अपने दिल की उदासी को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ
अपने लफ़्ज़ों से जज्बातों को बहला लूँ तो कुछ और कहूँ.
अपनी साँसों से कुछ बेचैनियों को हटा लूँ तो कुछ और कहूँ
धूप तीखी है, जिंदगी को छाँव की याद दिला दूँ तो कुछ और कहूँ
चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..
जिंदगी के थपेडों से मोहलत मिले, वक़्त कुछ खुशियाँ तो दे झोली में..
कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ .
नरम हाथों ने जिसे पाला था, देखें आकार कितने मायूस हैं जिंदगी से
हम आँखों के तारों के छालों की दवा वो करें तो कुछ और कहूँ ..
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.
अपने हाथों की लकीरों में सजाया था जिसने वो किस्मत भी सजा दे
जन्म देने वाले ओ खुदा मेरी खुशियाँ भी जन्माते तो कुछ और कहूँ.
53 comments:
एकाकी, जीवन की दुरूह परिस्थितियों का सच्चा लेखा-जोखा सामने रखती इस रचना को पढते हुए रोमांच, प्रेम, उदासी और प्रसन्नता से होकर गुजरना पड़ता है !
बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति।
जमाने को तो उत्तर दे ही दूँगा,
खुद को समझा लूँ, तो कुछ और कहूँ।
गज़ब की रचना।
जमाने को तो उत्तर दे ही दूँगा,
खुद को समझा लूँ, तो कुछ और कहूँ।
मन को छूने वाली पंक्तियाँ .....
अच्छी लगी आपकी रचना
bahut khoobsoorat khyaal hai ghazal ke ...bahut khoob :) sayad draft or nikhar sakta tha esa laga mujhe ..
in khoobsoorat panktiyon ke asar se ubar jaoon to kuchh aur kahoon
bahut achchha likha hai, apana sa lag raha hai
मन को रोमांचित करने वाली बहुत अच्छी कबिता जीवन क़े वास्तविकता को दर्शाती हुई .
बहुत-बहुत धन्यवाद.
क्या बात है बहुत उम्दा लिखा आप ने, धन्यवाद
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था
उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
इतने प्यार से पुकारा है अब कुछ न कुछ तो जरूर होके रहेगा.
बहुत सुंदर रचना , भावनाओं की पराकाष्ठा.
आज त बुझाता है कि कुछ भी नहीं कह पाएँगे हम!!
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.
Aisehee ekaki lamhon me man gaharee udaasee me doob jata hai....ye andhere chhaten to ujala dikhe!
Bahut sundar shabdawali..isiliye itni sundar rachana!
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.
--वाह!! बहुत खूब!
एकाकी मन की सुंदर अभिव्यक्ति ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। बहुत अच्छी कविता।
हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।
कौन जाने ये कुछ कहने का वक़्त आये न आये ....वक़्त मिले तो कुछ कहें
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति के साथ.... मनभावन पोस्ट...
गहरे भाव समेटती हुई रचना है.
ek sundar bangi...keep going!
वाह वाह ……………।बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
कहती रहिए।
कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ .
....bahut hi maarmik rachna.
बहुत अच्छा लगा।
बहुत-बहुत धन्यवाद
दिल में उठने वाले जजबातों को आपने सुंदर शब्दों मे ढाला है!...उत्तम रचना!
बहुत बढ़िया रही आपकी यह रचना!
--
मन पर छाप अंकित कर गई!
सबके होते हुवे भी इंसान कभी कभी अकेला महसूस करता है अपने आप को .... कुछ भी करने और चाहने से पहले ऐसा एहसास किसी गहरी उदासी से निकलता है .... बहुत संवेदना भारी पोस्ट है आज ....
सुंदर अभिव्यक्ति,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog
बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने ...बधाई.
सुन्दर शब्दों के साथ गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..
बिकुल सही कहा है ..सब कुछ सहज करलें ...आपके कुछ कहने का इंतज़ार है ....
भावप्रवण रचना ...
चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..
अच्छी पंक्तिया है .......... आभार
कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
पानी देखकर कहां प्यास बुझती है,गले से उतरे तो कुछ कहूं।
पढकर तो आनंद आ गया, दिल में उतरे तो कुछ कहूं।
अहसास का दरिया बहा दिया आपने................
जग्गू दादा की ग़ज़ल याद आ गयी (कुछ बदल कर)
आपका लिखा पढ़कर पढ़ता रह गया,
क्या कहूँ, और कहने को क्या रह गया !
अब क्या कुछ और कहूँ !
मन में गहराई तक उतरती भावप्रवण पंक्तियाँ ! लेकिन आपको इतना उदास देखना नहीं चाहती ! जल्दी ही कुछ तो कहिये ! बहुत खूबसूरत रचना !
अनामिका जी,
कितने गहन चिंतन से परिपूर्ण रचना प्रस्तुत की है आपने...
बस, यहीं से एक सकारात्मक रचना का सृजन भी होना ही चाहिए.
बहुत ख़ूबसूरत...भावनाओं की ख़ुश्बू लफ़्ज़ों से बयाँ करती नज़्म..
आपका लिखा सच में सकून देने वाला है सिर्फ आपको ही नहीं हमें भी..
अनामिका जी
नमस्कार १
........ तो जूच और कहे के लिए आप ने छोडा ही नहीं . अच्छी अभिव्यक्ति है ,
साधुवाद !
सादर !
प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...उत्तम प्रस्तुति.....बधाई.
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'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
...
हर बार की तरह एक अलग ही अंदाज़ और अल्फाज़...एक एक शब्द दिल को छू गया...बहुत खूब अनामिका जी...आभार...
वाह... सुन्दर रचना पढ़ कर आनंद आ गया. बधाई एवं धन्यवाद.
बहुत ही सुंदर नज़्म -
बहुत सुंदर एहसास -
बधाई
जिंदगी के थपेडों से मोहलत मिले, वक़्त कुछ खुशियाँ तो दे झोली में..कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ ...
अथाह पीड़ा से होकर गुजरना ही तो जीवन है . आपने बहुत सजीव रचना का सर्जन करके साबित किया है कि हलाहल से अमृत निकालने में ही जीवन की सार्थकता है ....बहुत सुन्दर रचना.
... behatreen rachanaa !!!
anamika
pure pndrh dino ki msrufiyt ke bad aaj blog ki trf aai to sbse phle aapki post dekhi . vo hi rvangi , vo hi kshish our vo hi apne sath bha le jane vala madda .bhut khoob . bhut sari shubhkamnayen .
आप भी बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!
sunder kavita,dil ke bhawon ko apane behtareen andaz mai bayan kiya hai.
बहुत सुंदर रचना , भावनाओं की पराकाष्ठा.
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
अपनी साँसों से कुछ बेचैनियों को हटा लूँ तो कुछ और कहूँ
धूप तीखी है, जिंदगी को छाँव की याद दिला दूँ तो कुछ और कहूँ
अनामिका जी..बहुत सुंदर भाव..बधाई
:)
janmaashtmi ki badhaayi...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
मन को छूने वाली पंक्तियाँ .....
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एक ब्लॉग में अच्छी पोस्ट का मतलब क्या होना चाहिए ?
अपने दिल की उदासी को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ
अपने लफ़्ज़ों से जज्बातों को बहला लूँ तो कुछ और कहूँ......
सुंदर प्रस्तुति .....
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