शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

तुम मुझसे घृणा करो...




मेरी तो तुम से लगन है
मेरी अराधना हो तुम
मैं अपनी अविराम प्रीति पर 
स्वयं से घायल,
स्वयं से भूली
चली जा रही हूँ.
मेरी तो चाहत है
कि मैं अपनी 
आशा की समाधी पर 
कामनाओं की
फुलवारी लगा लूँ .
लेकिन मैं तुम्हारे
भविष्य के पथ का 
शूल नहीं हूँ.
मैं जानती हूँ कि..
मुझसे छुटकारा पाने के 
प्रयत्नों में 
स्वयं को तुम
बेबस पाते हो.
हमारे मिलन की
स्मृतियाँ कहीं 
तुम्हारे चित्रों के
रंग बिगाड़ जाती हैं.
लेकिन इसमें 
मेरा अपराध क्या है ?
भविष्य की सुखद 
कल्पनाओं में बौराए 
तुम चाहो तो 
विगत संस्मरणों को 
विस्मृति में डुबो सकते हो.
तुम मुझसे घृणा करो
ऐतराज़ नहीं मुझे,
लेकिन तुम्हारे 
ह्रदय के दाह की
ज्वाला नहीं चाहिए मुझे.
मुझे इसी अटूट 
अनंत विश्वास के 
साथ जीने दो
कि तुम्हारे 
विगत संस्मरणों 
के कफ़न में 
मेरे अरमान भी 
लिपटे रहें.



60 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें... bahut achhe bhaw

वाणी गीत ने कहा…

मैं तुम्हारे पथ का शूल नहीं हूँ ....
सच्चा प्रेम इसी समर्पण को अभिव्यक्त करता है ...आपकी कविताओं में प्रेम में समर्पण की अन्यतम अनुभूतियाँ हैं जो आज के युग में दुर्लभ है ...

वरना तो घृणा करता है तो करता रहे अपनी बला से :) जो छुटकारा पाना चाहता है , छोडिये ना उसे ...वो छूटना चाहे उससे पहले हम ही क्यों न छोड़ दें ...हां नहीं तो (अदा स्टाईल !)

Unknown ने कहा…

सुन्दर, बहुत सुन्दर काव्य, अंतर्मन को खूबसूरती से उजागर करती रचना, बधाई

वाणी गीत ने कहा…

मैं तुम्हारे पथ का शूल नहीं हूँ ....
सच्चा प्रेम इसी समर्पण को अभिव्यक्त करता है ...आपकी कविताओं में प्रेम में समर्पण की अन्यतम अनुभूतियाँ हैं जो आज के युग में दुर्लभ है ...

वरना तो घृणा करता है तो करता रहे अपनी बला से :) जो छुटकारा पाना चाहता है , छोडिये ना उसे ...वो छूटना चाहे उससे पहले हम ही क्यों न छोड़ दें ...हां नहीं तो (अदा स्टाईल !)

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर अनामिका जी..
क्या कहूँ...
बड़ी गहराई है आपके शब्दों में..
लाजवाब.

Anita ने कहा…

यदि कोई किसी से घृणा करेगा तो हृदय में दाह तो होगा ही और उसकी आंच भी आयेगी...प्रेम ही करना होगा...पास आना हो तब भी दूर जाना हो तब भी...

kshama ने कहा…

Bahut tees hai! Rachana to lajawab ban padee hai!

Sadhana Vaid ने कहा…

कितनी पीड़ा सहेज रखी है अपने मन में ! यह ठीक नहीं है ! आशा का आँचल हाथ से क्यों छिटक जाने देती हैं ! आपकी कामनाओं की फुलवारी खूब हरी भरी रहे यही मेरी भी कामना है और आपका मन उल्लास और उत्साह से छलकता रहे यही दुआ है ! अभिव्यक्ति सशक्त है और रचना सुन्दर है !

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति, आभार.

पधारें मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी, मुझे आपके स्नेहाशीष की प्रतीक्षा है.

सदा ने कहा…

मेरी तो तुम से लगन है
मेरी अराधना हो तुम
बहुत ही बढि़या भाव संयोजन ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
अनुपम भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,अनामिका जी.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

प्रभावी अभिव्यक्ति ...........

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें...

:))
lajabab!!
dil se nikli awaaj:)

बेनामी ने कहा…

speechless......amazing.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रभावी प्रस्तुति,सुंदर सशक्त रचना......
welcome to new post--जिन्दगीं--

नीरज गोस्वामी ने कहा…

विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें...

वाह...अद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें

नीरज

virendra sharma ने कहा…

उत्कृष्ट रचना .

मनोज कुमार ने कहा…

इस कविता में बहुत बेहतर, बहुत गहरे स्तर पर एक बहुत ही छुपी हुई करुणा और गम्भीरता है।

Nirantar ने कहा…

लेकिन तुम्हारे
ह्रदय के दाह की
ज्वाला नहीं चाहिए मुझे.
मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें.

sundar panktiyaan

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सार्थक प्रस्तुति, आभार|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गहरा लिखा है आपने।

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें.

