शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

मैं तुझसे मुहोब्बत नहीं करता.....??????


















मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता
मगर जब भी
तेरी नज़रों से
दूर होता हूँ
खुद की
आँखों की कोरों में
नमी पाता हूँ.

कई बार लगता है
कि तेरे बगैर
ये जिंदगी जी लूँगा, मगर
एक पल की भी जुदाई
बर्दाश्त से बाहर पाता हूँ.

मैं बे-फ़िक्र होने की
कोशिशें करता हूँ
कि तेरे बगैर
खुश हूँ
लेकिन...
तुझसे दूर रह कर
खुद को
हारा हुआ
जुआरी सा पाता हूँ.

ये धड़कने
चलती तो हैं
तेरे बगैर मुझमें
बेवफा बन कर
मगर...
खुद को
यतीम और
दिल में
दर्द पाता हूँ .

मैं लाख कोशिशे करता हूँ
तुझसे दूर...
खुश रहने की
मगर उड़ता है
जब भी धुंआ
याद-ए-मुहोब्बत का ..
खुद को
तन्हाइयों में
लिपटा हुआ पाता हूँ .

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर....

56 टिप्‍पणियां:

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत ख़ूब अनामिका जी ,


मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता
मगर जब भी
तेरी नज़रों से
दूर होता हूँ
खुद की
आँखों की कोरों में
नमी पाता हूँ.

किसी एह्सास से लबरेज़ दिल के जज़्बात को बेहद ख़ूबसूरती से
नज़्म की शक्ल दी है आप ने

मनोज कुमार ने कहा…

रचनाकर जब "मैं तुझसे मुहोब्बत नहीं करता" को कल्पित करता/ती है तो जैसे उसको नहीं, खुद को भी उदास पाता/ती है। इस संदर्भ में ही इस कविता को देखा जा सकता है। भावावेग से भरी कविता। बहुत सारी दिक्‍कतों के बीच यह प्रेम ही है जो रोशनी बनकर उम्‍मीद की राह बनाता है। तभि तो यह उक्ति है ...
मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

मैं लाख कोशिशे करता हूँ
तुझसे दूर...
खुश रहने की
मगर उड़ता है
जब भी धुंआ
याद-ए-मुहोब्बत का ..
खुद को
तन्हाइयों में
लिपटा हुआ पाता हूँ .


बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

रामराम

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति!! बढ़िया लगा पढ़ कर.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मुहब्बत तो जिद्दी है, गफलत से कहाँ मानेगी।

kshama ने कहा…

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर....
Aah!

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही प्यारी कविता ! बहुत ही खूबसूरती से हर भाव को शब्दबद्ध किया है आपने ! बधाई स्वीकार कीजिये !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अनामिका बहन! तज्जुब हुआ कि आप मर्दों के मन को अनुभव कर लेती हैं... लेकिन जईसे हम प्रसव बेदना नहीं महसूस कर सकते हैं, उसी तरह ई सब अभिब्यक्ति एक औरत के मन से पुरुस के मन का बात जानने जईसा है.. फिर भी दुःख आपका केंद्रीय बिसय रहा है, अऊर दुःख का कोनो जाति नहीं होता है, इसलिए बात सब सच है..अब त हमको आपका दुःख भी अच्छा लगने लगा है!!

Anupama Tripathi ने कहा…

सच्चे -सुंदर भाव मन के -
बधाई स्वीकारें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मगर जब भी
तेरी नज़रों से
दूर होता हूँ
खुद की
आँखों की कोरों में
नमी पाता हूँ.

बेहतरीन प्रस्तुति ....तड़प तो तड़प है ..महसूस किया जा सकता है....

