बुधवार, 25 अप्रैल 2012

हे मेघदेव



हे मेघदेव विचरण करते हो
नभ में आवारा मद-मस्त हो 
उष्णता में भर लेते हो 
जल, सिन्धु देव का अतृप्त हो.
त्राहि त्राहि करता हर प्राणी 
देखा करता है व्यथित हो .

भारी बेडोल सी काया ले, फिर 
उमड़-घुमड़ गरजा करते हो 
कभी बाढ़ रूप धर कुपित हो
जल-जल करते हो धरती को.

उस किसान की जरा सोच करो
हर दिन-रैन में जो ये आस भरे 
कब फसल कटे,कब मेहनत रंग चढ़े..
कब दो जून की रोटी मिले.

ज्यूँ मेह गिरे कटी फसल पे 
आस भी ढार-ढार बहे,
खून पसीना सब बर्बाद हुए  
घर की दहलीज़ वीरान रहे.

उस झोपड़ पर भी दृष्टि करो
हालत उस गरीब की मनन करो 
त्रिपाल ढके जिसके सर को 
खोये जो जान,जल निकसन को.

धरा सोने को बची नहीं..
मजदूरी भी जिसको मिली नहीं,
सूखी लकड़ी का भी जुगाड़ नहीं..
दो रोटी जो पेट दुलारे कहीं.

सोने का आसन गीला है,
ढकने का वस्त्र भी गीला है,
तन की पैरहन गीली है,
बच्चों का मन भी गीला-गीला है.

जन-जीवन अस्थिरता में डूब गया 
हर जीव अती से कराह रहा.
तुम अब भी मद-मस्त चापें भरते हो.
इस सृष्टि पर तांडव करते हो.

32 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

अनुपम भाव संयोजन लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

Ayodhya Prasad ने कहा…

बहुत बढ़िया !!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुंदर अनामिका जी...
सादर.

मनोज कुमार ने कहा…

कभी अति तो कभी अनावृष्टि से त्राहि-त्राहि कर रहे मन की पुकार को आपने बड़ी खूबसूरती से इस रचना में वाणी दी है जो अपनी प्रभावोत्पादकता में सफल है।

संजय भास्‍कर ने कहा…

कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं.... संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...

sangita ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ,भावों का अनुपम संयोजन शब्दों की प्यारी श्रृंखला ,बधाई.मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत बढ़िया

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जो बूँद बरसती जीवन हित,
अब तो उससे भी खतरा है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मेघ तो ऐसे न थे ...सब इंसान का ही किया धरा है

अच्छी प्रस्तुति

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर और संवेदनशील रचना...

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत

Aruna Kapoor ने कहा…

मेघदेव अपनी मन मरजी से गरजते और बरसते है....बिलकुल सही कहा आपने!...आभार!

M VERMA ने कहा…

उस किसान की जरा सोच करो
उसकी भला किसे सोच ...

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह बहुत बढिया

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..सुंदर भाव,..

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Behtreen.... Umda Rachna

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....आईने से सवाल क्या करना .

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

क्या बात है!! बहुत सुन्दर
इसे भी देखें-
फेरकर चल दिये मुँह, था वो बेख़ता यारों!
आईना अब भी देखता है रास्ता यारों!!

वाणी गीत ने कहा…

सबका भला एक साथ नहीं हो सकता !
किसान और कुम्हार की व्यथा एक सी नहीं होती !
अच्छी रचना !

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना...

Anamikaghatak ने कहा…

bahut sundar bhaw.....kya bat

nayee dunia ने कहा…

सोने का आसन गीला है,
ढकने का वस्त्र भी गीला है,
तन की पैरहन गीली है,
बच्चों का मन भी गीला-गीला है.......!

Sadhana Vaid ने कहा…

आज तो मेघराज की भी खूब खबर ले रही हैं आप ! क्या बात है ! आपके इन तेवरों से मेघराज भी ज़रूर भयभीत हो गये होंगे यह विश्वास है ! हर पंक्ति सारगर्भित और सार्थक है ! इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये मेरी बधाई स्वीकार करें !

Anita ने कहा…

मेघराज को बरसना है तो वे बरसेंगे ही..लेकिन आपका भाव दिल को छू गया आभार!

Saras ने कहा…

बहुत सुन्दर अनामिकाजी !

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

नहीं अनामिका जी कमेन्ट हमने दिल से ही किया था.....
दरअसल गहन शब्दों का संयोजन एकदम से हमारी समझ में ही नहीं आया होगा...
:-)
सो टिप्पणी भी हिचकते हुए की.....

आपकी हर रचना काबिले तारीफ़ होती है और दिल से कमेंट की अधिकारी होती है...

सस्नेह.
अनु

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

भाव-पूर्ण प्रस्तुति !

Dr Xitija Singh ने कहा…

बहुत खूबसूरत लिखा है ... आशा है मेघ देव आपकी पुकार सुन लें

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी कविता के हर शब्द उचित स्थान पा जाने के कारण हर्षितावस्था में दिख रहे हैं । शब्द एवं भावों का सुंदर संयोजन अच्छा लगा । समय इजाजत दे तो मेरे नए पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अरे अनामिका जी............

हमने आपकी शिकायत दूर करने को दिल से दोबारा एक टिप्पणी भेजी...वो कहाँ गयी????
स्पाम को भा गयी लगता है
:-)
अनु

kshama ने कहा…

Ati sundar!

रचना दीक्षित ने कहा…

मेघ देव का आगमन सभी लिये खुशी का पैगाम होता है. उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिये बधाई.