वाह !!
सुंदर अभिव्यक्ति !!!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

समर्पण की गहराई और अटूट निष्ठा की अभिव्यक्ति मन को आन्दोलित कर रही है - सुन्दर रचना !

sangita ने कहा…

में तुम्हारे पथ का शूल नहीं"शानदार |
क्या अदा है आपकी "प्रेम के समर्पण " को इतनी सहजता से व्यक्त कर दिया | इसीलिए तो कहते हैं की प्रेम तो सिर्फ औरत ही करती है |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब!!

M VERMA ने कहा…

मैं तुम्हारे पथ का शूल नहीं हूँ ....
लाजवाब एहसास और समर्पण ..

Amit Chandra ने कहा…

बेहतरीन. प्रेमरस से भरी सुंदर रचना.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें.

सार्थक प्रस्तुति...
सादर..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मन की गहन अभिव्यक्ति .. सुन्दर प्रस्तुति

SAKET SHARMA ने कहा…

acchi prastuti badhai..

dinesh aggarwal ने कहा…

हृदय की गहराईओं तक उतरने वाली पंक्तियां,
पीड़ा की वीणा के तार झंकृत करती हैं।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी भाव-प्रवण कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

अविनाश मिश्र ने कहा…

तुम मुझसे घृणा करो
ऐतराज़ नहीं मुझे,
लेकिन तुम्हारे
ह्रदय के दाह की
ज्वाला नहीं चाहिए मुझे.
bahut kuch kah rahi hai panktiyan... bahut umda...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

bahut komal bhaav piroye hain aapne..bahut sundar ...Navvarsh par hardik shubhkaamnayen..

विभूति" ने कहा…

बेजोड़ भावाभियक्ति....

RAJWANT RAJ ने कहा…

anamika aaj bhut dino ke bad blog pr aayi our jee bhr kr mnn kiya .
bhut khoob likh rhi hai aap . mai idhar kuchh smikshaye likh rhi hun our kuchh paintings bhi bna rhi hu order pr .
bhut jldi apne blog pr bhi aa rhi hu fir milte hai .steek lekhni ke liye bhut bhut bdhai .

Rajput ने कहा…

बहुत सुन्दर अनामिका जी.
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
आभार |

virendra sharma ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें.
बहुत खूब

कुमार राधारमण ने कहा…

सब ऊपर की बातें हैं। भीतर न तो अनंत विश्वास दिख रहा है,न कोई सुखद स्मृति। इस तरह जीना तो बिल्कुल संभव न हो पाएगा।

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

निशब्द कर दिया आपकी इस लेखनी ने ...बहुत गहरे भाव लिए ...छिपे दर्द को महसूस करवाती सी

Sanju ने कहा…

बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति....

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें...

बहुत सुंदर प्रस्तुति...

प्रेम सरोवर ने कहा…

गहन भावों से भरा कविता अच्छी लगी । आपकी कविता के एक-एक शब्द बोलते से प्रतीत होते हैं। मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

amrendra "amar" ने कहा…

bhavo ki bahut hi sundar abhivykti....
behtarin rachana

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी कविता की भाषा शैली अच्छी लगी । हर शब्द बोल रहे हैं । मेरे पोस्ट 'लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी" पर आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद ।

Rakesh Kumar ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार.
आपका हर शब्द मेरे लिए बहुत कीमती है,

somali ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें...
bahut badhiya bhav

आनंद ने कहा…

मैं अपनी अविराम प्रीति पर
स्वयं से घायल,
स्वयं से भूली
चली जा रही हूँ.
मेरी तो चाहत है
कि मैं अपनी
आशा की समाधी पर
कामनाओं की
फुलवारी लगा लूँ .
.....
वाह आशा की समाधी पर कामनाओ की फुलवारी ...वाह
सच में बहुत सुंदर फूल खिलेंगे !

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही गहरे भाव झलक रहे है.प्रिय से अपने प्रेम की गुहार लगाती इस प्रिया के दर्द को बहुत ही अच्छी तरीके से व्यक्त किया है....
बेहतरीन शब्द संयोजन ..
क्या कहू तारीफ में शब्द नहीं

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

प्रभाब शाली बहुत सुंदर प्रस्तुति,
new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....

रचना दीक्षित ने कहा…

मुझे इसी अटूट
अनंत विश्वास के
साथ जीने दो
कि तुम्हारे
विगत संस्मरणों
के कफ़न में
मेरे अरमान भी
लिपटे रहें.

अंतर्मन की भावनाओं का सुंदर निरूपण बधाई.

अवनीश सिंह ने कहा…

मैं तुम्हारे पथ का शूल नहीं हूँ ,
बहुत ही सराहनीय कविता

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

आह ...कितनी गहरी है ये पीड़ा ...

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति...अनामिका जी

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " हो जाते हैं क्यूं आद्रर् नयन पर ": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

Dimple Maheshwari ने कहा…

pyar bhari kavita....purn samarpan

Dimple Maheshwari ने कहा…

pyar bhari kavita....purn samarpan

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर गहन भावाभिव्यक्ति है