शरद कोकास ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है , sundar rachanaa

Avinash Chandra ने कहा…

खुद को
यतीम और
दिल में
दर्द पाता हूँ .

hmm, roj ek hi baat likhun...inta nam likhengi??

par theek bhi hai, koi yun bhi to ho :)

Vandana Singh ने कहा…

woooow ..bahut khoobsooarat ,,tadapti si najm hai

Asha Lata Saxena ने कहा…

मन को छूती आपकी रचना के लिए बहुतबहुत बधाई |
आशा

वाणी गीत ने कहा…

मैं तुमसे मुहब्बत नहीं करता ...
बहलाना दिल को कुछ इस तरह कि जैसे जाना और करीब हो ...
जुड़ा होना मुश्किल हो ..!
नज़्म अच्छी लगी ...!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
--
इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

बहुत अच्छी रचना लगी आपकी, लेकिन शायद गिरिजेश राव साहब की नजर नहीं पड़ी अब तक इस पर(मुहोब्ब्त सही है या मोहब्बत?)।
कृपया अन्यथा न लीजियेगा।

राजेश उत्‍साही ने कहा…

असल में यही गफलत तो जिंदा रखती है।

anita saxena ने कहा…

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता
मगर जब भी
तेरी नज़रों से
दूर होता हूँ
खुद की
आँखों की कोरों में
नमी पाता हूँ.
मन को छूती रचना ........

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

ये धड़कने
चलती तो हैं
तेरे बगैर मुझमें
बेवफा बन कर
मगर...
खुद को
यतीम और
दिल में
दर्द पाता हूँ .
Anamika ji,
bahut samvedanatmak kavita----behatareen abhivyakti---.

Aruna Kapoor ने कहा…

मैं लाख कोशिशे करता हूँ
तुझसे दूर...
खुश रहने की
मगर उड़ता है
जब भी धुंआ
याद-ए-मुहोब्बत का ..
खुद को
तन्हाइयों में
लिपटा हुआ पाता हूँ .
यह मुहब्बत भरे दिल की धडकन है!.... स्त्री या पुरुष...यह दिल किसी का भी हो सकता है!.... अति सुंदर रचना!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मैं बे-फ़िक्र होने की
कोशिशें करता हूँ
कि तेरे बगैर
खुश हूँ
लेकिन...
तुझसे दूर रह कर
खुद को
हारा हुआ
जुआरी सा पाता हूँ.
वाह....वाह
ऐसा ही होता है...
भले ही ज़बां कह न पाए...
इन भावनाओं का कोई मोल नही....

Deepak Shukla ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Deepak Shukla ने कहा…

अनामिका जी...

खुद को भ्रम में डालें कितना...
जो सच है सच रहता है...
दर्द मुहब्बत का बेहिस हो...
दिल से छलक ही पड़ता है...

सुन्दर नज़्म....

दीपक...

सहज साहित्य ने कहा…

प्यार न हो तो कुछ भी नहीं टिकता ।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut hi sundar blog hai

राजकुमार सोनी ने कहा…

एक सांस में रचना को पढ़वा गई आप
और मैंने भी रचना को उसी अन्दाज में पढ़ा है जैसे सिलसिला फिल्म में अभिताभ ने पढ़ा था ( ये कहां आ गए हम वाले गाने में)
बहुत ही शानदार रचना है
आज का मेरा दिन बहुत ही शानदार गुजरने वाला है मैं जानता हूं
रचना जो इतनी अच्छी पढ़ ली.
शुक्रिया

vandana gupta ने कहा…

उफ़ ………………भावों और तडप को जिस अन्दाज़ से आपने पिरोया है कमाल कर दिया………………यही तो प्रेम की अनुभुति है जो पास होने पर मह्सूस हो या न हो मगर दूर जाने पर अपने वजूद का अहसास करा देती है।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...............
अहसास कभी भी नही मरता जिन्दा रहता है अंतर्मन में हमेशा के लिये ............

मिताली ने कहा…

ये धड़कने
चलती तो हैं
तेरे बगैर मुझमें
बेवफा बन कर
मगर...
खुद को
यतीम और
दिल में
दर्द पाता हूँ .

