शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते"




समझे   न   कोई  अपना,   सब   दीन   नज़र  से  देखें 
हों   क्षमताएं   असीम  चाहे   पर  दोष  अकूत  आरोपें.
शमित किया जिसने भी अपनाया ,कटु स्वरों से गोंदा
सर्वस्व   दिया   अपना ,   पर    अंत   एकाकी    पाया.

अभिमानी,  पौरुष  प्रखर  दिखाता,  सदा  रौंदता आया,
हतभागी  के  भाग्य  को  हाय  पौरुष  ही  डसता  आया.
टकरा  पाती काश !  क्रूर  काल  से   करती  अपनी हेठी,
अंतस की दहकी ज्वाला से इस पुरुष  को भी दहका पाती.

भिखरी   टूटी    हर   काल  में,   बटी   सदा   रिश्तों   में,
फिर  भी  सदा  रही  पराई,  चिर  व्याकुल  रही  सदा मैं,
क्षुब्ध  ह्रदय  पगलाया,  आज आवेशित  हो  गयी काया,
परिहास  करूँ या लूँ प्रतिशोध, बस  मन  यूँ ही भरमाया.

अपमानित  करते आये  क्रूर  ये  मनोरंजन  हमें  बनायें,
संवेदना  कहीं  बची  नहीं, ये  क्या  न्याय नीति अपनाएँ.
आदर्श   नहीं  हैं   इनकी  राहें,  सदा  अवसर  को  तकते,
क्षण  में  चटका   रीती-नीति  को,  कौमार्य  को  ये  हरते.

गुण-गरिमा,    मर्दन,    सब    इनके     लिए    आरक्षित
स्वाभिमान,   गौरव-गरिमा    से    हमें   रखें   ये  वंचित.
पग-पग     पर    घात    लगाये ,   शत्रु     बन    के    बैठे 
न कोई  'अरि' हो जिसका,  नारी को यूँ परिभाषित करते.

अब   प्रतिमान  बदलने  होंगे, दांव  हमें  भी  लड़ने  होंगे,
कुलीन  नपुसकों के  छल-बल अब निष्फल  करने  होंगे.
कुशल   नीति    के   बाण   भेद,  पर्याय    बदलने    होंगे,
शोभा,मान, सुयश पाने को, विषम प्रयास तो करने होंगे.




64 टिप्‍पणियां:

सूबेदार ने कहा…

बहुत सुन्दर कबिता समाज को दिशा देने वाली अभिब्यक्ति --- बहुत-बहुत धन्यवाद.

Nirantar ने कहा…

sundar aabhivyakti
hamein apnaa soch hee badalnaa hogaa
jab tak nikrashton kaa virodh aur bahishkaar nahee hogaa
mahaul nahee badlegaa

मनोज कुमार ने कहा…

कविता बहुत अच्छी लगी। इसके भाव दिशा देने वाले हैं। समाज को रास्ता दिखलाती हुई इस रचना के लिए आभार।

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अब प्रतिमान बदलने होंगे, दांव हमें भी लड़ने होंगे,
कुलीन नपुसकों के छल-बल अब निष्फल करने होंगे.
कुशल नीति से बाण भेद, पर्याय बदलने होंगे,
शोभा,मान, सुयश पाने को, विषम प्रयास तो करने होंगे.
..."यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते""... को खुद सिद्ध करना होगा .

M VERMA ने कहा…

अब प्रतिमान बदलने होंगे, दांव हमें भी लड़ने होंगे,
संकल्पित यह स्वर ... तथास्तु

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बहुत उपयुक्त संदेश- पूजा करने की ज़रूरत नहीं न देवी बनाने की ,अपनी पूरी अस्मिता के साथ सहज 'मानव'ही बनी रहे !

virendra sharma ने कहा…

अब प्रतिमान बदलने होंगे, दांव हमें भी लड़ने होंगे,
कुलीन नपुसकों के छल-बल अब निष्फल करने होंगे.
कुशल नीति के बाण भेद, पर्याय बदलने होंगे,
शोभा,मान, सुयश पाने को, विषम प्रयास तो करने होंगे.
सशक्त अभिव्यक्ति ललकार लिए आहत सहनशीला मन की .

कुमार राधारमण ने कहा…

पुरुषों के लिए शुभ संकेत नहीं दिख रहे। घबराहट हो रही है।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर और गहरी पंक्तियाँ
अच्छी कविता है. विचलित कर देने वाली.

