रहमत करने वाला
थोड़ा रुसवा क्या हुआ
इंसा भी अपना
धर्म भूल गया
इसमें जन्म लेने
वाले का क्या दोष
फिर भी उसने ना
अपनों को
शर्मिंदा किया.
रहा वो सदा
मस्त
अपनी अलग
दुनियां में
हमसे तो कोई
गिला न किया.
कहते हैं
ख़ुशी बांटने से
बढती है...
बस इसी
लीग पर वो
चलता रहा.
हमारी हर
ख़ुशी हम से
सांझा करता चला
गली, मुहोल्ले में
ढोलक की थाप पर
नाचता औ नचाता गया .
क्या ले जाते हैं
हमारा तुम्हारा
ये लोग ..
होठों पे हंसी दे
दुआएं ढेरो
दे जाया करते हैं
ये लोग .
आज इन्हें भी
बस कुछ दुआ चाहिए
मौत के चुंगल में
आ चुके हैं जो
उन बन्दों को बन्दों की
बस थोड़ी सी
रहमत चाहिए.
43 comments:
बहुत ही मार्मिक बात कही है आपने।
May Ramji console dem...
Aaj Zindagi Live k ek episode me aayi Rajkumari ji ka kissa yaad aaya jo khud samaaj se dutkaari huyi hain magar 3 ladkiyo ki shadi kar chuki hain aur 7 ladko kp paal rahi hain.. :)
डेल्ही की उस त्रासदी के लिए सारा देश स्तब्ध है और हम सब उन सबके साथ जिनके साथ ये कहर टूटा
मार्मिक भाव..... गहरी अभिव्यक्ति
Hi..
Hain tere, ye mere jaise..
Dil aur jaan bhi apne jaise..
Par ye vakt ke maare lagte..
Maang rahe jo naach ke paise..
Lab par dua, pet hai khali..
Hothon par hai nakli laali..
Dard chhupaye dil main kitne..
Drushti tiruskrut sabne daali..
Dholak ki thapon par naachen..
Sabko khoob duayen baatain..
Jeene ki khatir wo mangen..
Thodi madad wo sabse chahen..
Ye bhi bachche kisi ke honge..
Bhai kisi ke, bandhu bhi honge..
Jaane kisne chhoda hoga..
Har sambandh bhi toda hoga..
Manavta hai hamen sikhaati..
Enhen taje na, hum apnayen..
Thode Gam hum baatain enke..
Thodi khushiyan ense paayen..
Tiraskaar nahi pyaar dikhayen..
Ensan hain hum to inaniyat dikhayen..
Sundar bhav..
Deepak..
दुख किसी से क्यों बाटना, प्रसन्न रहा जाये।
हमारी संवेदनाएं साथ हैं !
शब्दों ने संवेदनाओं को झकझोड़ दिया है...
मर्म पर आघात कर दिया . बढ़िया लिखा है.
मार्मिक भाव
संवेदनशील रचना
बेहद मार्मिक और संवेदनशील रचना ।
बेहद संवेदनशील पोस्ट है पर यहाँ जो तस्वीरें है वो कहाँ की हैं ?.........जहाँ तक मुझे लगा ये अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में हुए एक किन्नर समारोह में लगी आग की बाद की हैं और आपकी पोस्ट भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है.........क्या मैं सही हूँ ?
दिल को छूती हुई पंक्तियाँ... प्रकृति ने उन्हें जैसा बनाया वे खुश है...समाज को संवेदनशील होना ही चाहिए.
बेहद संवेदनशील पोस्ट
मार्मिक ... ये बहुत ही दुखद घटना है ...
बहुत मार्मिक और संवेदनशील अभिव्यक्ति...
आप बहुत ही अच्छा लिखतीं है.
मार्मिक और हृदयस्पर्शी.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.
वे भी मनुष्य हैं और उनमें भी मानव-सुलभ संवेदनायें हैं .हमारे समाज का ही अंग हैं, सहानुभूति के अधिकारी.
बहुत हृदय विदारक रचना है ! दिल्ली में हुए इस हादसे ने सबको स्तब्ध कर दिया ! आपकी रचना आपके कोमल मन का परिचय देती है जो इस घटना से इतना द्रवित हो गया कि यह बेहतरीन रचना रचने की प्रेरणा आपको मिल गयी ! ईश्वर उन पर रहम करें और उन पर आई विपत्ति का निवारण करें यही प्रार्थना है !
अनामिका जी,
जिस समय घटना हुयी संयोग से मैं उसी के पड़ोस में था.. सुना कुछ ऐसा हुआ है.. जब दूसरे दिन अखबार में देखा तो सन्न रह गया..
आपकी यह प्रस्तुति टिप्पणी से कहीं आगे की संवेदना को लिए है.. हम अन्ना, पवार, राहुल और न जाने किन किन बातों में खोये रहते हैं और इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता!!
आपकी संवेदना को सलाम!!
मार्मिक!!
कहते हैं
ख़ुशी बांटने से
बढती है...
बस इसी
लीग पर वो
चलता रहा.
marmik rachna
बेजोड़ रचना...बधाई
नीरज
मार्मिक चित्रण...!!
बहुत सम्बेदन शील कबिता, लेकिन इस्लाम मतावलंबी भी इसे समझेगे---?
गहरी अभिव्यक्ति और संवेदनशील रचना ।
बहुत खूब. क्या खूब लिखा है आपने. इनकी गलती इतनी है कि इनकी कोई गलती ही नहीं है. फिर भी सजा इन्हें मिल रही है.
Kaash! Sabhi log itne samvedansheel hon!
sanvedansheel aur marmik rachna
आज इन्हें भी
बस कुछ दुआ चाहिए
मौत के चुंगल में
आ चुके हैं जो
उन बन्दों को बन्दों की
बस थोड़ी सी
रहमत चाहिए.
मनभावन पोस्ट । आप जैसी मेरी भी एक छोटी सी दुनिया है (प्रेंम सरोवर) जहां आपके आगमन से रौनक सी आ जाती है । मेरी दुनिया में पदार्पण के लिए समय निकालिए । धन्यवाद ।
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
नई पोस्ट जारी की है.
मर्मस्पर्शी रचना ...
इस अलग सी दुनिया का दर्द अलग नहीं है ,हम जैसा ही है .......ईश्वर शक्ति दे !
संवेदनशील लेखन ...
बहुत ही मार्मिक .......
गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ मार्मिक रचना लिखा है आपने!
गहन अभिव्यक्ति और संवेदनशील रचना ।..
बहुत ही मार्मिक रचना है..
रचना ने मर्माहत कर दिया.
निश्चित ही सोचने पर मजबूर करती पंक्तिया.सुन्दर विचार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है अनामिका जी.
हनुमान लीला पर अपने अमूल्य विचार और
अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.
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