तुत आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी धन्यवाद।
कम से कम सुखांत ही दिया करें .... :-(
शुभकामनायें आपको !
नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
मन की उदासी भरे गहन भाव...!!
सुंदर रचना...!!
मन की भावनाओं का मार्मिक चित्रण ..
अतिसुंदर रचना , सोचने के लिये बाध्य करती हुई.
वाह बहुत खूबसूरत लिखा है जी लेने दो मुझे खुशी के दो पल
बहुत अच्छा लिखा है
दर्द और तन्हाई हर एक शब्द से टपक रही है ...
कोई ये कैसे बताये कि वो तनहा क्यों है !!
वाह!! बहुत उम्दा!!!
बहुत सुन्दर पोस्ट अच्छी रचना जो मन को प्रसन्न करती है बहुत-बहुत धन्यवाद.
लेकिन यह सरकार हमें प्रसन्न नहीं देखना चाहती.
एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव
3- http://neelkamal5545.blogspot.com
मुझे भी अच्छा लगता है खुश होना
मुझे भी अच्छा लगता है मुस्कराना
मैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में
कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..
aisa hi ho, yahi sahi bhi hai
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
बेहद मर्मस्पर्शी दिल को छूती रचना।
वाह बहुत सुन्दर भावनात्मक कविता !
मुझे भी अच्छा लगता है खुश होनामुझे भी अच्छा लगता है मुस्करानामैं भी विचरना चाहती हूँ खुले आकाश में कल्पनाओं के पग भर भर के नाचना..
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....शुभकामना
आमीन ! हर खुशी हो वहाँ तू जहां भी रहे...
सुंदर कविता के लिए बधाई!
anamika ji
man ke antardvand ko bakhoobi lafj diye hain aapne bahut hi sundarta ke saath jajbaato ko komal shbdo ke saath bayan kiya hai.
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
man ko kjakjhorti prastuti
bahut bahut badhai
poonam
नही है अब तो कुछ भी मुनासिब...
छूट जाएँ कैसे इस तन्हाई से...
बताए अगर कोई तो..
मुझ पर ये इनायत होगी..
बहुत मर्मस्पर्शी रचना
सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
...बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण प्रस्तुति..अंतस को छू जाती है..
बहुत सुन्दर...
एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ
सार्थक लेखन ....
बहुत खूबसूरत........खुदा आपके दमन को खुशियों से भर दें..........आमीन|
....बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण प्रस्तुति
sawal karti rachna hai ye...jee lene do mujhe bhi..kitni gahri vedna hai in lafjon me
गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..
Sach! Aisa waqt zindagee me kabhee na kabhee aahee jata hai! Laga,jaise mere mankee baat aapne likh dee!
Kharab tabiyat ke karan der ho gayee...maafee chahtee hun!
सदियों से यही दुहराया जा रहा है। मगर,बदलाव की बयार बहनी शुरू हो गई है। बस,संतुलन बना रहे।
आपकी कविताओं में आकार पाकर भावों की अभिव्यक्ति एक नवीन अर्थ पाती है और पाठक को जोड़ लेती है.
अनियमित होने के कारण आपकी पोस्ट छूट गयी, वरना आपको मुझे लिंक देने की आवश्यकता नहीं थी.. मेरे ब्लॉग रोल में देख लें आप!!
May sorrows keep away frm u.. keep spreading smiles n keep writing :)
marmik.....dil ko coo gayee......
सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी
dard ko udvelit karti, marmik prastuti ke lie apka bahut2 abhar.
गम छोड़ दे मुझे, तेरी ये रहमत होगी..
तन्हाई भूल ज़रा मुझे, ये मेरी किस्मत होगी...
मैने देखा है खुशियों को दूसरो के लब पर
आ जाएँ गर मेरे पास भी तो मेरे लिए जन्नत होगी..
गहरे एहसास समेटे ... दर्द का एहसास कराती .. चुभती हुयी रचना ... बहुत अच्छा लिखा है..
anamika ji
bahut hi sundar marm bhari rachna .
shayad yah baat sabhi ke dil me hogi jaisi nipunta ke saath aapne in jajbaato ko apne shabd diye hain.
sach!khushiyo ki chahat kise nahi hoti par is bhag pdoud ki jindgi me ham aapne liye khushi ke do pal bhi nahi pa pate.
behatreen abhivykti
badhai
poonam
सिसकती है आत्मा मेरी तेरी क़ैद होकर
गुनाह हुआ है मुझसे ये जनम ले कर
मैने भी इसे पाकर चाँद और सितारो की तमन्ना की थी..
ना खबर थी कि यही ज़िंदगी की सबसे बड़ी खता होगी...
वाह! आपकी १०१ वीं पोस्ट तो गजब की है.
आपने जज्बातों का उफान ही ला दिया है इस पोस्ट में.
भावपूर्ण सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.
कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति-शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कर अनुग्रहित कीजियेगा.
Shahid Mirja Sahab se hum ittefak rakhte hain...
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
बहुत गहराई तक उतर गई ये मासूम सी गुज़ारिश...
Badhai Anamika Ji..
मुस्कान आप के मुख पर बहुत सजती है-खुशी के पलों के साथ आपकी मुट्ठी में रहे !
जी लेने दे मुझे भी खुशी के दो पल..
गम छोड़ दे मुझे तेरी ये रहमत होगी...
ye to apna haq hai ,aur ise pana jaroori ,bahut hi badhiya likhti hoon .
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