Sadhana Vaid ने कहा…

स्वयं की क्षमताओं को पहचानने और उन्हें सिद्ध करने का समय आ गया है ! मेरी एक रचना की चंद पंक्तियाँ इसी भाव को दर्शाती हैं !

"आज चुनौतियों की उस आँच में तप कर
प्रतियोगिताओं की कसौटी पर घिस कर निखर कर
कंचन सी, कुंदन सी अपरूप दपदपाती
मैं खड़ी हूँ तुम्हारे सामने
अजेय अपराजेय दिक्विजयी !
मुझे इस रूप में भी तुम जान लो
पहचान लो !"

नारी को सही दिशाबोध कराती एक सशक्त रचना ! नव वर्ष के लिये मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें !

Rajesh Kumari ने कहा…

prernamai,sashakt rachna.bahut pasand aai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Naari man ki bhavnaon ko likha hai aapne ... Man ka akrosh shabdon mein utaar diya ... Prabhavi rachna ...
Nav varsh ki mangal kamnayen ...

vidya ने कहा…

बहुत बहुत बढ़िया अनामिका जी...
हर नारी के मन की बात आपने कह डाली..
सादर नमन आपको इस रचना के लिए..
शुभकामनाएं.

Amit Chandra ने कहा…

पुरुषों के वर्चस्व वाले इस समाज को आइना दिखाती एक सुंदर कविता.

सादर

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर समाज को रास्ता दिखलाती अभिव्यक्ति

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पहले स्वयं रम जाये मानव तब देवताओं की बातें हों।

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रभाव इस कविता में पूर्ण रूप से झलक रहा है
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!

बेनामी ने कहा…

भाषा अत्यंत जोशीली है और काव्यात्मक भी......अच्छी पोस्ट|

बात अगर आत्मा कि है तो स्त्री और पुरुष तो देह मात्र है फिर सब एक जैसे भी नहीं होते | अच्छे बुरे दोनों शरीरो में समान है........सारी स्त्रियाँ देवी नहीं हैं और सारे पुरुष दानव नहीं हैं |

kshama ने कहा…

अभिमानी, पौरुष प्रखर दिखाता, सदा रौंदता आया,
हतभागी के भाग्य को हाय पौरुष ही डसता आया.
टकरा पाती काश ! क्रूर काल से करती अपनी हेठी,
अंतस की दहकी ज्वाला से इस पुरुष को भी दहका पाती.
Bahut achhee lagee ye panktiyan! Kamaal kee rachana hai!

कुमार संतोष ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति !
समाज को दिशा देने वाली अभिव्यक्ति ..

मेरी नई रचना एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है

कविता रावत ने कहा…

अब प्रतिमान बदलने होंगे, दांव हमें भी लड़ने होंगे,कुलीन नपुसकों के छल-बल अब निष्फल करने होंगे.कुशल नीति के बाण भेद, पर्याय बदलने होंगे,शोभा,मान, सुयश पाने को, विषम प्रयास तो करने होंगे.
...bahut badiya saarthak sandesh..

Amrita Tanmay ने कहा…

सार्थक सृजन , ऐसा फलित हो हमारी भी कामना है ..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

साल के आखिर में एक सुन्दर प्रस्तुति जननी के नाम!!

Asha Lata Saxena ने कहा…

नव वर्ष शुंभ और मंगलमय हो|अच्छी रचना
आशा

प्रेम सरोवर ने कहा…

अनामिका जी,
आपने अपनी कविता का शीर्षक "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः-" दिया होता तो बहुत ही अच्छा होता । यह शब्द "मनुस्मृति" से लिया गया है । इसका अर्य होता है कि जहां स्त्री-जाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं । जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं । जयशंकर प्रसाद जी ने भी लिखा है - ---
"नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नग पग तल में,
पीयूष श्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में ।"
इससे बहुत कुछ संदेश समाज के हर तबके को जाता है । काश ! इस तरह का अनुकरणीय भाव सबके मन में रच-बस जाता । पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा । नव वर्ष -2012 की अशेष शुभकामनाओं के साथ ।.धन्यवाद सहित ।

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

अपमानित करते आये क्रूर ये मनोरंजन हमें बनायें,
संवेदना कहीं बची नहीं, ये क्या न्याय नीति अपनाएँ.
आदर्श नहीं हैं इनकी राहें, सदा अवसर को तकते,
क्षण में चटका रीती-नीति को, कौमार्य को ये हरते.
Vah bahut hi sundar prastuti Anamika ji ... badhai

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

समाज को आईना दिखती अच्छी रचना .. नव वर्ष की शुभकामनायें

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

समाज को एक रास्ता दिखलाती हुई सुंदर कविता. ....बहुत ही अच्छा सन्देश.

