रविवार, 29 अगस्त 2010

तो कुछ और कहूँ...






















अपने दिल की उदासी को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ
अपने लफ़्ज़ों से जज्बातों को बहला लूँ तो कुछ और कहूँ.

अपनी साँसों से कुछ बेचैनियों को हटा लूँ तो कुछ और कहूँ
धूप तीखी है, जिंदगी को छाँव की याद दिला दूँ तो कुछ और कहूँ

चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..

जिंदगी के थपेडों से मोहलत मिले, वक़्त कुछ खुशियाँ तो दे झोली में..
कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ .

नरम हाथों ने जिसे पाला था, देखें आकार कितने मायूस हैं जिंदगी से
हम आँखों के तारों के छालों की दवा वो करें तो कुछ और कहूँ ..

प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.

अपने हाथों की लकीरों में सजाया था जिसने वो किस्मत भी सजा दे
जन्म देने वाले ओ खुदा मेरी खुशियाँ भी जन्माते तो कुछ और कहूँ.

53 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

एकाकी, जीवन की दुरूह परिस्थितियों का सच्‍चा लेखा-जोखा सामने रखती इस रचना को पढते हुए रोमांच, प्रेम, उदासी और प्रसन्‍नता से होकर गुजरना पड़ता है !
बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जमाने को तो उत्तर दे ही दूँगा,
खुद को समझा लूँ, तो कुछ और कहूँ।

गज़ब की रचना।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जमाने को तो उत्तर दे ही दूँगा,
खुद को समझा लूँ, तो कुछ और कहूँ।

मन को छूने वाली पंक्तियाँ .....
अच्छी लगी आपकी रचना

Vandana Singh ने कहा…

bahut khoobsoorat khyaal hai ghazal ke ...bahut khoob :) sayad draft or nikhar sakta tha esa laga mujhe ..

mai... ratnakar ने कहा…

in khoobsoorat panktiyon ke asar se ubar jaoon to kuchh aur kahoon
bahut achchha likha hai, apana sa lag raha hai

सूबेदार ने कहा…

मन को रोमांचित करने वाली बहुत अच्छी कबिता जीवन क़े वास्तविकता को दर्शाती हुई .
बहुत-बहुत धन्यवाद.

राज भाटिय़ा ने कहा…

क्या बात है बहुत उम्दा लिखा आप ने, धन्यवाद

रचना दीक्षित ने कहा…

प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था
उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले

इतने प्यार से पुकारा है अब कुछ न कुछ तो जरूर होके रहेगा.

बहुत सुंदर रचना , भावनाओं की पराकाष्ठा.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आज त बुझाता है कि कुछ भी नहीं कह पाएँगे हम!!

kshama ने कहा…

प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.

Aisehee ekaki lamhon me man gaharee udaasee me doob jata hai....ye andhere chhaten to ujala dikhe!
Bahut sundar shabdawali..isiliye itni sundar rachana!

Udan Tashtari ने कहा…

प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.

--वाह!! बहुत खूब!

अजय कुमार ने कहा…

एकाकी मन की सुंदर अभिव्यक्ति ।

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। बहुत अच्छी कविता।

हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कौन जाने ये कुछ कहने का वक़्त आये न आये ....वक़्त मिले तो कुछ कहें

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति के साथ.... मनभावन पोस्ट...

Shah Nawaz ने कहा…

गहरे भाव समेटती हुई रचना है.

Parul kanani ने कहा…

ek sundar bangi...keep going!

vandana gupta ने कहा…

वाह वाह ……………।बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

राजेश उत्‍साही ने कहा…

कहती रहिए।

arvind ने कहा…

कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ .
....bahut hi maarmik rachna.

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छा लगा।
बहुत-बहुत धन्यवाद

Aruna Kapoor ने कहा…

दिल में उठने वाले जजबातों को आपने सुंदर शब्दों मे ढाला है!...उत्तम रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया रही आपकी यह रचना!
--
मन पर छाप अंकित कर गई!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सबके होते हुवे भी इंसान कभी कभी अकेला महसूस करता है अपने आप को .... कुछ भी करने और चाहने से पहले ऐसा एहसास किसी गहरी उदासी से निकलता है .... बहुत संवेदना भारी पोस्ट है आज ....

SATYA ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने ...बधाई.

सदा ने कहा…

सुन्‍दर शब्‍दों के साथ गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..

बिकुल सही कहा है ..सब कुछ सहज करलें ...आपके कुछ कहने का इंतज़ार है ....

भावप्रवण रचना ...

