एक पुरानी रचना जो आखर कलश पर प्रस्तुत की गयी थी...एक बार यहाँ आप सब के लिए प्रस्तुत है..
पानी में कंकड़ फैकना
और लहरों का
गोल-गोल
फैलते जाना....
कितना मन को लुभता है...,.
मगर कोई यूं ही
लहरो के चक्रव्यूह में
फंस जाए तो
जान गँवा दे..!!
यू ही 'प्यार'...
कितना प्यारा है ये शब्द....
“प्यार.......”!!
जब तक ये मिलता रहे
सब स्वर्ग सा लगता है..
जैसे ही गम, जुदाई और डर
दामन छु जाते है प्यार का..
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
और कर देता है..
कयी जिंदगियां तबाह..!!
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
और लहरों का
गोल-गोल
फैलते जाना....
कितना मन को लुभता है...,.
मगर कोई यूं ही
लहरो के चक्रव्यूह में
फंस जाए तो
जान गँवा दे..!!
यू ही 'प्यार'...
कितना प्यारा है ये शब्द....
“प्यार.......”!!
जब तक ये मिलता रहे
सब स्वर्ग सा लगता है..
जैसे ही गम, जुदाई और डर
दामन छु जाते है प्यार का..
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
और कर देता है..
कयी जिंदगियां तबाह..!!
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
51 comments:
sach kaha apne payar or chakrviuh dono ek dusare ka earth sarthak karte hai.
यू ही 'प्यार'...
कितना प्यारा है ये शब्द....
“प्यार.......”!!
बिल्कुल सच .....।
प्रभावित कर यह रचना!!
वाकई चक्रव्यूह है जिन्दगी।
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
Kitna sundar likhti ho!Man lubhavan!Pyar kar ke na jane kise sukoon mila??
आपकी कवितायें सहजता से गंभीर बातें कहती हैं.. सुन्दर किवता.. प्रेम के नए आयाम को छोटी हुई..
प्यार में जुदाई , दर्द , ग़म का एहसास रिक्तता ला देता है ...
प्यार और चक्रव्यूह की समानता अनोखी है ...!
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
सच ही कहा है जब प्यार कि लहरें उठती हैं इंसान चक्रव्यूह में फंस ही जाता है और यहाँ आकर हर इंसान अभिमन्यु हो जाता है
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
प्रेम का चक्रव्यूह. जिसे भेद पाना अर्जुन के बस का भी नहीं.
.
सिक्के के दोनों पहलू , बखूबी व्यक्त किये हैं आपने।
.
जब तक ये मिलता रहे
सब स्वर्ग सा लगता है..
जैसे ही गम, जुदाई और डर
दामन छु जाते है प्यार का..
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
और कर देता है..
कयी जिंदगियां तबाह..!!
बहुत अच्छी लिखी है अनामिका जी...बधाई
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
पर शायद वो प्यार नहीं हवस होता है ...
बहुत सुन्दर रचना !
जब तक ये मिलता रहे
सब स्वर्ग सा लगता है..
जैसे ही गम, जुदाई और डर
दामन छु जाते है प्यार का..
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
और कर देता है..
कयी जिंदगियां तबाह
...pyar ke bante bigadte swaroop ka sundar chitran kiya hai aapne.... bahut marmsparshi rachna.
प्यार के रूपों को बहुत कुशलता से अपनी रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया है आपने...वाह...
नीरज
यह प्यार का चक्कर हमारे तो समझ आता नहीं तो हम क्या टिप्पणी करें? वैसे विचारवान कविता है। इसीलिए कहते हैं कि अति बुरी होती है।
प्यार और जुदाई का सम्बंध चोली दामन सा है.. ग़ौर से देखिये यह वो शब्द है जिसका पहला अक्षर ही अधूरा है, फिर भला अधूरे प्यार से इस चक्रव्यूह के अलावा और क्या आशा की जा सकती है! अच्छी कविता बेह्तर शब्दचित्र!!
प्यार पर बिल्कुल अलग तासीर की कविता।
कुछ सोचने को मजबूर करती हुई अच्छी कविता।
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...,.
और कर देता है..
कई जिन्दगी तबाह..!!
बहुत अच्छे शब्दों से बुना गया है प्यार का ये चक्रव्यूह
फूल के साथ कांटे तो होते ही हैं। इस दुनिया में आसानी से क्या मिलता है। चक्रव्यूह में न फंसता तो अभिमन्यु को आज कौन याद करता। बिना गम,जुदाई,रुसवाई के प्यार संपूर्ण नहीं होता।
लहरें, प्यार व चक्रव्यूह। रचना में संगम, तीनों का।
लहरों के चक्रव्यूह में लोंग जानबूझ कर नहीं फंसते ...पर शायद प्यार के चक्रव्यूह में जानते बूझते फंसते हैं ...बाकी पता नहीं ....लेकिन विचारों को बखूबी सुन्दर रचना में ढाला है ...अच्छी अभिव्यक्ति
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
abahot hi sunder .......bahvon se bahri hui kavita
तुलनात्मक दो अलग अलग विषयो को एक सूत्र में पिरोती सुंदर और भाव पूर्ण रचना !
