गुरुवार, 15 सितंबर 2011

बन्धनों से मुक्ति






तेरा विश्वास सदा 
आगे बढ़ने का रहा...
तूने बन्धनों से मुक्त हो 
अपने मन की सीमाओं के 
उस पर जाने का प्रयत्न किया
लेकिन बंधनों से मुक्त होना ही तो 
सफलता  नहीं है.

न ही आसक्ति के पहियों को कुचल,
इस प्रणय से विमुख 
हो जाने  मात्र से 
तेरी उस निराकार 
सफलता का मार्ग 
प्रशस्त होना है .

विरक्ति का मार्ग
अपना लेने भर से ही
सिसकियाँ और आहें
पीछा नहीं छोड़ेंगी.

तूने रहस्यों की गूढता को 
जानने का प्रयास ही 
नहीं किया.

अपनी साँसों को सुन
उनके संकेतो को सुन
इस से प्रेरणा ले
इसी में उल्लास भी है
और विश्वास भी.

इसे खुद में आत्मसात कर
इस सत्य का अनुभव कर 
जिसमे संतोष का योग है, 
तू बन्धनों से मुक्ति
के लिए अनेक कुंठाओं और 
विरोधों को जन्म दे कर 
नए राग को 
आरम्भ मत कर.



34 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पुराने ही निभा सकें तो निभा लिये जायें।

S.N SHUKLA ने कहा…

Anamika ji
sundar rachna ke liye badhai sweekaren.
मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं

**************

ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर गहन रचना के लिए आभार.

मनोज कुमार ने कहा…

शब्द सामर्थ्य, भाव-सम्प्रेषण की दृष्टि से यह रचना अद्वितीय है। कविता काफी अर्थपूर्ण है। दुनिया वे बदलते हैं जो सच को उसके सम्‍पूर्ण तीखेपन के साथ महसूस करते हैं और उसे बदलने का साहस भी रखते हैं। बहुत सारे मोहभंगों के बीच यह आशावाद राहत भी देता है। आखिर जीने के लिए सपनों व संकल्‍पों की कोई रूपरेखा तो चाहिए।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सत्य का अनुभव कर
जिसमे संतोष का योग है,
तू बन्धनों से मुक्ति
के लिए अनेक कुंठाओं और
विरोधों को जन्म दे कर
नए राग को
आरम्भ मत कर.
--
अच्छा सन्देश देती हुई रचना!

Unknown ने कहा…

अपनी साँसों को सुन
उनके संकेतो को सुन
इस से प्रेरणा ले
इसी में उल्लास भी है
और विश्वास भी.

सार्थकता का सन्देश देती सुन्दर और कोमल कविता

अभिषेक मिश्र ने कहा…

"तू बन्धनों से मुक्ति
के लिए अनेक कुंठाओं और
विरोधों को जन्म दे कर
नए राग को
आरम्भ मत कर"

सुदर पंक्तियाँ.

संध्या शर्मा ने कहा…

सुन्दर और भाव पूर्ण रचना के लिए बहुत-बहुत आभार...

कुमार राधारमण ने कहा…

इस लोक को तो अपना न सके
उस लोक में भी पछताओगे!

monali ने कहा…

Sach me.. hum bhagte hi to rehte hain... samadhan ko peeche chhod k samasya k peechhe... thoughtful poem.. :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रहस्य की गूढता जानने के लिए ही विरक्ति जन्म लेती है ...

अच्छी प्रस्तुति

Sadhana Vaid ने कहा…

आज तो बड़े दार्शनिक मूड में लग रही हैं ! क्या बात है ! इतनी अनुपम रचना रच डाली ! बहुत ही सुन्दर !

संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे !

इतनी अप्रतिम रचना के लिये बहुत बहुत बधाई !

वाणी गीत ने कहा…

बंधनों से मुक्त होना ही सफलता नहीं है ...
एक सार्थक अपील!

केवल राम ने कहा…

अपनी साँसों को सुन
उनके संकेतो को सुन
इस से प्रेरणा ले
इसी में उल्लास भी है
और विश्वास भी.

अपनी साँसों को सुनना और उनसे ही प्रेरणा पाना , जीवन को समझने जैसा है बन्धनों से मुक्ति पाना है ....!

Patali-The-Village ने कहा…

सुन्दर और भाव पूर्ण रचना| आभार|

Rajesh Kumari ने कहा…

saarthak aur sundar sandesh deti hui rachna.

ZEAL ने कहा…

लेकिन बंधनों से मुक्त होना ही तो
सफलता नहीं है.....

Great lines...

.

संजय भास्‍कर ने कहा…

विरक्ति का मार्गअपना लेने भर से हीसिसकियाँ और आहेंपीछा नहीं छोड़ेंगी.
सुन्दर और भाव पूर्ण
शाश्वत सत्य को कहती सुन्दर रचना ..

Anita ने कहा…

सुंदर भाव और संदेश लिए दिल से निकली एक रचना !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

विरक्ति का मार्ग
अपना लेने भर से ही
सिसकियाँ और आहें
पीछा नहीं छोड़ेंगी... bilkul sahi kaha

Maheshwari kaneri ने कहा…

विरक्ति का मार्ग अपना लेने भर से ही सिसकियाँ और आहें पीछा नहीं छोड़ेंगी.......
अच्छा सन्देश देती हुई सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर.... अर्थपूर्ण रचना

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

bahut sundar...gahan arth samjhati rachna

Ankit pandey ने कहा…

बहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पुराने मुक्त कर के नए बंधन बनते रहते हैं .. [पर पुराने नहीं छूटते हैं ... गहरे भाव ...

बेनामी ने कहा…

गहन दर्शन............गहरा यतार्थ..........मेरा सलाम आपको इस पोस्ट के लिए.........बहुत अच्छी लगी..........हैट्स ऑफ

सागर ने कहा…

gahan chintan karwati rachna...

Kailash Sharma ने कहा…

तू बन्धनों से मुक्ति
के लिए अनेक कुंठाओं और
विरोधों को जन्म दे कर
नए राग को
आरम्भ मत कर.

...गहन जीवन दर्शन की बहुत प्रभावी और सुन्दर अभिव्यक्ति....

Sunil Kumar ने कहा…

विरक्ति का मार्ग
अपना लेने भर से ही
सिसकियाँ और आहें
पीछा नहीं छोड़ेंगी.
यही इस रचना और जीवन का सार है गहन भावों की अभिव्यक्ति बधाई

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा...भावपूर्ण...

kshama ने कहा…

तूने रहस्यों की गूढता को
जानने का प्रयास ही
नहीं किया.

अपनी साँसों को सुन
उनके संकेतो को सुन
इस से प्रेरणा ले
इसी में उल्लास भी है
और विश्वास भी.
Hamesha kee tarah gazab kee rachana hai. Mai out of station thee,isliye der se pahunchee hun!

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

sarahneey rachna...badhayee swikar kijiye.

Vivek Jain ने कहा…

बहुत ही गहन है आपकी ये रचना,
बधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।