ओशो रजनीश ने कहा…

चांदनी रातें कैसे तडपाती हैं, रुलाती हैं, अरमानों का घूंघट उठाती हैं..
सावन बुलाती हैं, रुखसारों के इन भावो को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ..


अच्छी पंक्तिया है .......... आभार

कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com

सुज्ञ ने कहा…

पानी देखकर कहां प्यास बुझती है,गले से उतरे तो कुछ कहूं।
पढकर तो आनंद आ गया, दिल में उतरे तो कुछ कहूं।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

अहसास का दरिया बहा दिया आपने................

Manish aka Manu Majaal ने कहा…

जग्गू दादा की ग़ज़ल याद आ गयी (कुछ बदल कर)
आपका लिखा पढ़कर पढ़ता रह गया,
क्या कहूँ, और कहने को क्या रह गया !

अब क्या कुछ और कहूँ !

Sadhana Vaid ने कहा…

मन में गहराई तक उतरती भावप्रवण पंक्तियाँ ! लेकिन आपको इतना उदास देखना नहीं चाहती ! जल्दी ही कुछ तो कहिये ! बहुत खूबसूरत रचना !

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

अनामिका जी,
कितने गहन चिंतन से परिपूर्ण रचना प्रस्तुत की है आपने...
बस, यहीं से एक सकारात्मक रचना का सृजन भी होना ही चाहिए.

pragya ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत...भावनाओं की ख़ुश्बू लफ़्ज़ों से बयाँ करती नज़्म..

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

आपका लिखा सच में सकून देने वाला है सिर्फ आपको ही नहीं हमें भी..

सुनील गज्जाणी ने कहा…

अनामिका जी
नमस्कार १
........ तो जूच और कहे के लिए आप ने छोडा ही नहीं . अच्छी अभिव्यक्ति है ,
साधुवाद !
सादर !

KK Yadav ने कहा…

प्यार से 'जानाँ' कह कर पुकारा था उनके प्यार की कोई छुवन तो मिले
मन के रिश्ते की पाकीज़गी को वो निभा लें तो कुछ और कहूँ.

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...उत्तम प्रस्तुति.....बधाई.

___________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)


...

मिताली ने कहा…

हर बार की तरह एक अलग ही अंदाज़ और अल्फाज़...एक एक शब्द दिल को छू गया...बहुत खूब अनामिका जी...आभार...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

वाह... सुन्दर रचना पढ़ कर आनंद आ गया. बधाई एवं धन्यवाद.

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत ही सुंदर नज़्म -
बहुत सुंदर एहसास -
बधाई

पवन धीमान ने कहा…

जिंदगी के थपेडों से मोहलत मिले, वक़्त कुछ खुशियाँ तो दे झोली में..कटे पंखों से बहता है लहू, ये टीस सीने से मिटा लूँ तो कुछ और कहूँ ...
अथाह पीड़ा से होकर गुजरना ही तो जीवन है . आपने बहुत सजीव रचना का सर्जन करके साबित किया है कि हलाहल से अमृत निकालने में ही जीवन की सार्थकता है ....बहुत सुन्दर रचना.

कडुवासच ने कहा…

... behatreen rachanaa !!!

RAJWANT RAJ ने कहा…

anamika
pure pndrh dino ki msrufiyt ke bad aaj blog ki trf aai to sbse phle aapki post dekhi . vo hi rvangi , vo hi kshish our vo hi apne sath bha le jane vala madda .bhut khoob . bhut sari shubhkamnayen .

SATYA ने कहा…

आप भी बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

Aruna Kapoor ने कहा…

....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!

nature7speaks.blogspot.com ने कहा…

sunder kavita,dil ke bhawon ko apane behtareen andaz mai bayan kiya hai.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर रचना , भावनाओं की पराकाष्ठा.

आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

अपनी साँसों से कुछ बेचैनियों को हटा लूँ तो कुछ और कहूँ
धूप तीखी है, जिंदगी को छाँव की याद दिला दूँ तो कुछ और कहूँ

अनामिका जी..बहुत सुंदर भाव..बधाई

manu ने कहा…

:)
janmaashtmi ki badhaayi...

Coral ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
मन को छूने वाली पंक्तियाँ .....

_________________________
एक ब्लॉग में अच्छी पोस्ट का मतलब क्या होना चाहिए ?

http://anusamvedna.blogspot.com ने कहा…

अपने दिल की उदासी को छुपा लूँ तो कुछ और कहूँ
अपने लफ़्ज़ों से जज्बातों को बहला लूँ तो कुछ और कहूँ......

सुंदर प्रस्तुति .....