बहुत खूब !
आदरणीय अनामिका जी
नमस्कार !
बहुत अच्छे शब्दों से बुना गया है प्यार का ये चक्रव्यूह
सुन्दर प्रवाहमान रचना ! आपकी लेखनी भी निरंतर चलती रहे यही कामना है !
कहते हैं कि इस चक्रव्यूह में फंसने का भी अपना मजा है :)बढ़िया वर्णन है कविता में.
समयानुकूल रचना शुक्रिया
“प्यार.......”!!
जब तक ये मिलता रहे
सब स्वर्ग सा लगता है..
जैसे ही गम, जुदाई और डर
दामन छु जाते है प्यार का..
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
कमाल... बेहद सुंदर
बहुत गहन अभिव्यक्ति है ! प्यार और चक्रव्यूह का तुलनात्मक उल्लेख बहुत मौलिक और सुन्दर लगा ! लेकिन यह भी सत्य है कि प्यार के चक्रव्यूह को बेधने के लिये सब खुद को अभिमन्यु समझने लगते हैं और हार या जीत जो भी मिले उसके लिये तत्पर हो जाते हैं !
सुन्दर रचना !
ऐसी ही लहरों में डूबने को तो प्यार कहते हैं। बाक़ीतो मिथ्या है, आकर्षण है।
प्यार की कितने प्यार से आपने व्याख्या कर दी आपने - बधाई
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
बहुत सुन्दर रिश्ता खुद में उलझता सुलझता ..बढ़िया लिखा है आपने इस रचना को
बहुत गहरा रिश्ता है ... और आपने बहुत ख़ूबसूरती से समझा भी दिया है ... धन्यवाद ...
Anamika ji ,
apne sach kaha hai pyar aur chakravyuh ka ajeeb rishta hai----bahut sundar abhivyakti.
Poonam
चक्रव्यूह है जिन्दगी
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है
ज़िन्दगी के चक्के के एक सिरे में ग़म और एक सिरे में ख़ुशी है,जब तक ये चलता रहेगा दोनों उपर नीचे होते ही रहेंगे । सुन्दर अभिव्यक्ति।
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह का...!
जीवन इसी चक्रव्यूह का नाम है। बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
वाह बहुत खूब ... प्यार सच में किसी चक्रव्यूह से कम नहीं .... इसमें डूब कर निकलना नहीं होता ....
आपकी कविता हृदयस्पर्शी है।
kash ! chkrvyuh ki fitrat se log bavsta ho jaye to fir dubne ka dr na ho mgr dil ka koi kya kre ! smjha kro anamika ! ye unki mjboori hai .ye kmbkht cheej hi kuchh aisi hai .
bhut hi khoobsoorti se ukera hai har bhav ko .aaj bhut dino bad apne blog mitro se smvad ho rha hai .bhut vysthta thi .
बहुत सुन्दर......गहरी अभिव्यक्ति..........
प्रेम खुद एक भंवर है। पीडादायी भंवर। जानते हैं सब किंतु कूदना चाहते हैं..शांत लहरों में पत्थर फेंकते हैं और भुगतते भी हैं...रचना का जन्म होता है अनुभव साकार होते हैं...कभी सीख दे जाते हैं कभी मौज...। अच्छी रचना है।
बिलकुल सीधी सच्ची बात -
सुंदर रचना-
शुभकामनाएं .
Bahut hi hridaysparshi Kavita,Plz. visit my blog.
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ........
कैसा रिश्ता है लहरों का,
प्यार का, और
चक्रव्यूह
गहन अर्थों और आयामों को समेटे बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
बहुत सुन्दर ...
बधाई ...
behad achchi lagi.
यह एक अच्छी कविता है। ग़म,जुदाई और डर यदि प्यार से ज्यादा हो जाएं,तो जीवन,सचमुच,चक्रव्यूह में ही फंस जाता है। इनका लहरों की तरह बनकर मिट जाना ही अच्छा!
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!
behtareen rachna..!
is chakravyuh se baahar koi nikalna bhi to nahi chaahta...!!
प्यार भी एक जान लेवा,
लहरों के चक्रव्यूह सा
रूप अख्तियार कर लेता है...
awaysome creation
itne din baad aapko padhne ka mauka mila accha laga
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