गुरुवार, 27 मई 2010

बस मेरे पास चले आना..

जब मेरी याद आये चले आना

जब बिन बादल बरसात हो

और रस्ता खोने लगे..

तो उदास मत होना

मेरे पास चले आना..


जब कोई जख्म रिसने लगे

दिल हा-हा कर करने लगे

तो रोकना मत खुद को

बस मेरे पास चले आना.


मायूसियाँ जब जकडने लगे

अशक जब आंखो से

बिन पूछे ही बरसने लगे

तो मेरे पास चले आना.


कोई अपना जब साथ छोडने लगे

कोई अपना ही दिल तोडने लगे

साँसे भी जब दम घोंटने लगे

तो रुकना मत...

मेरे पास चले आना.


तन्हा रात जब डराने लगे..

रूप आईने से नजरे चुराने लगे

अपनी ही आहट जब चौकाने लगे

कुछ मत सोचना..

बस मेरे पास चले आना..


सांसो की डोर टूटने से पहले

मेरे प्यार, मेरे जज्बात पर..

बस ऐतबार कर के..

रुकना मत, लौट आना..


शरमिंदा मत होना..

बीती बातो के एह्सासो से..

बस मेरे पास चले आना..


34 टिप्‍पणियां:

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub

shandar becheni he

दिलीप ने कहा…

waah bahut sundar...kash har kisi ko aise bulane wala koi ho...

संजय भास्‍कर ने कहा…

सूक्ष्म पर बेहद प्रभावशाली कविता...सुंदर अभिव्यक्ति..प्रस्तुति के लिए आभार जी

संजय भास्‍कर ने कहा…

खूबसूरत चित्रों के साथ मन के भावों को बहुत सुन्दर लिखा है...

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

रचना प्रशंसनीय नहीं लगा मुझे.
वैसे मन के भावों को सीधे सीधे कवितारूप में कह देना अच्छा लगता है.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनाओं को समेटे हुए सजे हुए शब्द ...
प्रेम की खूबसूरत अभिव्यक्ति

honesty project democracy ने कहा…

मन की भावना को सच्चाई से कविता में उतारती पोस्ट / सराहनीय प्रयास /

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

शरमिंदा मत होना..
बीती बातो के एह्सासो से..
बस मेरे पास चले आना..


-क्या बात है!!

M VERMA ने कहा…

शरमिंदा मत होना..
बीती बातो के एह्सासो से..
बस मेरे पास चले आना..
वाकई स्वीकारोक्ति बहुत सारी बातों का समाधान है
सुन्दर भाव

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

अनामिका जी, हमेशा की तरह एक सुंदर अभिव्यक्ति..बढ़िया लगी बधाई..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

anupam

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हमेशा की तरह एक सुंदर अभिव्यक्ति..बढ़िया लगी बधाई..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भावनात्मक रूप से सुन्दर कविता.....अच्छी अभिव्यक्ति

kshama ने कहा…

शरमिंदा मत होना..

बीती बातो के एह्सासो से..

बस मेरे पास चले आना..
Bahut door tak pahunchtee hai yah 'sadaa'!

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता......

Ra ने कहा…

सरल शब्दों में ,सुन्दर रचना,,,,आपकी रचना पढ़कर पूरब और पश्चिम फिल्म में मुकेश जी का गया एक गाना याद आ गया ,,, कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड दे
तडपता हुआ यूँ तुम्हें छोड दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिये
तुम्हारे लिये

Ra ने कहा…

शरमिंदा मत होना..

बीती बातो के एह्सासो से..

बस मेरे पास चले आना..,,,,सुन्दर

वाणी गीत ने कहा…

बस मेरे पास चले आना ...
हर पल में साथ निभाने का वादा करती खूबसूरत कविता ...!!

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

सुंदर रचना!! किंतु ऐसी सदाएँ प्रायः कितने ही गौतम को बुद्ध नहीं बनने देतीं...और ऐसा भी होता है कि सदाएँ दोनो तरफ से होती हैं, पहुँचती किसी तक नहीं, तभी सम्वाद आवश्यक हो जाता है. पुनः धन्यवाद, इस सम्वेदनशील रचना के लिए.

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

samvedna ki pukar

Deepak Shukla ने कहा…

Hi...

Etne prem se jise bulaya..
wo to daud ke aayega...
kitna bhi wo door ho tumse...
door kahan wo rah payega..

Deepak..

www.deepakjyoti.blogspot.com

कडुवासच ने कहा…

...बेहतरीन ... प्रसंशनीय !!!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

तन्हा रात जब डराने लगे..
रूप आईने से नजरे चुराने लगे
अपनी ही आहट जब चौकाने लगे
कुछ मत सोचना..
बस मेरे पास चले आना..
कविता की सबसे सुन्दर पंक्तियां लगीं.

अरुणेश मिश्र ने कहा…

अगर ऐसा होने लगे तो सारे तनाव दूर हो जाते ।
प्रशंसनीय ।

rashmi ravija ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण कविता...

रंजू भाटिया ने कहा…

badhiya bhaavpurn abhivykati ..pasand aayi aapki likhi yah rachna

Amit Sharma ने कहा…

सांसो की डोर टूटने से पहले

मेरे प्यार, मेरे जज्बात पर..

बस ऐतबार कर के..

रुकना मत, लौट आना..

सुन्दर भावपूर्ण

Apanatva ने कहा…

itnee gahraee.....pyar kee....isee ko kahte hai unconditional love......
jo aaj ke samay me rare hee hai.......
ab to relationships.......ise hath le us hath de walee jyada nazar aatee hai......
Bahut pasand aaee aapkee kavita.....

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ये ही तो प्यार है..

Prem Farukhabadi ने कहा…

प्यार की समझ कमाल की आपकी रचना में.इतना प्यार मिले तो दुःख काहे का.बधाई !

अरुण अवध ने कहा…

बहुत तसल्ली हुई कि
कोई पनाह देने वाला
तो है इस बेपनाह
बेदर्द ज़माने मेँ।
ख़ूबसूरत नज़्म

शरद कोकास ने कहा…

बहुत सौम्य सौम्य सी रचना ..।

Unknown ने कहा…

bahut achhi kavita hai

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

छोटी छोटी बातों में आप कितनी बड़ी बड़ी बातें करतीं हैं प्यार को आसमान से भी ज्यादा तवज्जो देती हैं आप .. आपकी कवितायें बारिश से भीग कर गीली हुई मिटटी कि तरह हैं जिनसे कोई भी आकार गढ़ा जा सकता है ... अति सुन्दर