अनामिका जी, बहुत ही तड़प के साथ पिरोई गयी एक ऐसी रचना, जो शुरू से आखिर तक (जो वास्तव में आखिर नहीं है) संवेदनाओं और भावनाओं में बंधी है... एक-एक शब्द अन्दर तक ज़ेहन में उतर कर कुछ महसूस करा रहा है... बेहतरीन प्रस्तुति... आभार...

Shilpa Dhamuniya ने कहा…

bhaut khub,,,,,,,,,,

अजय कुमार ने कहा…

जज्बातों की सुंदर अभिव्यक्ति , गहरे भाव ।

honesty project democracy ने कहा…

गहरी सोच और उम्दा सम्बेदना से निकली रचना ,शानदार प्रस्तुती ...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, बहुत गहरी बात कह दी प ने धन्यवाद

अरुणेश मिश्र ने कहा…

पुरुषोँ की ओर से वक्तव्य । जो प्राय: होता है . वही लिखा है ।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

आपकी इज़ाज़त से:
मैंने तेरे बिन अब जीना सीख लिया है.....
ये बात और है के अब भी तुझसे मुहब्बत करता हूँ......
तुझे पाने की हसरत करना फ़िज़ूल है......
तेरी खुशी की हर दम दुआ करता हूँ!
------------
फरीदाबाद वालों के लिए बालकनी रिज़र्व्ड.....
फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

anoop joshi ने कहा…

aapke lehkan se sabko mohbat hai...
bahut khoob.......

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वाह, बेहतरीन अभिव्यक्ति

कडुवासच ने कहा…

... बेहतरीन !!!

मनोज भारती ने कहा…

वास्तविक प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है आपकी इस कविता में । सच्चा प्रेम यूं ही संकुचित होकर कब अपने प्रेमी/प्रेमिका में सिमट जाता है पता ही नहीं चलता । प्रेम की उम्दा प्रस्तुति ।

Unknown ने कहा…

maan ne kiya ki bahut kuch likhun per jab likhne baitha to mere shanbd chote pad gaye...
मगर जब भी
तेरी नज़रों से
दूर होता हूँ
खुद की
आँखों की कोरों में
नमी पाता हूँ
ye panktiyan akasa mere edhar udhar madrati rahati hai
dil ko tadpa diya aapne to

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अपनी अस्‍त-व्‍यस्‍तता के कारण इतनी अच्‍छी कविता छूट गयी थी। अनामिका बहुत ही अच्‍छा लिखा है। बस यही कशमकश जीने का साधन बनती है। प्रेम एकतरफा ही क्‍यों ना हो, बस होना चाहिए। सच लिखा है तुमने कि बिछुडने के बाद ही कसक ज्‍यादा महसूस होती है। बढिया कविता के लिए बधाई।

HBMedia ने कहा…

bahut sundar rachna...

hem pandey ने कहा…

मोहब्बत ऐसी ही होती है |

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

कभी कभी ज़ुबाँ और दिल की बातों में अंतर हो जाता है!! प्रस्तुति बढ़िया है!! बधाई

रचना दीक्षित ने कहा…

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर....
सुंदर अभिव्यक्ति मन को छूती रचना अच्छी लगी

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही खूबसूरती से हर भाव को शब्दबद्ध किया है

संजय भास्‍कर ने कहा…

"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर....
अच्छी पंक्तियां !
बधाई हो !

बेनामी ने कहा…

bahut achha blog hai apka..
lafzon ko achhi tarah se sajaya hai..
Meri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
aapke comments ke intzaar mein...

A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas

Parul kanani ने कहा…

waah..anamika ji...beautiful post!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैं कई बार
खुद को
गफलत में डालता हूँ
कि मैं तुझसे
मुहोब्बत नहीं करता.
मगर..
बेहतरीन .... सच है खुद से आँकें चुराना आसान नही होता .....