Bharat Bhushan ने कहा…

नारी को जिस नकली नियति से बाँध कर रखा गया है उस पर आपकी ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है. आशा करनी चाहिए कि शिक्षा और समय के साथ यह व्यवस्था बदलेगी.

संध्या शर्मा ने कहा…

शोभा,मान, सुयश पाने को, विषम प्रयास तो करने होंगे.

सशक्त रचना... नव वर्ष की हार्दिक शुभकमनाएं...

tips hindi me ने कहा…

"टिप्स हिंदी" में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |

टिप्स हिंदी में

vandana gupta ने कहा…

सार्थक संदेश देती सुन्दर रचना……………आगत विगत का फ़ेर छोडें
नव वर्ष का स्वागत कर लें
फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
चलो कुछ देर भरम मे जी लें

सबको कुछ दुआयें दे दें
सबकी कुछ दुआयें ले लें
2011 को विदाई दे दें
2012 का स्वागत कर लें

कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
एक शाम 2012 के नाम कर दें
आओ नववर्ष का स्वागत कर लें…

sangita ने कहा…

भावुक व् विचारणीय पोस्ट है | "मुझसे मायने सभी रिश्तों के मैं किसी की कुछ भी नहीं"|

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन।


नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।


सादर

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अब प्रतिमान बदलने होंगे, दांव हमें भी लड़ने होंगे,

वाह! बहुत खूबसूरत सकारातमक रचना... सादर बधाई और
नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

Jeevan Pushp ने कहा…

बहुत-बहुत सुन्दर !
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आभार !

Ankur Jain ने कहा…

शानदार प्रस्तुति...नववर्ष की शुभकामनायें!!!!

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर और अनुपम प्रस्तुति है आपकी.
लाजबाब अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका.


मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

समय मिलने पर मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२' पर भी आईयेगा.

vikram7 ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये vikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

वाह!!!इससे बढ़कर शब्द नहीं हैं मेरे पास...बहुत बार पढ़ रही हूँ,सच में बहुत अच्छा लिखा है|
नव वर्ष मंगलमय हो,हार्दिक शुभकामनाएँ!!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर वाह! गुरुपर्व और नववर्ष की मंगल कामना

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना....वाह!


नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।

-समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन समाजको दिशा देती रचना
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

Madhuresh ने कहा…

bahut achchi rachna, aur shabd bhi acche gadhe hain... bahut saraahna!

amit kumar srivastava ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

dinesh aggarwal ने कहा…

शब्द-शब्द में नारी की, पीड़ा कविता में दिखती।
दर्द और सुन्दरता कैसे, एक साथ हैं लिखतीं।।
कहा राम ने था सीता से, अग्नि परीक्षा दो तुम।
नहीं जलोगी ये अग्नि से, अगर पाक ये हो तुम।।
इंतहान देने से सीता, यदि मना कर देती।
आज नारियों की फिर शायद, यह हालत न होती।।
शोषण का कारण होता है, शोषण को ये सहना।
अत्याचार जहाँ हो बहनों,तुमको चुप न रहना।।

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

सर्वप्रथम आने वाले नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
सुंदर शब्दों मे भावों की अभिव्यक्ति……आभार्।

Mamta Bajpai ने कहा…

कुलीन नपुसकों के छल-बल अब निष्फल करने होंगे.
आखिर कब तक होता रहेगा ये आचरण ?
संवेदन शील रचना
नव वर्ष की बधाई

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .......

ASHOK BAJAJ ने कहा…

नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

प्रेम सरोवर ने कहा…

प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर,
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,

मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

वाणी गीत ने कहा…

क्या खूब ललकारा है ....
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

नए साल की हार्दिक बधाई आपको

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

समाज को नई प्रेरणा देती उर्जामयी रचना.

Santosh Kumar ने कहा…

काश ! समाज सीख ले कुछ आप की बातों से..

नए वर्ष की मंगलकामनाएं.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

समाज को नई दिशा देती बहुत ही सुंदर रचना,...

WELCOME to new post--जिन्दगीं--

kuldeep thakur ने कहा…

आप की ये रचना शुकरवार 08-03-2013 की नई पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है...
सूचनार्थ

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत प्यारी रचना.